संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के कुपोषण की व्यापकता (पीओयू) आकलन के अनुसार भारत में कुपोषण कम हुआ है। विश्व में खाद्य सुरक्षा व पौष्टिकता की स्थिति (एसओएफआई 2024) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार 2021-23 में 13.7 प्रतिशत जनसंख्या कुपोषण से ग्रस्त थी जबकि यह आबादी 2020-23 में 16.6 प्रतिशत थी। लिहाजा यह आंकड़ा भारत के लिए खुशी की खबर है।
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने इस आंकड़े को विस्तार से समझाते हुए आज कहा कि इस दो अवधियों के दौरान 3.93 करोड़ लोग कुपोषण की स्थिति से बाहर आ गए हैं। दिल्ली में 2 अगस्त को होने वाले कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें सम्मेलन की घोषणा के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में चंद ने इस रिपोर्ट पर चर्चा कर रहे थे।
यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन करीब 60 साल बाद हो रहा है और इसमें दुनियाभर के 700 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। यह प्रतिनिधि कृषि से जुड़े समसामयिक मुद्दों जैसे सब्सिडी के बढ़ते बोझ, जलवायु परिवर्तन और पौष्टिकता की बढ़ती चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।
चंद के मुताबिक यूएन -एफएओ के नवीनतम आंकड़े केंद्र सरकार के उपलब्ध कराए गए आंकड़ों पर आधारित है। इससे कोविड 19 के बाद भारत में कुपोषण बढ़ने के विवाद पर भी विराम लगेगा।