दावोस में विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में शामिल होने पहुंच रहे निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए छह भारतीय राज्य- महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और केरल कड़ी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। रीब्रांडिंग से लेकर मुख्यमंत्रियों की मैराथन बैठकों का दौर चल रहा है। तमाम मंत्री मीडिया अभियानों के जरिए अपने राज्य की बेहतर तस्वीर पेश करने की हर मुमकिन कोशिश में जुटे हैं। स्विट्जरलैंड में बर्फ से ढके दावोस में 20 से 24 जनवरी तक निवेशकों का जमावड़ा रहेगा।
देवेंद्र फडणवीस, एन चंद्रबाबू नायडू और रेवंत रेड्डी जैसे मुख्यमंत्री इस भव्य आयोजन स्थल पर अपने-अपने राज्य में अधिक से अधिक निवेश जुटाने के लिए आक्रामक मार्केटिंग कर सकते हैं। विश्व आर्थिक मंच में भारत के दो पविलियन हैं। इनमें एक केंद्र सरकार और दूसरा छह राज्यों के प्रतिनिधिमंडल के लिए है। दावोस जाने वाले अन्य नेताओं में आंध्र प्रदेश से नारा लोकेश और टीजी भरत, तमिलनाडु से टीआरबी राजा, उत्तर प्रदेश से सुरेश कुमार खन्ना और केरल से पी राजेश शामिल हैं। महाराष्ट्र और तेलंगाना ने इस बैठक में क्रमश: 7 लाख करोड़ और 1 लाख करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर करने का लक्ष्य रखा है।
सूत्रों के अनुसार आंध्र प्रदेश से 20 सदस्यों वाला सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल दावोस में होने वाले इस चार दिन के आयोजन में हिस्सा लेने जाएगा और यह सूर्योदय राज्य आंध्र प्रदेश थीम के साथ अपने पविलियन के लिए लगभग 15 करोड़ रुपये खर्च करेगा।
सूत्रों ने यह भी बताया कि दो दिनों के भीतर मुख्यमंत्री स्वयं ताबड़तोड़ 19 बैठकें करेंगे, जिनमें दो बैठकें राज्य के विभाग प्रमुखों के साथ होंगी। इसके अतिरिक्त मंत्री नारा लोकेश भी 50 द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। निवेश के लिए आंध्र प्रदेश का पूरा जोर सूचना प्रौद्योगिकी, पेट्रोकेमिकल्स, खाद्य एवं बेवरिज और फार्मा जैसे क्षेत्रों पर होगा।
दूसरी ओर, तमिलनाडु की टीम ब्रांड तमिलनाड़ #बुलिशऑनटीएन को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक अभियान शुरू करेगी। दावोस बैठक के लिए तमिलनाडु की टीम पहले ही अपने संभावित साझेदारों तथा वैश्विक नेतृत्व के साथ गंभीर चर्चा के लिए 50 बैठकें निर्धारित कर चुकी है।
राज्य के उद्योग सचिव अरुण राय ने कहा, ‘निवेश समझौते करने के दौरान नीतिगत निरंतरता के लिए कई वर्षों से कायम हमारी प्रतिबद्धता को प्रमुखता से सामने रखा जाएगा। उन्हें भरोसा दिया जाएगा कि हम अन्य सुविधाओं के साथ सुव्यवस्थित अनुमोदन प्रदान कर उद्योगों के फलने-फूलने के लिए आदर्श माहौल देते हैं।’ इसी प्रकार तेलंगाना का पूरा जोर ‘तेलंगाना राइजिंग 2050’ पहल को आगे बढ़ाने पर रहेगा।
सूचना प्रौद्योगिकी एवं उद्योगों के विशेष सचिव जयेश रंजन ने कहा, ‘इस दृष्टिकोण के तहत राज्य को तीन जिला कलस्टरों में बांटा जाएगा। यह दृष्टिकोण हैदराबाद से बाहर निकल पूरे राज्य में संतुलित विकास को सुनिश्चित करेगी।’ केरल से छह सदस्यों की टीम दावोस की उड़ान भरेगी। इस राज्य का पूरा जोर सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अधिक से अधिक निवेश आकर्षित करने पर रहेगा।