मध्य दिल्ली से महज 20 किलोमीटर दूर गाजियाबाद के भोपुरा में लोगों को पिछले महीने रोजाना 8 से 10 घंटे बिजली कटौती से जूझना पड़ा। बारिश के कारण बिजली पहले से ही काट दी जाती है। ऐसा नहीं है कि केवल भोपुरा में ही लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश के कई शहरों और गांवों से बार-बार बिजली कटौती की शिकायतें मिल रही हैं। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ‘निर्बाध बिजली आपूर्ति’ सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को फटकार लगानी पड़ी।
बिजली आपूर्ति के आंकड़ों को देखते हुए ऐसा लगता है कि निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में औसत बिजली आपूर्ति 2018-19 में 19.1 घंटे से करीब 16 फीसदी घटकर 2022-23 में 16.03 घंटे रह गई। जबकि इस दौरान शहरों में बिजली की आपूर्ति में 1.7 फीसदी की वृद्धि हुई।
केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि अन्य प्रमुख राज्यों के ग्रामीण इलाकों को भी बिजली कटौती से जूझना पड़ा। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) द्वारा विद्युत मंत्रालय को अप्रैल 2023 में दी गई प्रस्तुति के अनुसार, बिहार, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी कई घंटों तक बिजली गुल रही। पिछले वित्त वर्ष के दौरान ग्रामीण भारत में औसत दैनिक बिजली आपूर्ति 20.55 घंटे रही जबकि 2018-19 में यह आंकड़ा 20.7 घंटों का रहा था। केंद्रीय विद्युत मंत्री ने इस समाचार पत्र से कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान ग्रामीण इलाकों में औसत बिजली आपूर्ति वास्तव में 20.6 घंटे रही क्योंकि CEA का आंकड़ा फरवरी 2023 तक का ही है।
CEA मंत्रालय का तकनीकी सलाहकार और निगरानी निकाय है। CEA के आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ राज्यों के शहरी क्षेत्रों में औसत दैनिक बिजली आपूर्ति भी कम रही। प्रस्तुति के अनुसार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के शहरी इलाकों में बिजली आपूर्ति महामारी-पूर्व स्तर तक पहुंचने में भी विफल रही।
बैठक के मिनट्स में कहा गया है, ‘ग्रामीण एवं शहरी बिजली आपूर्ति के राज्यवार आंकड़ों की समीक्षा मंत्री (आरके सिंह) द्वारा की गई और पाया गया कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति 20 घंटे से भी कम रही। उन्हें बिजली की आपूर्ति में तत्काल सुधार करने की आवश्यकता है। मंत्री ने इस जोर देकर कहा है कि शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में 24 घंटे आपूर्ति सुनिश्चित करना वितरण कंपनियों का कर्तव्य है।’
हालांकि केंद्रीय विद्युत मंत्री ने कहा है कि 2022-23 (मार्च 2023 तक के आंकड़े) में राष्ट्रीय औसत बिजली आपूर्ति लगभग समान दायरे में रहे। सीईए के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022-23 में शहरी भारत में राष्ट्रीय औसत बिजली आपूर्ति 23.7 घंटे रही जबकि ग्रामीण भारत के लिए यह आंकड़ा 20.55 घंटों का रहा।
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विद्युत मंत्रालय के सचिव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘सभी परिवारों, उद्योगों, वाणिज्यिक उपभोक्ताओं और किसानों को संबंधित राज्य की नीति के अनुसार 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार और विद्युत मंत्रालय ने 2014 से 2017 के दौरान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ संयुक्त पहल करते हुए एक कार्ययोजना तैयार की थी।’
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कुछ राज्यों के ग्रामीण इलाकों में औसत दैनिक बिजली आपूर्ति में कमी के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य के भीतर बिजली की आपूर्ति एवं वितरण की देखभाल राज्य सरकार द्वारा की जाती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के बिजली उपभोक्ताओं को निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना और उसके लिए पर्याप्त मात्रा में बिजली की व्यवस्था करना संबंधित राज्य की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सभी परिवारों तक बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और एकीकृत विद्युत विकास योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के जरिये राज्यों की मदद की है।
भारत में पिछले महीने बिजली की मांग 220 गीगावॉट की ऐतिहासिक ऊंचाई को पार कर गई।