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मनरेगा के सालाना कोष का करीब 65 प्रतिशत कोष जल संरक्षण गतिविधियों और देश भर में अधिक जल दोहन वाले ब्लॉकों के लिए निर्धारित किया है। यह संयुक्त पहल केंद्रीय ग्रामीण मंत्रालय ने जल मंत्रालय के साथ की है।
इसके अलावा 2005 के मनरेगा अधिनियम के तहत देश भर में ‘अर्ध-गंभीर’ जल ब्लॉकों में मनरेगा बजट का 40 प्रतिशत खर्च करने के लिए भी निर्देश जारी किए गए हैं और 30 प्रतिशत कोष गैर-गंभीर ब्लॉकों में भी जल संरक्षण में इस्तेमाल होगा।
दिलचस्प बात यह है कि मनरेगा वेबसाइट के अनुसार वित्त वर्ष-25 में योजना के बजट का लगभग 66 प्रतिशत पहले ही एमडब्ल्यूसी ब्लॉकों में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर खर्च किया जा चुका था।
एमडब्ल्यूसी ब्लॉक जल संरक्षण अभियान के तहत पहचाने गए ब्लॉक हैं, जो वाटरशेड विकास कार्यक्रमों को लागू करने के लिए केंद्रित ध्यान और संसाधन प्राप्त करते हैं। इस बीच मनरेगा अधिनियम के तहत नवीनतम निर्देशों की घोषणा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल ने संयुक्त रूप से कृषि भवन में ‘जल सुरक्षा पर राष्ट्रीय पहल’ शुरू करते समय की थी।
चौहान ने कहा कि वित्त वर्ष-26 में 88,000 करोड़ रुपये के मनरेगा बजट में से 65 प्रतिशत ‘डार्क जोन’ जिलों के लिए, 40 प्रतिशत ‘अर्ध-गंभीर’ जिलों के लिए और 30 प्रतिशत अन्य जिलों के लिए वर्षा जल संचयन के लिए आवंटित किया गया है।