मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़

चुनावी साल में शराब का मुद्दा गर्म

Published by
संदीप कुमार
Last Updated- February 28, 2023 | 12:28 PM IST

मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब की पेशकश की बात तो आमतौर पर सुनने को मिलती ही है लेकिन मध्य प्रदेश में चुनावी वर्ष में शराब का विरोध राजनीतिक रूप ले रहा है।

मध्य प्रदेश की नई प्रस्तावित आबकारी नीति पर जहां पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का प्रभाव इसका उदाहरण है वहीं एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमल नाथ ने कह डाला है कि शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश ‘मदिरा प्रदेश’ बन गया है क्योंकि यहां शराब सस्ती और अनाज महंगा है।

मुख्यमंत्री चौहान ने जवाब में कहा कि नाथ ने ऐसा कहकर प्रदेश के 8.5 करोड़ मासूम, मेहनतकश और देशभक्त लोगों का अपमान किया है। इसके जवाब में कमल नाथ और उनके मीडिया सलाहकार पियूष बबेले ने चौहान के एक पुराने ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किया जिसमें उन्होंने कहा था, ‘प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने मध्य प्रदेश को मदिरा प्रदेश में बदलने का विनाशकारी निर्णय लिया है। वे प्रदेश को शराब के नशे में डुबा देना चाहते हैं।’

नई आबकारी नीति के तहत प्रदेश सरकार ने प्रदेश में ‘अहाते’ और शॉप बार बंद करने का निर्णय लिया है। शराब के खिलाफ कड़ा रुख रखने वाली उमा भारती ने इस कदम के लिए प्रदेश सरकार की सराहना की और इसे ऐतिहासिक तथा क्रांतिकारी कदम बताया।

वरिष्ठ पत्रकार संदीप पौराणिक कहते हैं, ‘यह चुनावी वर्ष है और उमा भारती के कदमों के कारण सरकार दबाव में तो थी ही। वह शराब की दुकानों पर ईंट और गोबर भी फेंक चुकी हैं। राज्य सरकार ने चतुराईपूर्वक एक तरीका निकाला है ताकि भारती और प्रदेश की आधी आबादी यानी महिलाओं को संतुष्ट किया जा सके। शराब की बिक्री पर बिना कोई रोक लगाए ही एक संदेश दे दिया गया है।’

गत वर्ष दिसंबर में भारती ने लोधी समुदाय के एक आयोजन में कहा था, ‘मैं लोधी समुदाय को राजनीतिक बंधन से मुक्त करती हूं। चुनावी समय में मैं आऊंगी और हर किसी से कहूंगी कि भाजपा को वोट दो क्योंकि मैं अपनी पार्टी की वफादार सैनिक हूं। लेकिन मैं आपको भाजपा को वोट देने के लिए मजबूर नहीं करूंगी। मैं पार्टी से बंधी हुई हूं आप नहीं।’

लोधी समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग में आता है जो प्रदेश की आबादी में आधी हिस्सेदारी रखता है। बुंदेलखंड इलाके में जहां के ग्रामीण इलाकों में शराब एक बड़ा मुद्दा है वहां पिछड़ा वर्ग की आबादी चुनावों में काफी निर्णायक हैसियत रखती है।

First Published : February 28, 2023 | 11:36 AM IST