प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
श्रम मंत्रालय ने राज्यों को श्रम सुधार के वास्ते अधिक प्रेरित करने के लिए इस महीने की शुरुआत में आंतरिक समिति गठित की है। सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि यह समिति राज्यों को अपने मौजूदा श्रम कानूनों को चार नई श्रम संहिताओं के प्रावधानों के अनुरूप और अधिक श्रम कानून करने के लिए प्रेरित करेगी।
इस समिति में केंद्र और राज्यों दोनों का प्रतिनिधित्व होगा। यह मौजूदा श्रम कानूनों में सुधार के लिए सुझाव पेश करेगी ताकि वे नई श्रम संहिता की ‘भावना और प्रावधानों’ के अनुरूप मौजूदा श्रम कानूनों में सुधार के लिए सुझाव पेश करें। सूत्रों ने बताया, ‘सरकार सभी रूपों में श्रम सुधार को जारी करने के लिेए प्रतिबद्ध है ताकि कारोबार की सहजता हो, निवेश आकर्षित हो और नौकरियों के सृजन की सुविधा मिले। इस समिति में विभिन्न साझेदारों का प्रतिनिधित्व होगा और मौजूदा कानूनों जैसे फैक्टरी अधिनियम, दुकान व प्रतिष्ठान अधिनियम जैसे मौजूदा कानूनों के लिए सुझाव व संशोधन पेश किया जा सकें। ये उपबंध नई श्रम संहिता के अनुरूप होंगे और इससे श्रमिक व उद्योग दोनों लाभान्वित होंगे।’
संसद ने 2019-20 में श्रम कानून सुधार की प्रकिया के तहत 29 मौजूदा श्रम कानूनों को चार संहिताओं में शामिल किया। ये चार संहिताएं हैं – वेतन संहिता; सामाजिक सुरक्षा संहिता; व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व कार्यदशा संहिता और औद्योगिक संबंध संहिता। हालांकि विभिन्न श्रमिक समूहों के विरोध के कारण इन संहिताओं को अभी लागू नहीं किया गया है। सूत्रों ने बताया कि यह कदम सरकार ने श्रमिक यूनियनों से उलझे बिना श्रम सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए उठाया है। श्रमिक संगठनों ने श्रम सुधार के मुद्दे पर अड़ियल रुख अपना लिया था।