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Jharkhand Election 2024: गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी राज्य में प्रमुख मुद्दे, भाजपा और कांग्रेस नीत गठबंधन कर रहे बड़े ऐलान

भाजपा ने चुनाव में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (एजेएसयू) के साथ हाथ मिलाया है। राज्य में 13 और 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 तारीख को नतीजे आएंगे।

Last Updated- October 28, 2024 | 1:04 PM IST
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Jharkhand Election 2024: झारखंड में चुनावी बिसात बिछ चुकी है। अपने-अपने मोहरे चलने के लिए राजनीतिक दल तैयार हैं। गठबंधन बनाकर एक-दूसरे को मात देने की रणनीति बनाई जा चुकी है। मौजूदा समय में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस की सरकार है।

पिछले चुनाव में हार का मुंह देखने वाली भारतीय जनता पार्टी इस बार यहां अपना प्रदर्शन सुधारने और दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है। भाजपा ने चुनाव में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (एजेएसयू) के साथ हाथ मिलाया है। राज्य में 13 और 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 तारीख को नतीजे आएंगे।

मतदाताओं को लुभाने के लिए झामुमो सरकार ने मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना शुरू की है। इसके अंतर्गत 21 से 50 वर्ष आयु की पात्र महिलाओं को प्रति माह 1,000 रुपये दिए जा रहे हैं। इस योजना में फिलहाल 48,15,048 महिलाएं पंजीकृत हैं। इनमें से 45,36,597 महिलाओं को योजना का लाभ मिल रहा है।

इस योजना का विस्तार करते हुए सरकार ने ऐलान किया है कि दिसंबर से पात्र महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। सरकार ने यह कदम विपक्षी भाजपा द्वारा इस वादे के बाद उठाया है कि सत्ता में आने पर वह गोगो दीदी योजना लाएगी, जिसमें प्रत्येक महिलाओं को प्रति माह 2,100 रुपये दिए जाएंगे।

इस प्रकार की योजनाओं से राजकीय खजाने पर 9,000 करोड़ रुपये का भार पड़ने की संभावना है, लेकिन ऐसी पहल के लिए धन का इंतजाम करना बहुत बड़ी चुनौती साबित होगा, क्योंकि झारखंड की निजी करों से राजस्व संग्रह की हिस्सेदारी लगभग 30.8 प्रतिशत ही है।

इसके अतिरिक्त राज्य में दलित, आदिवासी और महिलाओं आदि वंचित तबकों के लिए पेंशन की आयु भी 60 वर्ष से घटा कर 50 वर्ष कर दी गई है। इससे भी खजाने पर बोझ बढ़ेगा। केंद्रीय पेंशन योजना के तहत भी राज्य सरकार 240.40 करोड़ रुपये का योगदान देती है, जिसमें पात्र लोगों को 1,000 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं।

पेंशन के अलावा राज्य सरकार वेतन और ब्याज भुगतान जैसी मदों में भी मोटी रकम खर्च करती है। इसलिए विकास के कार्यों पर निवेश के लिए उसके पास सीमित विकल्प बचते हैं। इस भारी दबाव के अलावा झारखंड पूंजीगत संपत्तियां पैदा करने पर अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक अपने आर्थिक संसाधनों का अधिक हिस्सा व्यय करता है।

वित्त वर्ष 2025 में पूंजीगत व्यय राज्य की अर्थव्यवस्था का 7.89 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। यह वित्त वर्ष 15 में 2.91 के मुकाबले लगभग तीन गुना है। तुलनात्मक रूप से अन्य राज्यों का पूंजीगत सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) अनुपात वित्त वर्ष 24 में लगभग 4.9 प्रतिशत था, जबकि झारखंड का 7.57 प्रतिशत था।

वित्त वर्ष 2021 में कोविड महामारी के दौर और वित्त वर्ष 15 को छोड़ दें तो राज्य का राजस्व अधिकांश वर्षों में अधिशेष ही रहा है। मौजूदा वित्त वर्ष में राज्य का राजस्व घाटा 2 प्रतिशत तक गिरने का अनुमान जारी किया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2021 में यह सबसे अधिक 5.2 प्रतिशत के स्तर पर था। लेकिन, ऋण से जीएसडीपी अनुपात उच्च स्तर पर बना हुआ है।

वित्त वर्ष 21 के बाद यह 30 प्रतिशत का स्तर पार कर 36 प्रतिशत तक दर्ज किया गया। महामारी से पहले भी इसमें लगातार वृद्धि हो रही थी। वित्त वर्ष 2019-20 में यह अनुपात 30.4 प्रतिशत था, जबकि उससे पहले के वर्ष में यह 27.4 प्रतिशत दर्ज किया गया था।

यह अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल है कि जिस राज्य का राजस्व अधिशेष हो ओर वित्तीय घाटा काबू में हो, वहां ऋण का भार इतना अधिक क्यों है। ऐसा प्रतीत होता है कि खासकर महामारी के दौरान और उससे एक साल पहले ऋण संग्रह का काम हल्का रहने के कारण राज्य के सिर पर ऋणों का बोझ बढ़ा है।

राज्य की वित्तीय हालत नाजुक होने के बावजूद भाजपा ने आगामी विधान सभा चुनाव में मतदाताओं को रिझाने के लिए पांच योजनाओं का ऐलान किया है। इनमें सभी परिवारों को 500 रुपये में रसोई गैस सिलिंडर दिया जाएगा। इसके अलावा साल में त्योहार के मौके पर दो सिलिंडर मुफ्त भी देने का वादा पार्टी कर रही है।

इसके अलावा स्नातक और परा-स्नातक युवाओं को दो साल तक प्रति माह 2,000 रुपये देने का वादा भी भाजपा कर रही है और अगले पांच साल में 5,00,000 नौकरियां पैदा करने का दावा कर रही है। इसके साथ ही पार्टी यह भी कह रही है कि यदि वह सत्ता में आई तो खाली पड़े 2,87,000 सरकारी पदों को भरेगी।

भाजपा इस चुनाव में बेरोजगारी का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है। जहां तक राज्य की बेरोजगारी दर का सवाल है तो यह वित्त वर्ष 23-24 (जुलाई-जून) में 1.3 प्रतिशत के स्तर पर दर्ज की गई थी। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत 3.2 प्रतिशत से बहुत कम है। झारखंड भले बेरोजगारी दर कम होने के लिए अपनी पीठ थपथपाता हो, लेकिन गरीबी अभी भी यहां की मुख्य चुनौती बनी हुई है।

वर्ष 2023 में जारी की गई नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबी के मामले में राज्य दूसरे नंबर पर है। राज्य के 28 प्रतिशत लोग अभावग्रस्त जीवन जी रहे हैं। इससे अधिक 33.7 प्रतिशत लोग केवल बिहार में ही गरीबी की मार झेल रहे हैं।

First Published - October 28, 2024 | 1:04 PM IST

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