भारत और चीन तनाव कम करने और दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने के लिए आर्थिक एवं व्यापार मामलों सहित कई मसलों पर विचार-विमर्श करने के लिए तैयार हैं। बातचीत वाले प्रमुख मसलों में चीन द्वारा दुर्लभ खनिजों पर निर्यात पर लगाई गई रोक शामिल है। इस प्रतिबंध के कारण भारत के वाहन उद्योग पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं।
केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रथाओं के अनुरूप आपूर्ति श्रृंखला बढ़ाने के लिए चीन पर दबाव डाला है। इसी क्रम में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने चीन के उप विदेश मंत्री सन वेईडोंग से मुलाकात की, जो दो दिवसीय यात्रा पर यहां आए थे। हालांकि, यात्रा शुक्रवार को खत्म हो गई। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों ने खासतौर पर चीन द्वारा अप्रैल में दुर्लभ खनिजों से संबंधित वस्तुओं पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंध के मसले पर बातचीत की। उल्लेखनीय है कि निर्यात प्रतिबंध चीन के वाणिज्य मंत्रालय और सामान्य सीमा शुल्क प्रशासन ने लगाया था। सूत्रों ने बताया कि बातचीत के बाद उम्मीद की जा रही है कि आर्थिक और व्यापार सहयोग के लिए एक व्यापक ढांचे पर भी बातचीत जारी रहेगी।
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि दोनों देश चिंता वाले मसलों पर चर्चा करने और उसके समाधान के लिए आर्थिक और व्यापार क्षेत्रों सहित कुछ कार्यात्मक बातचीत करने के लिए तैयार हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि सन और मिस्री ने द्विपक्षीय बातचीत और सहयोग के साथ-साथ आपसी हित के अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मसलों पर गहन बातचीत की है। इससे पहले, सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने इशारा किया था कि दुर्लभ खनिजों खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण के लिए जरूरी दुर्लभ मैग्नेट पर सफलता मिल सकती है।
इस बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने पुष्टि की थी कि भारत नई दिल्ली और पेइचिंग दोनों जगह चीन के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है। चीन में भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने भी बीते 5 जून को पेइचिंग में सन से मुलाकात की थी, जिसमें दोनों देशों ने साझा हित और अन्य मसलों पर बातचीत की थी। चीन के विदेश मंत्रालय के हवाले से यह जानकारी मिली थी।
उल्लेखनीय है कि सन की भारत की यात्रा विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री की चीन यात्रा के छह महीने बाद हुई है, जिससे दो एशियाई पड़ोसियों के बीच स्थगित द्विपक्षीय आदान-प्रदान को फिर से शुरू करने में मदद मिली।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा था, ‘हम वैश्विक औद्योगिक और आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थिरता को संयुक्त रूप से बनाए रखने के लिए संबंधित देशों और क्षेत्रों के साथ बातचीत और सहयोग बढ़ाने के इच्छुक हैं।’