राज्यसभा के नेता पीयूष गोयल ने विदेश यात्रा के दौरान भारत के लोकतंत्र की आलोचना करने के लिए विपक्षी दल कांग्रेस खासकर उसके नेता राहुल गांधी को निशाने पर लिया जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रक्रियात्मक और राजनीतिक आधार पर सरकार के आरोपों का खंडन किया।
बहस इतनी ज्यादा बढ़ गई कि राज्यसभा का सत्र भोजनावकाश से पहले ही दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया। लोकसभा में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही तय समय से पहले ही स्थगित कर दी गई। इसका नतीजा यह हुआ कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट का मुद्दा उठाने और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाए जाने की विपक्ष की मांग पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
गोयल ने कहा, ‘पूरे देश ने देखा कि कैसे एक विपक्षी नेता ने विदेश की धरती पर भारतीयों की भावनाओं को आहत किया। उन्हें देश और हर भारतीय से माफी मांगनी चाहिए। उन्हें सेना से माफी मांगनी चाहिए। उन्हें सदन में आना चाहिए और लोकतंत्र पर अपनी टिप्पणी के लिए सेना, मीडिया और न्यायपालिका से माफी मांगनी चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘उन्हें (राहुल) समझना चाहिए कि लोकतंत्र क्या होता है। आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों को निलंबित किए जाने से लोकतंत्र खतरे में आ गया था। यह किसने किया? उनकी पार्टी ने ऐसा किया। लोकतंत्र तब खतरे में आ जाता है जब मीडिया की आवाज दबा दी जाती है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दबाव बनाया जाता है। उनकी पार्टी ने यह सब किया है।’
वहीं दूसरी ओर खरगे ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि गोयल के आरोपों को हटाया जाना चाहिए क्योंकि राहुल राज्यसभा के सदस्य नहीं हैं और कांग्रेस पार्टी और सदन के नियम किसी ऐसे व्यक्ति का नाम लेने की अनुमति नहीं देते हैं जो सदन का सदस्य नहीं है। इस पर गोयल ने जवाब दिया कि उन्होंने राहुल गांधी का नाम नहीं लिया है।
लोकतंत्र पर गोयल की टिप्पणी का जिक्र करते हुए खरगे ने कहा, ‘पूरा देश जानता है कि भारत में क्या हो रहा है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में लोकतंत्र, संविधान और लोकतांत्रिक लोकाचार के अनुरूप काम नहीं कर रहा है। सत्ता पक्ष की ओर से जोरदार व्यवधान के बीच उन्होंने कहा, ‘मोदी साहब ने चीन में कहा था कि भारत में लोकतंत्र नहीं है। भारत में कुछ भी नहीं बचा था।’
खरगे ने पिछले दो फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि सदन का कोई भी सदस्य, दूसरे सदन के सदस्य पर आरोप नहीं लगा सकता। सत्ता पक्ष और विपक्ष का विरोध प्रदर्शन जारी रहने के बीच धनखड़ ने कहा कि वह मंगलवार को अपना फैसला सुनाएंगे और सदन की कार्यवाही तब तक के लिए स्थगित कर दी गई।
कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने बाद में कहा, ‘आज राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल को लोकसभा के एक सदस्य द्वारा की गई टिप्पणी पर कुछ समय के लिए बोलने की अनुमति दी गई। यह सभी नियमों के खिलाफ है। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को अपना पक्ष रखने की अनुमति नहीं दी गई।’
बाद में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा कि सभापति ने चुनिंदा तरीके से ‘नियमों’ का इस्तेमाल किया। खरगे ने कहा कि गोयल ने आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया और आरोप लगाया कि उन्होंने लोकतंत्र का अपमान करने की कोशिश की।
खरगे ने कहा, ‘वे (भाजपा) लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं। मोदी और भाजपा के राज में संविधान और लोकतंत्र के लिए कोई जगह नहीं है। वे हर स्वायत्त निकाय और एजेंसी का दुरुपयोग कर रहे हैं। कोई नोटिस नहीं, कानून का शासन नहीं है और वह (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) तानाशाह की तरह देश चला रहे हैं साथ-साथ ही साथ वे लोकतंत्र, देशभक्ति और देश की प्रतिष्ठा के बारे में बात कर रहे हैं।’
जांच के लिए समिति गठित नहीं
समानांतर तरीके से लिखित जवाबों में (जिस पर कोई बहस नहीं हुई है), सरकार ने कहा कि उसने अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के लिए कोई समिति गठित नहीं की है, लेकिन यह भी कहा कि शेयर बाजार नियामक, सेबी इस समूह के खिलाफ लगाए गए बाजार के आरोपों की जांच कर रहा है।