झांसी के कचहरी चौराहे पर अपने पुराने से दिखने वाले कार्यालय में अधिवक्ता भानु सहाय बैठे हुए हैं। चुनाव को लेकर चर्चा में वह बुंदेलखंड क्षेत्र के सांसदों से बुरी तरह खफा दिखते हैं। बताते हैं कि उन्होंने अलग राज्य के लिए लड़ाई लड़ने का अपना वादा नहीं निभाया।
बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अपने सहयोगियों के साथ सहाय का भी यही मानना है कि यदि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सात जिलों को मिलाकर अलग बुंदेलखंड राज्य बन जाए तो इस क्षेत्र की सभी समस्याओं का खात्मा हो जाए। यह क्षेत्र औद्योगिक विकास के लिए तो तरस ही रहा है, आज भी यहां के लोग जल संकट, गरीबी और पलायन का दंश झेल रहे हैं।
बुंदेलखंड क्षेत्र की चार लोक सभा सीटों झांसी-ललितपुर, हमीरपुर, जालौन और बांदा में 20 मई को मतदान होगा। बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा लोगों के बीच पूरे जोर-शोर से अभियान चला रहा है कि या तो मौजूदा तीनों सांसदों के खिलाफ वोट दें या नोटा का बटन दबाएं। इन सासंदों को लेकर मोर्चा का कहना है कि इन्होंने कभी भी अलग बुंदेलखंड राज्य की आवाज नहीं उठाई।
हां, भारतीय जनता पार्टी के हमीरपुर सांसद पुष्पेंद्र चंदेल को लेकर मोर्चे का रुख अलग है, क्योंकि उन्होंने अपने नौ वर्ष के कार्यकाल के दौरान हमेशा बुंदेलखंड राज्य की जरूरत पर जोर दिया है। चंदेल 2014 से यहां के सांसद हैं।
झांसी से लगभग 23 किलोमीटर दूर झांसी-बबीना रोड पर स्थित सरवन गांव में लोगों को इस बात पर बहुत कम भरोसा है कि अलग राज्य बनने से बुंदेलखंड का कुछ विकास हो सकेगा और उनके जीवन में कोई खास परिवर्तन होगा। सरवन गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत स्थानीय सांसद ने गोद ले रखा है।
लोगों की सबसे अधिक शिकायत इस बात को लेकर है कि ग्राम प्रधान से लेकर सांसद तक कोई जनप्रतिनिधि उनकी शिकायतें सुनने को तैयार नहीं है। यहां सबसे बड़ी समस्या सिंचाई के पानी की कमी है। गेहूं और मूंगफली जैसी फसलों की सिंचाई के लिए उन्हें 21 मीटर या इससे भी अधिक गहरे बोरवेल करने पड़ते हैं।
आवारा पशु इससे भी बड़ी मुसीबत बने हुए हैं, जो खड़ी फसल को चट कर जाते हैं। इसके अलावा जल जीवन मिशन के तहत पर्याप्त और समय पर पेयजल आपूर्ति नहीं होती। बिजली आपूर्ति भी अनियमित है। कभी आती है और कभी नहीं।
नीति आयोग के बहुपक्षीय गरीबी सूचकांक 2023 के अनुसार देश में बुंदेलखंड इकलौता ऐसा इलाका है, जहां 2015-16 से गरीबी में सबसे तेजी से कमी दर्ज की गई है। लगभग 4,000 मतदाताओं वाले सरवन गांव में चार सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं।
कई जगह बच्चे घरों के बाहर अहाते में कोचिंग लेते या ग्रुप स्टडी करते दिख जाएंगे। लेकिन, ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों की यह मेहनत किस काम की जब पेपर लीक होने के कारण भर्ती परीक्षाएं रद्द हो जाती हैं और सरकार पदों को भर ही नहीं पाती।
भारतीय सेना से 2006 में सेवानिवृत्त एक कारपेंटर कहते हैं कि वे स्थानीय सांसद की वजह से नहीं केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भाजपा को वोट देंगे।’ झांसी से 160 किलोमीटर दूर हमीरपुर लोक सभा क्षेत्र में आने वाले महोबा में पान के किसान मनोज चौरसिया स्थानीय सांसद चंदेल से बहुत नाराज हैं। वह कहते हैं कि मैं पीएम मोदी के लिए भाजपा को वोट दूंगा, लेकिन उन्हें बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाना चाहिए।
सेवानिवृत्त कृषि वैज्ञानिक रामसेवक चौरसिया भी कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहते हैं, ‘उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और केंद्र में भाजपा की सरकार है। यदि अब अलग राज्य नहीं बनेगा तो कब?’ यहां के छोटी चंद्रिका मंदिर में एक बैठक कुछ सफाई कर्मचारी भी मुफ्त राशन योजना के कारण अपना समर्थन पीएम मोदी को देने की बात करते हैं।
इस दौरान बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मध्य प्रदेश समकक्ष मोहन यादव झांसी में एक रोड शो में हिस्सा लेते हैं। लोगों में इस बात को लेकर चर्चा आम है कि इस सप्ताह के अंत में प्रचार अभियान थमने से पहले यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कम से कम एक रैली जरूर करनी चाहिए।
राज्य के 13 स्मार्ट सिटी में से एक इस लोक सभा क्षेत्र ने भाजपा की उमा भारती को 2014 में चुनकर लोक सभा भेजा था। इसके बाद बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन के प्रबंध निदेशक अनुराग शर्मा को चुना। शर्मा यहां 2019 में पांचवें चरण में 49 सीटों पर हुए चुनाव में सबसे अधिक धनी प्रत्याशी थे।
विशेष बात यह है कि रोड शो के दौरान योगी या मोहन यादव में से किसी ने भी बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने का मुद्दा नहीं उठाया। अपने कार्यालय में बैठे अधिवक्ता सहाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह और उमा भारती की 2016 की वीडियो और डॉक्यूमेंट्री दिखाते हुए खूब गुस्से का इजहार करते हैं। इन वीडियो में ये सभी नेता दस साल पहले चुनाव के दौरान मतदाताओं के समक्ष बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने का वादा करते दिखते हैं।