भारत सरकार चीन से आने वाले घटिया स्टील (substandard steel) के बढ़ते आयात के मद्देनजर सख्त गुणवत्ता मानकों (strict quality standards) को और व्यापक बनाने पर विचार कर रही है। यह खबर इकनॉमिक टाइम्स (ET) ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से दी है।
भारत का यह निर्णय अक्टूबर की शुरुआत में इस्पात मंत्रालय की तरफ से किए गए एक विस्तृत समीक्षा के बाद लिया गया है। समीक्षा में ग्लोबल लेवल पर ट्रेड डायवर्जन की वजह से इस क्षेत्र पर बढ़ते खतरे को उजागर किया गया था।
चालू वित्त वर्ष (FY25) के पहले पांच महीनों में, भारत स्टील का शुद्ध आयातक बन गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में देश ने 3.45 मिलियन टन (MT) स्टील का आयात किया, जबकि 1.92 MT का निर्यात किया गया।
आयात में यह बढ़ोतरी वैश्विक उत्पादकों (global producers) की तरफ से नए बाजारों की तलाश के कारण हुई है। ग्लोबल प्रोड्यूसर्स इसलिए नए बाजारों की तलाश कर रहे हैं क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) ने टैरिफ बढ़ा दिया है और इस दौरान मांग भी कमजोर हुई है। इसके चलते भारत में स्टील डंपिंग का जोखिम बढ़ गया है।
सरकार का गुणवत्ता जांच को कड़ा करने का उद्देश्य स्टील आयात की बाढ़ को रोकना है। वर्तमान में, कई स्टील ग्रेड को इस्पात मंत्रालय की तरफ से जारी ‘नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) के आधार पर आयात की अनुमति दी जाती है, भले ही पहले से गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) लागू हों।
हालांकि, अब अधिकारियों का कहना है कि आगे से केवल उन्हीं स्टील ग्रेड्स के लिए NOC जारी की जाएगी, जिनका स्थानीय उत्पादन नहीं होता। इससे ऐसे स्टील का आयात रुकने की उम्मीद है जो भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुरूप नहीं है।
इस्पात मंत्रालय ने 151 QCOs के तहत 1,279 स्टील ग्रेड के लिए मानदंड जारी किए हैं, लेकिन 1,127 ग्रेड्स को NOC के साथ आयात की अनुमति दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, इस खामी को दूर किया जाएगा और QCOs का दायरा बढ़ाया जाएगा ताकि अधिक स्टील ग्रेड्स को कवर किया जा सके।
भारत सालाना लगभग 4 लाख टन गैर-BIS मानकों के अनुरूप स्टील (non-BIS-compliant steel) आयात करता है, जिसकी कीमत लगभग 4,200 करोड़ रुपये है। पिछले साल अक्टूबर में, सरकार ने पहले ही यह अनिवार्य कर दिया था कि BIS की तरफ से मंजूर नहीं किए गए किसी भी स्टील आयात को इस्पात मंत्रालय से क्लियरेंस लेनी होगी।
समीक्षा प्रक्रिया के तहत, इस्पात मंत्रालय ने उद्योग के हितधारकों (industry stakeholders) से बातचीत की है, खासकर चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से बढ़ते स्टील आयात को लेकर चिंता के बीच। दूसरे देशों ने भी अपने स्टील उद्योगों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं।
उदाहरण के लिए, अमेरिका और कनाडा ने 25% सेफगार्ड ड्यूटी लगाई है, जबकि यूरोपीय संघ (EU) ने एक निर्धारित कोटा से अधिक पर यही ड्यूटी लगाई है। तुर्किये, इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम और जापान जैसे देशों ने भी रक्षात्मक उपाय (protective measures) अपनाए हैं।
पिछले महीने, सरकार ने चीन से आयातित कोल्ड-रोल्ड नॉन-ओरिएंटेड इलेक्ट्रिकल स्टील पर डंपिंग-रोधी जांच शुरू की। यह कदम दक्षिण कोरिया और ताइवान के स्टीलमेकर्स की तरफ से की गई शिकायतों के बाद उठाया गया, जो भारत में अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से काम कर रहे हैं। यह जांच घरेलू स्टील उद्योग को अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।