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भारत को तुर्किये-पाकिस्तान सहयोग पर चिंता, कूटनीतिक रिश्तों पर असर पड़ने की संभावना

एक संबंधित घटनाक्रम में कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बुधवार को भारतीय नागरिकों का आह्वान किया कि वे तुर्किये और अजरबैजान की यात्रा पर जाना बंद करें।

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अर्चिस मोहन   
भास्वर कुमार   
Last Updated- May 14, 2025 | 10:53 PM IST

भारत ने कहा है कि वह ऑपरेशन सिंदूर के पहले और उसके दौरान तुर्किये द्वारा पाकिस्तान को दिए गए कूटनयिक और रक्षा संबंधी सहयोग से चिंतित है। उम्मीद है कि वह इस विषय पर हमारी चिंताओं पर गंभीरता से गौर करेगा। यह पूछे जाने पर की क्या भारत तुर्किये द्वारा पाकिस्तान को सैन्य सामग्री उपलब्ध कराने के मुद्दे को उठाएगा, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मंगलवार को वे प्रमाण सामने रखे जो रक्षा सेवाओं के प्रमुखों ने सोमवार को प्रस्तुत किए थे। 

मिलिट्री ऑपरेशंस के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, एयर ऑपरेशंस के डायरेक्टर जनरल एयर मार्शल एके भारती और नवल ऑपरेशंस के डायरेक्टजर जनरल वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन के दौरान तुर्किये में बने बायकर वाईआईएचए 3 कामिकाजे ड्रोन के फोटो प्रमाण प्रस्तुत किए थे, जिन्हें पाकिस्तान से छोड़ा गया था और जिन्हें भारतीय सेना ने मार गिराया। उनकी बरामदगी के बाद जांच में उनके तुर्किये में बने होने के प्रमाण मिले।

जायसवाल ने कहा, ‘मैं कहूंगा कि हमने इस बात पर ध्यान दिया है। मैं इस बारे में आपका ध्यान सोमवार को रक्षा ब्रीफिंग में की गई टिप्पणियों की ओर दिलाना चाहता हूं।’ सरकारी सूत्रों के मुताबिक तुर्किये जहां मित्र राष्ट्र बना हुआ है, वहीं वह पाकिस्तान को निरंतर मदद कर रहा है। इससे भारत के साथ उसके रिश्तों पर असर पड़ेगा। भारत में काम कर रही तुर्किये की कंपनियां भी इससे बच नहीं सकेंगी।

शिव सेना (उद्धव ठाकरे गुट) जैसे राजनीतिक दलों ने पहले ही धमकी दी है कि वे मुंबई एयरपोर्ट समेत देश के कई हवाई अड्डों का काम संभाल रही तुर्किये की कंपनियों को बाहर करने की मांग के साथ प्रदर्शन करेंगी। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के थिंक टैंक स्वदेशी जागरण मंच ने बुधवार को सरकार से मांग की है कि वह तुर्किये पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए, उसके साथ नागर विमानन संपर्क निलंबित करे, भारत से वहां जाने वाले पर्यटकों को हतोत्साहित करे और कूटनयिक संबंधों का भी नए सिरे से आकलन किया जाए। संगठन ने कहा कि पाकिस्तान के साथ उसका अपवित्र गठजोड़ भारत की सुरक्षा के साथ समझौता है।

मार्च 2022 में टर्किश एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख आइकर आयसी ने एयर इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी का पद संभालने से इनकार कर दिया था। उन्होंने इसके लिए भारत के राजनीतिक विवादों का हवाला दिया था। उस समय भी स्वदेशी जागरण मंच ने  उनकी नियुक्ति को लेकर आशंकाएं जताई थीं। उसके राष्ट्रीय समन्वयक अश्वनी महाजन ने कहा था कि विमानन उद्योग की तुलना वेफर्स निर्माता से नहीं की जा सकती है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। उसने तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के साथ आयसी के रिश्तों की ओर भी संकेत किया था।

एक संबंधित घटनाक्रम में कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बुधवार को भारतीय नागरिकों का आह्वान किया कि वे तुर्किये और अजरबैजान की यात्रा पर जाना बंद करें। उसने कहा कि चीनी उत्पादों के बहिष्कार के उसके देशव्यापी अभियान को उल्लेखनीय सफलता मिली है और वह इस अभियान को तुर्किये तथा अजरबैजान तक बढ़ाना चाहता है। संगठन शुक्रवार को इस बारे में आगे निर्णय लेगा। भारतीय जनता पार्टी के नेता और दिल्ली की चांदनी चौक सीट के सांसद प्रवीण खंडेलवाल कैट के अध्यक्ष हैं।

बुधवार को महाजन ने कहा कि यह दुखद है कि तुर्किये ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा तक नहीं की। उन्होंने कहा, ‘फरवरी 2023 में तुर्किये में आए भूकंप के समय भारत उन शुरुआती देशों में शामिल रहा, जिन्होंने ऑपरेशन दोस्त की शुरुआत की थी और बचाव टीम तथा राहत सामग्री वहां भेजी थी।’ 

फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एंप्लॉईज (एफडब्लयूआईसीई) ने भी भारतीय कलाकारों और निर्माताओं से अपील की कि वे तुर्किये में शूटिंग न करें। यह संगठन मीडिया और मनोरंजन उद्योग में 36 कलाओं के कर्मियों, कलाकारों और तकनीकों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है।

तुर्किये और अजरबैजान ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी अधोसंरचनाओं पर भारत के हमले की निंदा की थी। पाकिस्तान ने भारत के साथ संघर्ष में तुर्किये में बने ड्रोन भी इस्तेमाल किए थे।

रायटर्स में रविवार को लंदन से प्रकाशित एक खबर के मुताबिक तुर्किये के वित्त मंत्री मेहमत सिमसे ने यूरोपियन बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन ऐंड डेवलपमेंट की सालाना बैठक में कहा कि हाल के वर्षों के भू-राजनैतिक तनावों ने तुर्किये की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इस बात के मजबूत संकेत हैं कि भू-राजनीति एक ऐसे कारक में बदल सकती है, जो तुर्किये की मदद कर सके।’ उनका इशारा सीरिया के घटनाक्रम, रूस और यूक्रेन के बीच शांति तथा कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी नामक उग्रवादी समूह के विघटन के निर्णय की ओर था।

इस बीच, जेएनयू ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए तुर्किये के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ अकादमिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) को स्थगित कर दिया है। बीते फरवरी में तीन साल के लिए हुए समझौते के तहत, संकाय और छात्र आदान-प्रदान समेत अन्य कार्यक्रमों की योजना थी।

First Published : May 14, 2025 | 10:34 PM IST