दिल्ली का गाजीपुर फूल मंडी
करीब 14 साल पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तीन फूल मंडियों को एक ही छत के नीचे लाने के लिए गाजीपुर में अस्थायी फूल मंडी बनाई गई थी और बाद में यहां आधुनिक फूल मंडी बननी थी। मगर डेढ़ दशक होने जा रहे हैं और मंडी कागजों पर ही बनी हुई है। दिल्ली सरकार बार-बार इसे बनाने और बजट देने की घोषणा कर चुकी है मगर मंडी के नाम पर इसका प्रवेश द्वार ही बना है, जिस पर गाजीपुर फूल मंडी लिखा है। मंडी की जगह अब भी खाली पड़ी है।
जनवरी 2017 में सरकार ने 140 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक सुविधा वाली गाजीपुर फूल मंडी बनाने का ऐलान किया था। इसके बाद 2022 में 197 करोड़ रुपये की लागत से 3 साल में मंडी बनाने की योजना तैयार हुई मगर मंडी अब तक नहीं बन सकी। गाजीपुर फूल मंडी के प्रधान और फूल कारोबारी तेग सिंह चौधरी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘2011 में जब तीनों फूल मंडियों को गाजीपुर लाया गया तभी से हम आधुनिक फूल मंडी बनने की बात सुन रहे हैं मगर अब तक कुछ हुआ नहीं।’
चौधरी कहते हैं कि कुछ साल पहले 15 एकड़ में मंडी बनाने का प्रस्ताव आया था, जिसमें बेसमेंट के नीचे पार्किंग और बेसमेंट पर प्लेटफॉर्म बनाकर फूल कारोबार के लिए जगह दी जानी थी। पहली मंजिल पर फूल कारोबारियों के लिए दुकान बननी थीं और ऊपरी मंजिल पर किसानों के रेस्ट हाउस, मंडी प्रशासन कार्यालय, बैंक आदि के लिए जगह दी जानी थी। मंडी में फूल रखने के लिए कोल्ड स्टोर बनने का भी प्रस्ताव था। मगर योजना कागजों में धूल फांक रही है।
फतेहपुरी मंडी से कारोबार करने आए पुष्प विपणन समिति गाजीपुर के पूर्व सदस्य जयवीर सिंह कहते हैं कि 1.5 एकड़ में चलने वाली फूल मंडी की जगह नई मंडी को कितनी भी ज्यादा जगह देंगे, 400 से ज्यादा फूल कारोबारियों के लिए कम ही पड़ेगी। उनका कहना है कि दिल्ली में सरकार बदलने के कारण मंडी और लटक सकती है। मंडी की योजना पर पुष्प विपणन समिति गाजीपुर के सहायक सचिव मणि शेखर पांडे को सवाल भेजे गए मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आए।
फूल कारोबारियों का कहना है कि मंडी बन गई तो कारोबार व्यवस्थित हो जाएगा और बढ़ भी जाएगा। अभी गाजीपुर फूल मंडी में कुल 412 थोक विक्रेता और आढ़ती हैं। कारोबारियों का अनुमान है कि यहां हर साल 125 करोड़ रुपये से 150 करोड़ रुपये तक का फूल कारोबार होता है। फूल कारोबारी जयपाल ने बताया कि तंग और छोटी दुकान होने के कारण फूल जमीन पर रखकर बेचने पड़ते हैं, जो बरसात में दूभर हो जाता है और पानी भरने से फूल बरबाद भी हो जाते हैं।
फूल कारोबारी शिव सिंह ने कहा कि जगह कम होने से मंडी में जाम लगता है, जिससे नई मंडी में निजात मिल जाएगी। कारोबारियों को गोदाम मिल जाएंगे और कोल्ड स्टोर भी बनाए जाएंगे ताकि बचे हुए फूल वहां रखे जा सकें। इससे फूल बरबाद नहीं होंगे और कारोबारियों को अधिक फायदा होगा। फूल कारोबारियों को नई मंडी में पार्किंग की जगह, अच्छी सड़क, बिजली, जेनरेटर सेट, अग्निशमन व्यवस्था, जलापूर्ति और स्वच्छता भी बेहतर होने की उम्मीद है। क्षेत्र, सड़क, बाहरी और आंतरिक विद्युतीकरण, बिजली जनरेटर सेट, अग्निशमन व्यवस्था, जल आपूर्ति और स्वच्छता, आरओ जल संयंत्र, पूरे क्षेत्र की जल निकासी और सीवरेज प्रणाली भी शामिल होगी। ऐसे में कारोबारियों को कारोबार करने में सहूलियत मिलेगी।
देश की सबसे बड़ी फूल मंडी कहलाने वाली गाजीपुर मंडी में विभिन्न राज्यों से ही नहीं विदेश से भी फूल आते हैं। यहां थाईलैंड, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड आदि से दुर्लभ फूल आते हैं। आयातित फूलों में ऑर्किड, हेलिकोनिया, सिंबिडियम, लकी बांस, लिलि, पिन कुशन, प्रोटिया, आइलेक्स, बैंक्सिया, डेजी आदि शामिल हैं। देश की बात करें तो यहां उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड, सिक्किम और जम्मू कश्मीर से फूलों की आवक होती है। देसी फूलों में जरबेरा, कारनेशन, लिली, गेंदा, जाफरी, गुलदावरी, ट्यूलिप, नरगिस, ग्लेडियॉलस, डफॉडिल, रोज सुपर, एरिका, शतावरी पत्ती, डच गुलाब, कमल, मोगरा, रजनीगंधा, जेनिया, सिंबिडियम, हेलिकोनिया, बर्ड ऑफ पैराडाइस, जिंजर लिली, गुलाब, एंथोरियम आदि शामिल हैं। मंडी में पहुंचे फूल दिल्ली के विभिन्न इलाकों में ही नहीं जाते बल्कि दूसरे राज्यों से भी फूल कारोबारी और आम लोग यहां फूल खरीदने आते हैं।