केंद्रीय इलेट्रॉनिकी एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव | फाइल फोटो
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक उद्योग को भरोसा है कि दुर्लभ भारी मृदा धातुओं के वैकल्पिक स्रोत तलाशने में कोई परेशानी पेश नहीं आएगी। केंद्रीय इलेट्रॉनिकी एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को यह कहा। इन तत्वों के परंपरागत आपूर्ति व्यवस्था पर लाइसेंस संबंधी शर्तें लागू होने के बाद इन धातुओं की आपूर्ति पर बहस छिड़ गई है।
वैष्णव ने कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के साथ हमारी बातचीत होती रही है। उन्हें लगता है कि दुर्लभ भारी मृदा धातुओं के वैकल्पिक स्रोतों का इंतजाम हो जाएगा। कोविड महामारी फैलने के बाद दुनिया में मूल्य व्यवस्था में विविधता लाने की तैयारी में लगा रही है।‘
वैष्णव ने गुरुग्राम के मानेसर में वीवीडीएन टेक्नोलॉजीज के मैकेनिकल इनोवेशन पार्क के उद्घाटन के अवसर पर ये बातें कहीं। इस महीने के शुरू में चीन ने महत्त्वपूर्ण खनिजों, मैग्नेट और दुर्लभ भारी मृदा धातुओं जैसे टर्बियम, इट्रियम, डिस्प्रोसियम, गैडोलिनियम, ल्यूटेनियम, सैमेरियम और स्कैंडियम की आपूर्ति एवं निर्यात रोक दिया था। ये खनिज, मैग्नेट और धातुएं इलेक्ट्रॉनिक सामान, सेमीकंडक्टर चिप और रक्षा उपकरण तैयार करने में इस्तेमाल होते हैं।
अमेरिका द्वारा भारी भरकम शुल्क लगाने के जवाब में चीन ने इन धातुओं की आपूर्ति एवं इनके निर्यात पर पाबंदी लगा दी है। वैष्णव ने कहा कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग तेजी से प्रगति कर रहा है और पिछले एक दशक के दौरान 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक उत्पादन मूल्य हासिल कर चुका है। देश से इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्यात भी इसी अवधि के दौरान बढ़कर 3.25 लाख करोड़ रुपये पार कर गया है।
मंत्री ने कहा, ‘एआई सर्वर जैसे उच्च इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तैयार करने की क्षमता विकसित होने के साथ ही देश में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में अब गहराई आने लगी है। एआई सर्वर की डिजाइन तैयार होने के साथ ही उनका विनिर्माण भी भारत में होने लगा है। वीवीडीएन ने अकेले ही अब तक 6,000 से अधिक सर्वर तैयार किए हैं।‘
वैष्णव ने कहा कि डिजाइन तैयार करने की क्षमता के अलावा इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन उद्योग में इस्तेमाल होने वाली तकनीक भी देश में विकसित हो रही है जिनका पहले देश को आयात करना होता था।
मंत्री ने कहा कि इस महीने के शुरू में अधिसूचित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण योजना भी मूल्य व्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि डिजाइन क्षमताओं और बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति आदर की भावना रखने के कारण भारत को दुनिया में एक अहम साझेदार के रूप में देखा जाने लगा है।
वैष्णव ने कहा कि एक बार पूरा तंत्र तैयार होने के बाद अगले चार से पांच वर्षों के दौरान इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण उद्योग में शानदार तेजी आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगले कुछ दिनों के भीतर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विनिर्माण योजना संबंधी दिशानिर्देश जारी हो जाएंगे। वैष्णव ने कहा कि आवेदकों के लिए अलग से एक पोर्टल की भी शुरुआत की जाएगी। वैष्णव ने कहा, ‘पीसीबी, पीसीबी असेंबली, कैमरा मॉड्यूल के साथ मैं तो चाहूंगा कि पूरा कैमरा ही भारत में बने। यहां पर तैयार उपकरण जापान को निर्यात किए जाएंगे। भारत में अब ऐसी सधी क्षमता तैयार हो चुकी है। हम यहां विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार होते देखना चाहते हैं और कुछ उत्पादों पर विशेष ध्यान देना चाहते हैं।‘