भारत

भारत का मार्केट कैप-GDP अनुपात सर्वाधिक स्तर के करीब, देश उभरते बाजारों से आगे

बीएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण पिछले 12 महीनों में लगभग 24 फीसदी बढ़ा है।

Published by
कृष्ण कांत   
Last Updated- December 08, 2024 | 10:28 PM IST

शेयर बाजार में हालिया गिरावट के बावजूद भारत का बाजार पूंजीकरण और जीडीपी अनुपात ऊंचे स्तर पर बरकरार है। मंगलवार को यह अनुपात 147.5 फीसदी था जो दस साल के औसत अनुपात 94 फीसदी से 56 फीसदी ज्यादा है। मौजूदा बाजार पूंजीकरण और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात इस साल सितंबर के अंत में 154 फीसदी के सर्वकालिक उच्चस्तर से थोड़ा ही कम है।

मौजूदा अनुपात दिसंबर 2007 और इस साल सितंबर के बाद तीसरा सर्वोच्च आंकड़ा है। बीएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण पिछले 12 महीनों में लगभग 24 फीसदी बढ़ा है जबकि मौजूदा मूल्यों पर भारत के सालाना सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.5 फीसदी की सालाना वृद्धि हुई है, जिसे नॉमिनल जीडीपी भी कहा जाता है।

तुलना करें तो दिसंबर 2023 के अंत में अनुपात 126.4 फीसदी और दिसंबर 2022 के अंत में 107.2 फीसदी था। कोविड-19 के दौरान मार्च 2020 में बाजार में बिकवाली के समय यह अनुपात घटकर 11 साल के निचले स्तर 56.5 फीसदी पर आ गया था। इस साल सितंबर में अपने चरम पर बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 474.4 अरब रुपये तक पहुंच गया था।

सितंबर 2024 में समाप्त वर्ष के दौरान भारत का नॉमिनल जीडीपी बढ़कर 307.9 लाख करोड़ रुपये (लगभग 3650 अरब डॉलर) हो गया। यह सितंबर 2023 को समाप्त वर्ष के दौरान 281.2 लाख करोड़ रुपये (लगभग 3500 अरब डॉलर) था। इसकी तुलना में बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण दिसंबर 2023 के अंत में 364.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मंगलवार को 453.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

भारत का बाजार पूंजीकरण अप्रैल-जून 2023 तिमाही से लगातार सात तिमाहियों में देश के जीडीपी की तुलना में तेज गति से बढ़ा है। यह 2005-2007 की अवधि के बाद बाजार पूंजीकरण और सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के लिए दूसरा सबसे लंबा बढ़त का सिलसिला है। तब बाजार पूंजीकरण लगातार 13 तिमाहियों तक देश के सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में तेजी से बढ़ा था।
भारत का मार्केट कैप और जीडीपी अनुपात प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे उच्चस्तर में से एक है। भारत में यह अनुपात चीन, मैक्सिको और ब्राजील जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बजाय उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के विकसित बाजारों के करीब है।

विश्लेषक अन्य उभरते बाजारों की तुलना में ज्यादा इक्विटी मूल्यांकन को भारत के उच्च अनुपात का श्रेय देते हैं।

First Published : December 8, 2024 | 10:28 PM IST