प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अब अधिकांश ग्राहक अपनी खरीदारी के विकल्पों का मूल्यांकन कीमत, गुणवत्ता और पैक आकार के अनुसार कर रहे हैं। इससे वे ब्रांड का मोह छोड़ निजी लेबल उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। ईवाई फ्यूचर कंज्यूमर इंडेक्स के भारत संस्करण के अनुसार, 52 प्रतिशत उपभोक्ता निजी लेबल का रुख कर रहे हैं। इस रुझान से पता चलता है कि अब उपभोक्ताओं की धारणा बदल रही है और स्टोर ब्रांडों को पसंदीदा विकल्प के बजाय पारंपरिक ब्रांडेड विकल्प के रूप में स्थापित कर रही है। सर्वेक्षण में 70 प्रतिशत उपभोक्ताओं का मानना है कि निजी लेबल उनकी जरूरतों को उतने ही प्रभावी ढंग से पूरा करते हैं, जितना ब्रांडेड उत्पाद। निजी लेबल उत्पाद वे होते हैं, जिन्हें खुदरा विक्रेता खुद नहीं बनाता, बल्कि किसी और से बनवाने के बाद अपने ब्रांड नाम के तहत बेचता है।
गौरतलब है कि 47 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि यदि कोई ब्रांडेड उत्पाद बेहतर स्वाद या गुणवत्ता का है तो वे उसे दोबारा खरीदने को तैयार हैं। यह दर्शाता है कि उपभोक्ताओं के किसी सामान को खरीदने का निर्णय लेने में उसकी गुणवत्ता मुख्य कारक है।
इसके अतिरिक्त, 44 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने संकेत दिया कि यदि उन्हें कम पैसे में बेहतर ब्रांडेड उत्पाद मिलता है तो दोबारा भी उसे ही खरीदना पसंद करेंगे, जबकि इतने ही खरीदारों का मानना है कि वे और अधिक गुणवत्तापूर्ण उत्पाद के लिए प्रीमियम का भुगतान करने को भी तैयार हैं। ईवाई-पार्थेनन में उपभोक्ता उत्पाद और रिटेल सेक्टर के पार्टनर तथा नैशनल लीडर अंशुमान भट्टाचार्य ने कहा, ‘उपभोक्ता व्यवहार पारंपरिक रूप से बदलती आर्थिक स्थितियों के हिसाब से विकसित हुआ है, लेकिन वर्तमान रुझान अधिक स्थायी प्रतीत होते हैं। रिटेलर्स पूरे आत्मविश्वास के साथ निजी लेबल लॉन्च कर रहे हैं और उन्हें स्टोर में प्रमुख स्थान भी दे रहे हैं। जबकि बाजार में छायी टेक्नॉलजी खरीदारी के अनुभव को बढ़ा रही है।’
खुदरा विक्रेता इस बदलाव पर नजर बनाए हुए हैं और उसी अनुसार अपनी शेल्फ सजा रहे हैं। उत्तरदाताओं में 74 प्रतिशत महसूस कर रहे हैं कि वे जहां से खरीदारी करते हैं, वहां अब पहले से अधिक निजी लेबल विकल्प उपलब्ध हैं और 70 प्रतिशत ने बताया कि स्टोर की अलमारियों में उनकी आंखों के स्तर पर निजी लेबल की अधिक वस्तुएं रखी गई हैं। इसके अतिरिक्त 69 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने कहा कि स्टोर ब्रांड और निजी लेबल उन्हें पैसे बचाने में मदद करते हैं।