एआई 171 हादसे की जांच अब दूसरे चरण में प्रवेश कर गई है और वैश्विक विमानन क्षेत्र के लोग इस पर नजर बनाए हुए हैं। 1
Air India Plane Crash: एआई 171 विमान हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद बोइंग की ओर से किसी तात्कालिक कदम की आवश्यकता नहीं है और किसी भी जरूरी बदलाव पर केवल तभी विचार किया जा सकता है जब जांच पूरी हो जाए और औपचारिक अनुशंसाएं जारी हो जाएं। ये बातें बुधवार को इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के महानिदेशक विलियम एम. वाल्श ने कहीं। उन्होंने समय पर एक विस्तृत प्रारंभिक रिपोर्ट जारी करने के लिए भारत सरकार की तारीफ भी की। संस्था आईएटीए से 350 से अधिक कंपनियां संबद्ध हैं और 120 से अधिक देश इसके सदस्य हैं।
सिंगापुर में मीडिया के साथ बातचीत में वाल्श ने कॉकपिट के भीतर वीडियो रिकॉर्डिंग के विचार का समर्थन किया और कहा कि ऐसी फुटेज दुर्घटना की जांच करने वालों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती हैं। अतीत में पायलट रह चुके वाल्श ने स्वीकार किया कि पायलट कॉकपिट वीडियो निगरानी का विरोध करते हैं लेकिन आधुनिक कॉकपिट्स को अलग थलग रखने पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि वॉइस रिकॉर्डिंग के अलावा वीडियो रिकॉर्डिंग होने से जांचकर्ताओं को सहायता मिलेगी।
एआई 171 हादसे की जांच अब दूसरे चरण में प्रवेश कर गई है और वैश्विक विमानन क्षेत्र के लोग इस पर नजर बनाए हुए हैं। 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रहा यह विमान उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और इसमें सवार 241 लोगों और जमीन पर 19 लोगों की मौत हो गई थी। भारत के एएआईबी द्वारा 12 जुलाई को जारी प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया था कि विमान के दोनों फ्यूल स्विच्स उड़ान भरते ही बंद हो गए थे। जांच इसकी वजह नहीं बता सकी।
पायलटों की मानसिक सेहत के बारे में वाल्श ने जोर दिया कि विमानन उद्योग में पहले ही पायलट चुनते समय मनोवैज्ञानिक आकलन का चलन है। इसके अलावा समय-समय पर चिकित्सा आकलन किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘मानसिक स्वास्थ्य एक वैश्विक मुद्दा है और यह केवल पायलटों से संबंधित नहीं है।’ उन्होंने 2015 के जर्मनविंग्स हादसे का जिक्र करते हुए कहा कि उद्योग जगत ने तब से अतिरिक्त उपाय अपनाने शुरू कर दिए हैं और इनमें लगातार सुधार हो रहा है।
वह 2015 की जर्मनविंग्स उड़ान 9525 के हादसे का जिक्र कर रहे थे जहां को-पायलट आंद्रियास लुबित्ज ने जानबूझकर एयरबस ए320 को एल्पस पर्वत शृंखला से टकरा दिया था और विमान में सवार सभी 150 लोगों की मौत हो गई थी। लुबित्ज को आत्मघाती प्रवृत्तियों का इलाज ले चुके थे और उनके चिकित्सकों ने उन्हें उड़ान भरने के अयोग्य घोषित किया था। परंतु उन्होंने खुद विमानन कंपनी से यह बात छिपाए रखी।
वाल्श ने शीघ्र और विस्तृत प्राथमिक रिपोर्ट जारी करने के लिए भारतीय अधिकारियों की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘मैं भारत सरकार और एएआईबी की सराहना करता हूं कि उन्होंने प्राथमिक रिपोर्ट जारी की। यह अनुमान से अधिक विस्तृत थी। अभी तक बोइंग या जीई को कोई आधिकारिक अनुशंसा नहीं की गई है और मुझे लगता है इस मामले से अच्छी तरह निपटा गया है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या जांच के निष्कर्षों के बाद बोइंग को अपने विमानों या कलपुर्जों में बदलाव करना चाहिए, वाल्श ने अपरिपक्व निष्कर्ष निकालने को लेकर चेतावनी देते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता है कि ऐसा किया जाना चाहिए। मुझे लगता है कि हमें अंतिम रिपोर्ट की प्रतीक्षा करनी चाहिए। मैं कोई अटकल नहीं लगाना चाहता। जांचकर्ताओं को अपना काम करने के लिए पूरा समय मिलना चाहिए।’
वाल्श की बातें अमेरिका और ब्रिटेन के नियामकों से मेल खाती हैं। उन दोनों ने कहा है कि ऐसी कोई तकनीकी समस्या नहीं है कि बोइंग विमानों पर कार्रवाई की जाए। अमेरिकी फेडरल एविएशन अथॉरिटी और ब्रिटेन के नागर विमानन प्राधिकरण ने अनिवार्य निरीक्षण की जरूरत से इनकार किया है जबकि भारत के नागर विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए और दक्षिण कोरिया के परिवहन मंत्रालय ने एआई 171 की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के बाद बोइंग विमानों के फ्यूल स्विच की जांच के आदेश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ विमानन कंपनियों ने स्वतंत्र रूप से यह निर्णय लिया है कि वे ईंधन कट ऑफ स्विच की जांच करेंगी। उन्होंने इसे समझदारी भरा कदम बताया। हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि आईएटीए या नियामकों ने अब तक ऐसे किसी कदम को अनिवार्य नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अंतिम रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि वह हादसे के हर पहलू की पड़ताल करेगी।