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Year Ender 2023: G20 में धमक से बढ़ा भारत का कद

कूटनीतिक सफलताओं और कमजाेर देशों की हिमायत से 2023 में छाया रहा भारत

Last Updated- December 26, 2023 | 10:57 PM IST
India's stature increased with confidence in G20

Year Ender 2023: इस साल 9 सितंबर को जैसे ही भारत ने जी-20 देशों के नेताओं को दिल्ली घोषणापत्र पर राजी किया, कई लोग हैरत में पड़ गए। उन्हें भारत से इतनी बड़ी कूटनीतिक सफलता की उम्मीद नहीं थी। मगर भव्य भारत मंडपम कई दिन पहले से ही इस जश्न के लिए तैयार था मानो उसे पता हो कि यह क्षण आने ही वाला है।

पेचीदा वैश्विक परिस्थितियों और प्रतिकूल समीकरणों के कारण भारत के लिए यह काम और भी चुनौतीपूर्ण बन गया था। मगर तमाम आशंकाओं को धता बताकर भारत मंडपम के भीतर इसे अंजाम दे ही दिया गया और भारत ने समूह के सदस्य देशों के बीच दुर्लभ सहमति बना ली।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मानते हैं कि उस एक क्षण ने ही भारत का रुतबा बहुत बढ़ा दिया और वह खांचों में बंटी दुनिया को एक साथ रखने वाली ताकत बन गया। कूटनीतिक स्तर पर भारत की जो धमक पूरी दुनिया ने महसूस की थी वैसी शायद ही पहले कभी सुनी गई हो।

जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनैशनल अफेयर्स के श्रीराम चौलिया कहते हैं,’विवादों के बीच सहमति बनाने में भारत हमेशा से माहिर रहा है मगर इतने बड़े स्तर पर ऐसा पहले कभी कोई देश नहीं कर पाया है। दुनिया की नजरें एक साझी सोच का इंतजार कर रही थीं और हमने यह कर दिखाया। जी-20 ने उन सभी आलोचकों को खामोश कर दिया, जो कहते थे कि भारत सबके साथ मिलकर काम नहीं कर सकता।’

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मुख्य आर्थिक सलाहकार के कार्यालय ने हाल में ही कहा कि नई दिल्ली घोषणापत्र तैयार करना आसान नहीं था। दुनिया खाद्यान्न, ईंधन और धन की समस्या से जूझ रही है, नई वैश्विक चुनौतियां सिर उठा रही हैं और भू- राजनीतिक तौर पर भी दुनिया बंटी हुई है।

पूर्व राजदूत एवं विदेश नीति पर शोध करने वाली संस्था गेटवे हाउस के राजीव भाटिया कहते हैं,’नई दिल्ली घोषणापत्र कोई आम बयान नहीं था। इसके लिए गहरे सोच-विचार, गंभीर संवाद और लगातार काम करने की जरूरत थी। जी-20 से जुड़े कई कार्यक्रम पूरे देश में कराना बड़ी उपलब्धि रही, जिससे लोकतंत्र के रूप में हमारी साख और भी बढ़ गई।’

दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली देशों के नेता तो भारत मंडपम के तले जुटे ही थे, वहां अफ्रीकी देशों को भी जी-20 में शामिल कर लिया गया। इसके लिए भारत ने बहुत कोशिश की थी। पूर्व विदेश सचिव और परमाणु मामले तथा जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री के विशेष दूत रह चुके श्याम सरन कहते हैं,’अफ्रीकी संघ का जी-20 समूह में शामिल होना बड़ी सफलता है। इससे अफ्रीकी देशों में भारत का प्रभाव निश्चत रूप से बढ़ा है। साथ ही दुनिया में प्रमुख देश के रूप में भारत की भूमिका भी पुख्ता हुई है।’

जी-20 शिखर सम्मेलन के केंद्र में आर्थिक मामले थे मगर उम्मीद की जा रही थी कि रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके बाद इजरायल-हमास संघर्ष जैसे भू-राजनीतिक तनाव दूर करने में भी यह अहम भूमिका निभाएगा। भू-राजनीतिक संकट पर प्रयोग हो रही भाषा संयुक्त बयान की राह में सबसे बड़ी बाधा बन रही थी।

भाटिया ने कहा,’भारत को अपने घरेलू हितों का ध्यान रखते हुए यूक्रेन मसले से निपटना था। उसे रूस की गरिमा भी बनाए रखनी थी। यह काम नामुमकिन लग रहा था और बहुत मुश्किल था।’इसके बाद भारत ने विकासशील देशों की आवाज बनने की कोशिश की, जिस कारण उसे इस क्षेत्र में भरपूर समर्थन मिला।

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कुछ विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं कि भारत के इस रुख के कारण जी-20 खास देशों का समूह बने रहने के बजाय विकास संगठन बन गया है। जी-20 शिखर बैठक में बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने, वैश्विक कर्ज के जोखिम से निपटने, क्रिप्टो परिसंपत्तियों को कायदे में लाने और भविष्य में बनने वाले शहरों के लिए जरूरी धन का इंतजाम करने जैसे कई मुद्दों पर बात हुई। मगर उन मसलों पर जोर दिया गया, जो विकासशील देशों के लिए ज्यादा मायने रखते हैं।

चौलिया ने कहा कि जो देश जी-20 के सदस्य नहीं हैं, उनके लिए यह बड़ी उपलब्धि है।

First Published - December 26, 2023 | 10:57 PM IST

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