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Maratha Reservation: मराठा आरक्षण की चिंगारी से सहमा महाराष्ट्र, ओबीसी समाज ने भी दी चेतावनी

जरांगे के साथ लाखों प्रदर्शनकारी मुंबई की ओर आ रहे हैं। इससे कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठ सकता है।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- January 24, 2024 | 8:09 PM IST

Maratha Reservation: मराठा आरक्षण का मुद्दा सरकार के गले की फांस बन चुका है। आरक्षण की मांग पर अड़े मराठा मुंबई की तरफ बढ़ते आ रहे हैं। वह सरकार की कोई बात सुनने को तैयार नहीं है। वहीं, दूसरी ओर ओबीसी समाज सरकार को चेतावनी दे रहा है कि गलती से भी सरकार ने मराठाओं को ओबीसी कोटे से आरक्षण दिया तो 400 जातियां सड़क पर उतरेगी। वहीं अदालत ने जरांगे और पुलिस को नोटिस थमा दिया कि मुंबई की कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है।

फिर गर्म हो रहा मराठा आरक्षण का मुद्दा

महाराष्ट्र के जालना से शुक्रवार को शुरू हुआ मराठा विरोध मार्च पुणे पहुंच गया। यह मोर्चा 26 जनवरी को मुंबई पहुंचने वाला है। इस विरोध मार्च का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटिल अपनी बात को दोहराते हुए कहते हैं कि मैं बिना आरक्षण के वापस नहीं जाऊंगा। हम मुंबई में अपनी ताकत दिखाएंगे। यहां 2 से 2.5 करोड़ लोग जुटेंगे। जरांगे के मुताबिक, अगर सरकार आंदोलन को नजरअंदाज करती रही तो वे मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल करेंगे।

पांच हजार से ज्यादा लोगों को नहीं मिल सकती अनुमति

जरांगे के साथ लाखों प्रदर्शनकारी मुंबई की ओर आ रहे हैं। इससे कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठ सकता है। याचिकाकर्ता  वकील गुणत्न सदावर्ते ने मांग की कि अदालत को मुंबई में मनोज जरांगे के मार्च को अनुमति देने से इनकार कर देना चाहिए। न्यायमूर्ति अजय गडकरी ने सदावर्ते और राज्य के महाधिवक्ता रवींद्र सराफ की दलीलें सुनीं। इसके बाद अदालत ने मनोज जरांगे को उच्च न्यायालय में उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी किया जा रहा है। साथ ही पुलिस को जरांगे को नोटिस जारी करके कहने को कहा कि आजाद मैदान में 5 हजार से ज्यादा लोग नहीं आ सकते।

अदालती नोटिस के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए जरांगे ने कहा कि हमारे वकील भी कोर्ट जाएंगे। इसमें इतना डरावना क्या है? मुझे इसमें कुछ खास नहीं मिला। न्याय मंदिर के समक्ष जो पक्ष रखा, उससे उन्हें न्याय मिला। हम अपना पक्ष रखेंगे, न्याय के मंदिर का दरवाजा हमारे लिए भी खुला है। न्याय मंदिर हमें भी न्याय दिलाएगा।

ओबीसी समाज की चेतावनी

राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ ने आज संवाददाता सम्मेलन करके अपनी रणनीति जाहिर की। उनका कहना है कि यदि मराठो को ओबीसी कोटे से, सरकार आरक्षण देने की कोशिश करेगी तो लगभग 400 जातियां जो ओबीसी में आती है वह सड़कों पर उतर जाएंगी और पूरे महाराष्ट्र का घेराव करेगी।

राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बबनराव तायवाडे ने कहा कि ओबीसी समाज कभी भी नहीं चाहेगा कि मराठों को आरक्षण ओबीसी समाज से दिया जाए। सरकार ने ओबीसी समाज को लिखित आश्वासन दिया है कि मराठा को ओबीसी समाज के अंदर से रिजर्वेशन नहीं दिया जाएगा। यदि गलती से भी सरकार यह कदम उठाती है तो 400 जातियां सड़क पर आ जाएगी।

राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के उपाध्यक्ष किरण पांडव ने कहा कि ओबीसी समाज वेट एंड वॉच की भूमिका में है। जरांगे पाटिल ब्लैकमेलिंग का तरीका अपना रहे है। दो दिन में, एक दिन में, चार दिन में सरकार के निर्णय की बात करते हैं जो कि संभव नहीं है। पहले इसकी स्टडी होनी चाहिए यह संवैधानिक मांग है कि नहीं।

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लोकतंत्र में सभी को आंदोलन करने का अधिकार

ओबीसी समाज की चेतावनी पर मनोज जरांगे ने कहा कि आप 35 करोड़ के लिए मार्च करें। हमारे बारे में क्या है हमारी लड़ाई सरकार से है। कितने भी मोर्चे ले लो, हमारे पास कहने को कुछ नहीं है। हम कभी वैसा नहीं करते जैसा उन्होंने किया। विरोध का मतलब विरोध नहीं होता। लेकिन इंसानियत से काम लेना चाहिए। हमें एक दूसरे की भावनाओं को समझना चाहिए । लोकतंत्र ने सभी को मार्च करने का अधिकार दिया है ।

अदालत से रद्द हो चुका है मराठा आरक्षण

30 नवंबर 2018 को स्टेट बैकवर्ड क्लास कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर महाराष्ट्र विधानसभा में मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव पारित किया गया था। 3 दिसंबर 2018 को इस कानून को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई । 27 जून 2019 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठाओं को आरक्षण देने वाले कानून की संवैधानिक वैलिडिटी पर रोक लगा दी थी। हालांकि इसे 16 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने का सुझाव दिया गया था। 5 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार दे दिया था। एक बार फिर से 2023 के अगस्त से प्रदर्शन जारी है।

महाराष्ट्र में 33 फीसदी है मराठा

महाराष्ट्र में मराठा आबादी 33 फीसदी यानी कि 4 करोड़ है। इसमें से 90 से 95 फीसदी लोग भूमिहीन किसान हैं। रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में खुदकुशी करने वाले किसानों में से 90 फीसदी मराठा समुदाय से ही हैं। 1997 में मराठा संघ ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए पहला आंदोलन किया था। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मराठा उच्च जाति के नहीं बल्कि मूल रूप से कुनबी यानी कृषि समुदाय से जुड़े थे।

First Published : January 24, 2024 | 8:09 PM IST