रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने बताया कि भारत की रक्षा खरीद नीति में अगले छह माह से एक वर्ष के दौरान सुधार किया जाएगा। भारत की रक्षा खरीद नीति की देरी और अक्षमता के कारण आलोचना होती है। रक्षा मंत्रालय के वर्ष 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ मनाने की घोषणा के क्रम में रक्षा सचिव का यह वक्तव्य आया है। रक्षा मंत्रालय ने दिसंबर में घोषणा की थी कि 2020 की रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) वर्ष 2025 में ‘पूरी तरह बदले जाने की उम्मीद’ है। सिंह ने रक्षा खरीद नीति को टूटा हुआ करार देते हुए कहा कि यह आमतौर पर समयसीमा को पूरा नहीं करती है।
उन्होंने कहा कि यह सुधार समय-सीमा को सुचारु करने और खरीद को प्रक्रिया को दुरुस्त करने पर केंद्रित होगी। सिहं ने सुधारों में खरीद प्रक्रिया के दीर्घकालिक मुद्दे समयसीमा को सुचारु करने पर जोर दिया। सिंह ने 21वीं सुब्रत मुखर्जी संगोष्ठी ‘एयरोस्पेस में आत्मनिर्भरता : आगे का रास्ता’ में कहा कि भारत की रक्षा खरीद प्रणाली टूटी हुई और देरी करने से ग्रस्त है। उनके वक्तव्य के हिस्से को एक संवाद समिति ने एक्स पर साझा किया है।
सिंह ने कहा, ‘हमारी खरीद प्रक्रिया लंबे समय से टूटी हुई है। यह सच है – हम समय पर काम नहीं कर पा रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमें अपने को जो समयसीमा दे रहे हैं, वह बेहद आरामदायक है।’ उन्होंने इंगित किया, ‘आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) के लिए जाने से पहले समय पर आवेदन प्रस्ताव (आरपीएफ) जैसी बुनियादी बातें भी समय पर पूरी नहीं की जा रही थीं।’
सिंह ने इंगित किया कि आमतौर पर जरूरतें ‘स्वर्ण तश्तरी’ में पेश की जाती थीं- इनकी विशिष्टताएं आमतौर पर अत्यधिक महत्त्वाकांक्षी या कठोर होती थीं – मूल्यांकन प्रक्रिया अत्यधिक लंबी होती थी। उन्होंने कहा, इस बोझिल प्रक्रिया के बारे में बात करने का समय आ गया है। हमें अलग तरीका अपनाना है। उन्होंने कहा कि हम खरीद की प्रक्रिया को अगले छह महीने से एक साल में पूरा करेंगे।