दस साल पहले लोगों से गैस सब्सिडी छोड़ने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील समय के साथ धूमिल पड़ती गई और आज उसे लगभग भुला ही दिया गया है। यह लगभग एक दशक पुरानी बात है जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने लोक कल्याण की लोकप्रिय योजना पहल-प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ यानी डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) पूरे देश में शुरू की थी। वैसे तो इसकी शुरुआत साल 2013 में ही 54 जिलों में हो गई थी, लेकिन बाद में जनवरी 2015 में इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया।
इसके बाद 27 मार्च, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊर्जा संगम वैश्विक ऊर्जा सम्मेलन के दौरान ‘गिव इट अप’ अभियान की शुरुआत की। इसमें धनी लोगों से अपनी इच्छा से एलपीजी सब्सिडी छोड़ने को कहा गया था ताकि इससे बचा पैसा सरकार गरीब परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन देने में खर्च कर उन्हें लकड़ी के चूल्हे और उसके धुएं से निजात दिला सके। इसके एक वर्ष बाद 1 मई 2016 को सरकार ने पीएम उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) शुरू की। इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की वयस्क महिला को फ्री में घरेलू गैस कनेक्शन देने की व्यवस्था की गई थी।
प्रधानमंत्री मोदी की अपील का असर यह हुआ कि एक साल के भीतर ही लगभग 1 करोड़ लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ दी और सिलिंडर के लिए अपनी मर्जी से पूरा पैसा देने लगे। लेकिन इसके बाद के वर्षों में इस अपील का प्रभाव कम होता गया। पीएमयूवाई वेबसाइट के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में आज की तारीख तक 1.15 करोड़ लोगों ने ही सब्सिडी का त्याग किया है।
पीएमयूवाई के तहत गरीब परिवारों को 8 करोड़ गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य सितंबर 2019 तक ही पूरा कर लिया गया था। इसके बाद इस योजना को आगे बढ़ाते हुए उज्ज्वला 2.0 अगस्त 2021 में शुरू की गई थी जिसमें 1.6 करोड़ और गरीब लोगों को गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। यह लक्ष्य भी दिसंबर 2022 तक हासिल कर लिया गया। इसके बाद सरकार ने 75 लाख और गैस कनेक्शन 2023-24 से 2025-26 की अवधि के दौरान बांटने का वादा किया। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने लोक सभा में पिछले सप्ताह एक सवाल के जवाब में बताया कि गैस कनेक्शन देने का यह अतिरिक्त लक्ष्य भी जुलाई 2024 तक सरकार ने पूरा कर लिया। पूरे देश में 1 जनवरी 2025 तक 10.33 करोड़ पीएमयूवाई कनेक्शन हो गए हैं।
पेट्रोलियम पर संसद की स्थायी समिति ने पिछले साल दिसंबर में कहा कि पीएमयूवाई के अंतर्गत मौजूदा वार्षिक एलपीजी सिलिंडर रिफिल दर 3.95 प्रति वर्ष है। यह दर गैर पीएमयूवाई वाले परिवारों (6.5 प्रति वर्ष) के मुकाबले बहुत कम है।
समिति ने कहा कि रिफिल दर जो 2019-20 में 3.01 प्रति वर्ष थी, वह 300 रुपये रिफिल सब्सिडी दिए जाने के बाद 2023-24 में 3.95 प्रति वर्ष पर पहुंच गई थी। लेकिन यह दर भी सरकार की हर साल सब्सिडी पर 12 सिलिंडर देने की नीति से बहुत कम है। समिति ने अपनी जांच में पाया कि सब्सिडी बढ़ने और रिफिल ज्यादा होने के बीच सीधा संबंध है। संसदीय समिति ने सिफारिश की कि पीएमयूवाई का उद्देश्य पूरा करने के लिए गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वाले सभी परिवारों को एलपीजी गैस कनेक्शन दिया जाए।
पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनालिसिस सेल द्वारा सर्वेक्षण के आधार पर वर्ष 2016 में पेश एक रिपोर्ट में एलपीजी अपनाने में लोगों को आ रही प्रमुख दिक्कतों को रेखांकित किया गया। जैसे उच्च कीमत, सिलिंडर रिफिलिंग की उच्च कीमत और जलाने की लड़की की आसानी से उपलब्धता ऐसे कारक हैं जिनसे लोग एलपीजी सिलिंडर इस्तेमाल करने से बचते हैं।