Finance Minister Nirmala Sitharaman (File Photo)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मेघालय के शिलांग में वार्ड्स लेक के हरे-भरे मैदान में उद्यमी मार्क लैटफ्लैंग स्टोन के साथ आपसी बातचीत में कहा कि उनके मूल मूल्यों में से एक यह है कि वह केवल उस बात पर टिके रहती हैं, जिस पर उन्हें पूरा भरोसा होता है। कुछ लोग जरूर उनके इस नजरिए को कठोर मान सकते हैं। सीतारमण ने स्टोन के साथ अपने शिक्षिका रहने के जमाने से लेकर मंत्री के रूप में अपनी यात्रा तक तमाम मुद्दों पर बात खुल कर बात की।
उन्होंने कहा, ‘लोग मुझसे कभी-कभी पूछते हैं कि आप इस पर इतनी कठोर क्यों हैं, उस पर इतनी कठोर क्यों हैं। यह कठोरता नहीं है। मैं केवल उस बात पर टिकी हुई हूं जिस पर मैं बहुत दृढ़ता से विश्वास करती हूं, खासकर यदि आपको देश की सेवा करने का अवसर दिया गया है। मैं इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं देती।’ राजनेता बनने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हैदराबाद में एक स्कूल के संस्थापकों में शामिल थीं। उन्होंने उन दिनों को याद किया और कहा कि जो लोग उनके बारे में जानते हैं, वे आज भी उन्हें ‘निर्मला मैम’ कहकर पुकारते हैं। उन्होंने कहा, ‘वह मेरा सबसे संतोषजनक समय था।’
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सीतारमण ने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी की स्कूली शिक्षा के शुरुआती वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश किया। उन्होंने कहा, ‘यह परिवार में एक दिनचर्या बन गई और उन्होंने कहा कि आप एक स्कूल क्यों नहीं चलातीं।
इस पर मैंने कहा, क्यों नहीं।’ मंत्री ने एक शिक्षक के रूप में अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे उसी कक्षा में हों, जिसमें अन्य बच्चे बैठते हैं। इसके अलावा वह छात्रों को तिब्बत, हिमाचल प्रदेश और गुजरात की यात्राओं पर भी ले गईं।
सीतारमण ने अपनी टीम के उत्साह के बारे में भी बात की और बताया कि कैसे वे अक्सर उनकी प्राथमिकताओं और उद्देश्यों को एक अलग तरीके से अपनाने के लिए तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी टीम सरकारी दल का हिस्सा होने के कारण मुश्किल स्थिति के बारे में सचेत रहती है, क्योंकि इसमें अपनी सीमाएं होती हैं। सीतारमण ने कहा, ‘मैं अपने प्रदर्शन के लिए अपनी टीम पर निर्भर रहती हूं। मैं उन्हें पहचानने में कभी नहीं हिचकिचाऊंगी।’ सीतारमण ने कहा, ‘बाधा केवल तभी होती है जब उन्हें वह पाने के लिए घर से बहुत दूर जाना पड़ता है जो वे अन्यथा घर पर पा सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि हर पूर्वोत्तर राज्य केवल सड़कों और पुलों के निर्माण में ही नहीं, बल्कि अपने युवाओं को अवसर और सही कौशल देने में भी एक भौतिक लाभ देखता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को एक बड़ा उत्प्रेरक बनाने पर उन्होंने जो लाभांश रखा है, वह युवाओं के उत्साह और सरकार के यह कहने में दिखाई दे रहा है कि यह सबसे अच्छा तरीका है। यह मैं सभी आठ राज्यों में समान रूप से देखती हूं।