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देश-विदेश में यात्रा और पर्यटन गतिविधियों में धीरे-धीरे हो रही वृद्धि के बीच तमाम राज्य अपने यहां अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को लुभाने के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा में अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्य तमाम सुविधाएं तो पेश कर ही रहे हैं, वे अपने जनजातीय त्योहारों, कृषि, शराब, रोमांच और स्वास्थ्य पर्यटन परिदृश्य के साथ-साथ धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन सर्किट विकास को भी बढ़ावा दे रहे हैं। कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने यहां आतिथ्य क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देकर इसके विकास के लिए प्रोत्साहन योजनाओं का ऐलान कर रहे हैं।
केंद्र सरकार के 2047 तक पर्यटन को 3 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प और घरेलू स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य अपनी नीतियों में आवश्यक बदलाव कर रहे हैं। उदाहरण के लिए अरुणाचल प्रदेश अपने 793 होमस्टे को विनियमित करने के लिए नई नीति पर काम कर रहा है। साथ ही वह मार्केटिंग और सेवाओं को डिजिटल करने पर अधिक ध्यान दे रहा है। भोर की किरन वाले पहाड़ों की भूमि कहे जाने वाले अरुणाचल प्रदेश ने हाल ही में पांच साल की पर्यटन नीति लागू की है। इसके माध्यम से यह प्रदेश घरेलू पर्यटकों की आमद में दो गुना और विदेशी पर्यटकों में 10 गुना वृद्धि करना चाहता है। वर्ष 2023 में यहां की प्राकृतिक खूबसूरती और अन्य नजारों का लुत्फ उठाने 10 लाख से अधिक घरेलू पर्यटक आए थे।
अरुणाचल प्रदेश के पर्यटन मंत्री पासंग दोरजी सोना ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘राज्य में आध्यात्मिक, वेलनेस, विरासत से लेकर जैव विविधता तक पर्यटन के असीम अवसर उपलब्ध हैं। होमस्टे ने जबरदस्त क्रांति ला दी है और यह यहां पर्यटकों के लिए सबसे आश्चर्यजनक परिदृश्यों का बेफिक्र होकर निहारने की शानदार खिड़की बन गए हैं।’ राज्य में ब्रांडेड होटलों की संख्या बढ़ाने और होटल क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देने के प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा, ‘हमारे पास तवांग में एक फाइव-स्टार होटल है। यहां साइग्नेट जैसी छोटी होटल श्रृंखलाएं भी आ रही हैं। हम यहां आने के लिए पोस्टकार्ड होटल्स जैसे बुटीक होटल ब्रांड के साथ भी बातचीत कर रहे हैं।’
जम्मू-कश्मीर सरकार भी पर्यटकों को दोबारा लुभाने के प्रयास में जुटी है और वह घूमने-फिरने के शौकीनों को यह भरोसा देने की तमाम कोशिशें कर रही है कि कश्मीर अभी भी दुनिया की जन्नत है और यहां के जादुई नजारों जैसा आकर्षण कहीं दूसरी जगह दिखाई नहीं देता। इस सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली में एक पर्यटन कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम पर्यटकों की संख्या के बजाय गुणवत्तापूर्ण आतिथ्य सुविधाएं बढ़ाने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि यहां पर्यटकों की गिनती ही नहीं बढ़ाना चाहते, बल्कि हम राज्य की पहचान पर्यटकों को गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं देने वाले राज्य के रूप में बनाना चाहते हैं।’ इसके लिए राज्य सरकार ने हाल ही में नौ नए पर्यटक स्थलों को चिह्नित किया है, जिनके विकास के लिए 5,500 करोड़ रुपये निवेश की उम्मीद की जा रही है। अब पर्यटक घाटी और जम्मू में नए अनदेखे स्थलों पर भी घूमने आ सकेंगे।
अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पर्यटकों की आमद बढ़ाने के लिए अपनी पर्यटन नीतियों को तो नए सिरे से बना ही रहे हैं, उन्हें सुविधाओं के मामले में भी गोवा, केरल और राजस्थान जैसे पारंपरिक पर्यटन केंद्रों के साथ सीधी टक्कर लेनी होगी। यह इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस साल के केंद्रीय बजट में राज्यों के साथ साझेदारी में 50 शीर्ष पर्यटन स्थलों के विकास की रूपरेखा पेश की गई है और बुनियादी ढांचा, कौशल विकास और यात्रा सुविधाएं बढ़ाने के लिए 2,541.06 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
देशभर के 23 राज्यों में 40 परियोजनाओं के विकास के लिए विशेष सहायता के तहत 50 वर्षों के लिए 3,295.8 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त ऋण दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने पर्यटन विकास में वृद्धि के लिए धार्मिक और चिकित्सा को प्रमुख क्षेत्रों के रूप में रेखांकित किया है। देश का चिकित्सा यात्रा क्षेत्र 2026 तक 13.42 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
फेडरेशन ऑफ होटल ऐंड रेस्टोरेंट एसोसिएशंस ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष प्रदीप शेट्टी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘राज्यों में बहुत कुछ घटित हो रहा है। होटलों एवं आतिथ्य क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिया जा रहा है। इससे निश्चित रूप से स्थानीय पर्यटन को गति मिलेगी।’
तेलंगाना ने आगामी पांच वर्षों के लिए पर्यटन नीति घोषित की है, जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों की पर्यटन क्षमता के आधार पर 27 विशेष पर्यटन केंद्रों का विकास करना है। इनमें यादगिरिगुट्टा, भद्राचलम, नलगोंडा, वारंगल और चारमीनार क्लस्टर शामिल हैं। राज्य का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में पर्यटन क्षेत्र में 15,000 करोड़ रुपये का नया निवेश आकर्षित करना है।
तेलंगाना का पड़ोसी राज्य कर्नाटक कारवां, विरासत और स्वास्थ्य सेवा टूरिज्म पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह प्रत्यक्ष निवेश के रूप में लगभग 8,000 करोड़ रुपये आकर्षित करने और 1.5 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। राज्य के नीति दस्तावेज के अनुसार, ‘ कर्नाटक को 2032 तक 1 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में पर्यटन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।’
उत्तर में महाकुंभ की सफलता और अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद उत्तर प्रदेश सरकार 2029 तक 1 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य की दिशा में पर्यटन क्षेत्र से बड़ी-बड़ी उम्मीद लगाए हुए है। राज्य सरकार में संयुक्त निदेशक (पर्यटन) प्रीति श्रीवास्तव ने 12 प्रमुख पर्यटक सर्किट की रूपरेखा के बारे में बात करते हुए कहा, ‘हमारे पास अच्छी सड़कों का जाल है। इस साल के अंत में जेवर हवाई अड्डा भी खुलने को तैयार है। इससे राज्य में पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।’