Chandrayaan 3 updates: भारत के तीसरे मून मिशन ‘चंद्रयान 3’ ने लगभग चांद की चौखट पर दस्तक दे दी हैं। गुरुवार को इस मिशन ने एक बेहद चुनौतीपूर्ण पड़ाव को सफलतापूर्वक पार कर लिया, जब लैंडर मॉड्यूल, जिसमें विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल हैं, प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गए। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग तक का सफर अब विक्रम लैंडर को खुद ही तय करना है। सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए विक्रम लैंडर को डीबूस्टिंग की प्रक्रिया से होकर गुजरना है।
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प्रोपल्शन मॉड्यूल के सफलतापूर्वक लैंडर मॉड्यूल से अलग होने के बाद ISRO ने घोषणा की कि इस अलगाव के बाद, लैंडर अपनी गति को धीमा करने के लिए ‘डीबूस्ट’ प्रक्रिया शुरू करेगा। इस दौरान इसकी गति और कक्षा में कमी की जाएगी।
डीबूस्टिंग का उद्देश्य लैंडर को एक ऐसी कक्षा में स्थापित करना है जहां चंद्रमा का निकटतम बिंदु (पेरिल्यून) 30 किमी होगा, और सबसे दूर का बिंदु (अपोल्यून) 100 किमी होगा। यह विशेष विन्यास चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर प्रत्याशित सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास के लिए शुरुआती बिंदु के रूप में काम करेगा। इस बीच, प्रोपल्शन मॉड्यूल संभावित महीनों या वर्षों के दौरान मूल्यवान रिसर्च डेटा एकत्र करते हुए, अपने वर्तमान कक्षा में बना रहेगा।
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ISRO ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक ट्वीट में कहा है कि चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम, 18 अगस्त को लगभग शाम 4 बजे अपनी डीबूस्टिंग प्रक्रिया में प्रवेश करने वाला है। विक्रम लैंडर अब अगले पांच दिनों में लगातार दो कक्षीय-कमी प्रक्रिया से गुजरेगा। आसान भाषा में समझे तो इसकी कक्षा को दो बार घटाया जाएगा।
पहले प्रयास में विक्रम को चंद्रमा से 100×100 किमी की ऊंचाई पर एक गोलाकार कक्षा में स्थापित किया जाएगा, उसके बाद दूसरी प्रयास में इसे चंद्रमा की सतह से 100×30 किमी की ऊंचाई पर अंतिम कक्षा में स्थापित किया जाएगा। दूसरा प्रयास रणनीतिक रूप से महत्तवपूर्ण है क्योंकि इस बिंदू के बाद विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।