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Monsoon: जून में मॉनसून सुस्त, आगे झमाझम बारिश

18 जून तक देश भर में 20 फीसदी कम बारिश हुई, भीषण गर्मी से तप रहा दिल्ली सहित पूरा उत्तर भारत

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- June 19, 2024 | 11:52 PM IST

भारतीय मौसम विभाग ने जून के लिए जारी मॉनसून के पूर्वानुमान को कल बीच में ही सुधार करते हुए सामान्य से कम की श्रेणी में डाल दिया है। मगर इसका असर पूरे मॉनसून के प्रदर्शन पर पड़ने की संभावना नहीं है। मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने आज कहा कि इस बार मॉनसून दीर्घावधि औसत के 106 फीसदी पर सामान्य से अधिक रह सकता है।

मौसम विभाग द्वारा मॉनसून के पूर्वानुमान को कमतर करने का बड़ा कारण यह है कि 30 मई को केरल तट से टकराने के बाद लगातार बारिश होने के बाद दक्षिण भारत में चक्रवाती गतिविधियों के समाप्त होने से बीते कुछ दिनों से बारिश नहीं हो रही है। यहां तक कि पिछले कुछ दिनों के दौरान दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून का पूर्वी हिस्सा भी निष्क्रिय हो गया है, इसलिए 18 जून तक देश भर में 20 फीसदी कम बारिश हुई है।

मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने कहा कि जहां तक इस साल के मॉनसून का सवाल है तो यह कमी किसी भी तरह से आने वाली चीजों की ओर इशारा नहीं करती है। इसका एक बड़ा कारण है कि अगले कुछ दिनों में फिर से अच्छी बारिश हो सकती है और जून के अंत तक उत्तर-पश्चिम भारत में मॉनसून दस्तक दे सकता है। साथ ही दूसरा बड़ा कारण है कि अप्रैल से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के पक्ष में जो कारक थे वे अब भी बरकरार हैं।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव और भारत के प्रसिद्ध मॉनसून विशेषज्ञ माधवन राजीवन ने कहा, ‘पहले भी कई साल तक जून में मॉनसून कमजोर रहा है मगर सीजन के अंत तक अत्यधिक बारिश हो जाती है। इसके अलावा, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के लिए जून कोई खास महीना नहीं है। मौजूदा कमी मुख्य रूप से बारिश नहीं होने के कारण है, जिससे जून के आखिरी सप्ताह में भारी बारिश होने पर भी इस कमी की भरपाई करना मुश्किल होगा।’

उन्होंने कहा कि इस साल मॉनसून के प्रति आशावादी रहने का एक बड़ा कारण यह भी है कि भले ही जून में मॉनसून कमजोर पड़ गया हो मगर अप्रैल वाले सभी कारक अभी भी बरकरार हैं जब पहली बार मॉनसून का पूर्वानुमान जारी किया गया था। उस वक्त बताया गया था कि ला नीना का प्रभाव दूसरे हिस्से में दिखेगा और इंडियन ओशन डायपोल (आईओडी) का प्रभाव सकारात्मक रहेगा।

जून में 16.6 सेंटीमीटर बारिश हुई है, जो देश भर में चार महीनों (जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर) में होने वाली कुल 87 सेंटीमीटर बारिश का 19.1 फीसदी है।

निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पालावत ने कहा, ‘अगले कुछ दिनों में मॉनसून झूम कर बरसेगा और पूरे मध्य प्रदेश एवं पूर्वी भारत के हिस्से में पहुंच जाएगा। साथ ही 27-28 जून तक इसके उत्तर भारत में भी पहुंचने की उम्मीद है। इसके साथ मौजूदा कमी की धीरे-धीरे पूर्ति होनी शुरू हो जाएगी और इससे मॉनसून के पूरे प्रदर्शन पर असर पड़ने की संभावना नहीं है।’

यहां तक कि भारतीय मौसम विभाग ने भी अपने हालिया पूर्वानुमान में पूर्वी भारत में बारिश फिर से शुरू होने और उत्तर भारत में धीरे-धीरे गर्मी कम होने की संभावना जताई है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की मजबूत वापसी और उसके बाद वर्षा आधारित इलाकों में अच्छी बारिश होना खेती के लिए जरूरी है, क्योंकि पिछले साल सामान्य से कम मॉनसून रहने की वजह से कृषि वृद्धि वित्त वर्ष 2024 में पांच वर्ष के निचले स्तर यानी केवल 1.4 फीसदी पर आ गया। इसके अलावा, मॉनसून की बारिश के कारण कई राज्यों के सूखे जलाशय भी भर जाएंगे, जिससे रबी फसलों की बोआई पर भी असर पड़ेगा।

मौसम विभाग ने मई के अंत में जारी किए अपने दूसरे चरण के पूर्वानुमान में इस साल के मॉनसून की बारिश सामान्य से अधिक रहने के अलावा कहा कि देश के वर्षा आधारित इलाकों में भी सामान्य से अधिक मॉनसून रहने की वजह से झमाझम बारिश हो सकती है।

First Published : June 19, 2024 | 11:18 PM IST