केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के सदस्यों वाली समिति ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के नियमन पर नजर रखने के लिए अंतर-मंत्रालयी निकाय स्थापित करने की सिफारिश की है। जानकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
एक सूत्र ने कहा कि पिछले महीने सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट में समिति ने एआई के नियमन के लिए ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ पर अमल की सिफारिश की थी जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ हर मंत्रालय की भी भूमिका हो।
समिति की सिफारिशों में उन मामलों में कंपनियों के लिए डिसक्लोजर के प्रावधान की पेशकश की गई है जहां एआई प्लेटफॉर्म/मॉडल उपयोगकर्ता को नुकसान पहुंचाता हो।
सूत्र ने कहा. ‘अगर आप एल्गोरिद्मिक ट्रेडिंग का उदाहरण देखें और जिस तरह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) इसका नियमन करता है और जब तक कि कुछ गलत नहीं होता, वह कंपनियों को अपने स्वामित्व वाली प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देता है।
अगर कुछ गड़बड़ी होती है तो आपको इसका खुलासा करना होता है कि क्या गड़बड़ी हुई है।’ समिति ने एआई नियमन के लिए अपने प्रस्तावों में भी कुछ इसी तरह की सिफारिशें की हैं।
सूत्र ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, दूरसंचार विभाग और नीति आयोग सहित सरकारी मंत्रालयों के प्रतिनिधि इस समिति का हिस्सा थे।
प्रस्तावित डिजिटल इंडिया अधिनियम में क्वांटम कंप्यूटिंग और ब्लॉकचेन जैसे अन्य क्षेत्रों के अलावा एआई और इससे जुड़े नियमों पर एक अध्याय होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि आम चुनाव के बाद इस अधिनियम को सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए रखा जाएगा।