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Child Labour: शराब कंपनी में पाए गए बच्चे तो अब केंद्र सरकार भी एक्शन में, बाल श्रम रोकने के लिए राज्यों, UTs को लिखा पत्र

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 5-14 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 11 करोड़ बच्चे कारखानों में श्रमिक के रूप में काम कर रहे हैं।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- June 22, 2024 | 3:20 PM IST

Effective Enforcement for No Child Labour: मध्य प्रदेश में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कारखानों में काम कराने की कई घटनाएं सामने आने के कुछ दिनों बाद, केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा है। केंद्र मे सरकारों से बाल श्रम रोकने के लिए प्रवर्तन तंत्र (enforcement mechanism ) को मजबूत करने और प्रभावित बच्चों के बचाव और पुनर्वास (rescue and rehabilitation) में तेजी लाने की अपील की है।

श्रम और रोजगार मंत्रालय के पत्र में लिखा गया है, ‘बाल और किशोर श्रम संरक्षण अधिनियम, 1986 के किसी भी उल्लंघन को रोकने के लिए प्रवर्तन तंत्र को मजबूत करें। यह भी अनुरोध है कि प्रभावित बच्चों के बचाव और पुनर्वास में तेजी लाएं और सुनिश्चित करें कि उन्हें उचित देखभाल और शिक्षा का अधिकार प्राप्त हो, जैसा कि मानक संचालन प्रक्रियाओं में बताया गया है।’

केंद्र सरकार की अपील- ऑनलाइन पोर्टल PENCIL का करें यूज

सरकार के बाल श्रम मुक्त भारत के लक्ष्य को दोहराते हुए, श्रम मंत्रालय ने अपने पत्र में राज्यों से शिकायतों के लिए और अधिनियम के प्रावधानों के प्रभावी कार्यवाही और प्रवर्तन के लिए ऑनलाइन पोर्टल प्लेटफॉर्म फॉर इफेक्टिव एनफोर्समेंट फॉर नो चाइल्ड लेबर (PENCIL) का उपयोग करने का आग्रह किया।

शराब कंपनी में पाए गए बच्चे, हो रहे थे बाल श्रम का शिकार

पिछले हफ्ते, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) और बचपन बचाओ आंदोलन (BBA) के संयुक्त अभियान के दौरान, भोपाल स्थित सोम डिस्टिलरी और ब्रुअरीज (Som Distillery and Breweries) में 50 से अधिक बच्चों को काम करते पाया गया। यह शेयर मार्केट में एक लिस्टेड कंपनी है जो बियर, इंडिया-मेड फॉरेन लिकर (IMFL) और रेडी टू ड्रिंक (RTD) शराब की मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई करती है।

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि कारखाने में छापा एक गंभीर मामला है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ‘श्रम, उत्पाद शुल्क और पुलिस विभागों से विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई है और उचित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।’

कारखाने आसानी से शोषण करने के लिए बच्चों को काम पर रखते हैं

बचपन बचाओ आंदोलन के साथ काम करने वाले बाल अधिकार कार्यकर्ता शुभम राठौर ने कहा कि कारखाने आमतौर पर बच्चों को सस्ता श्रम प्रदान करने और आसानी से शोषण करने के लिए काम पर रखते हैं, जिससे वे अपने बचपन और शिक्षा की कीमत पर काम करने को मजबूर होते हैं।

राठौर ने कहा, ‘यह उनके शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। हमें उम्मीद है कि बचाए गए बच्चों को बाल श्रमिकों के लिए पुनर्वास कल्याण कोष से राहत मिलेगी और आरोपियों को सजा दी जाएगी।’

11 करोड़ बच्चे बालश्रम के शिकार

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 5-14 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 11 करोड़ बच्चे कारखानों में मुख्य या मामूली श्रमिक के रूप में काम कर रहे हैं।

First Published : June 22, 2024 | 3:00 PM IST