आपरेशन सिंदूर और उसके बाद चले सैन्य अभियान की धमक के बीच रविवार को उत्तर प्रदेश के रक्षा गलियारे में ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेश एवं टेस्टिंग फैसिलिटी का उद्घाटन किया गया। रक्षा गलियारे के लखनऊ नोट में ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वर्चुअल उद्घाटन किया।
रक्षामंत्री ने अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर को भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने साहस, संयम और शौर्य का परिचय देते हुए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर करारा जवाब दिया। रक्षामंत्री ने बताया कि भारतीय सेना की कार्रवाई सीमा से सटे ठिकानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी धमक पाकिस्तानी सेना के हेडक्वार्टर रावलपिंडी तक सुनाई दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ संकल्प शक्ति का प्रदर्शन है।
रक्षामंत्री ने उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर को भारत के रक्षा उत्पादन का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। यह कॉरिडोर लखनऊ, कानपुर, झांसी, चित्रकूट, आगरा और अलीगढ़ से होकर गुजरता है। उन्होंने कहा कि ये सभी नोड्स भविष्य में विकास के नए केंद्र बनकर उभरेंगे। उन्होंने कहा कि डिफेंस कॉरिडोर में विमान निर्माण, यूएवी, ड्रोन्स, गोला-बारूद, कंपोजिट सामग्री, छोटे हथियार, टेक्स्टाइल और पैराशूट जैसे क्षेत्रों में बड़े निवेश किए गए हैं। लखनऊ में पीटीसी इंडस्ट्रीज द्वारा टाइटेनियम और सुपर अलॉय सामग्री संयंत्र की शुरुआत की जा रही है, साथ ही सात अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं की नींव रखी गई है। अब तक कॉरिडोर में 34 हजार करोड़ रुपये के लगभग 180 एमओयू साइन किए जा चुके हैं और 4 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें आम नागरिकों को निशाना नहीं बनाया गया। इसके विपरीत, पाकिस्तान ने भारत के नागरिक क्षेत्रों, मंदिरों, गुरुद्वारों और गिरजाघरों को निशाना बनाने का प्रयास किया। उन्होंने उरी, पुलवामा और हाल की पहलगाम की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयरस्ट्राइक और अब मल्टिपल स्ट्राइक के जरिए आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को स्पष्ट कर दिया है।
रविवार को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के मौके पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी के उद्घाटन को रक्षामंत्री ने ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि यह दिन 1998 में पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण की याद दिलाता है, जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भारत ने अपनी सामरिक ताकत का प्रदर्शन किया था। रक्षामंत्री ने बताया कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी परियोजना का शिलान्यास उन्होंने स्वयं किया था और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे मात्र 40 महीनों में पूरा कर दिखाया है। ब्रह्मोस मिसाइल को दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइलों में से एक बताते हुए उन्होंने इसे न केवल एक हथियार, बल्कि भारत की सैन्य ताकत, प्रतिरोधक क्षमता और सीमा सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अंदर डिफेंस कॉरिडोर के जो 6 नोड विकसित हो रहे हैं इन पर काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे पहले हमने कानपुर में रक्षा सेनाओं के लिए गोला बारुद के उत्पादन केंद्र का शुभारंभ किया था। अब उसके विस्तार के लिए भी भूमि की मांग हो रही है। लखनऊ में भी ब्रह्मोस को जैसे ही 200 एकड़ भूमि दी गई तो पीटीसी भी यहां पर आया है। पीटीसी ने न केवल ब्रह्मोस के लिए बल्कि एयरोस्पेस से जुड़े अनेक कार्यों के लिए एक एंकर यूनिट के रूप में उत्पादन कार्य प्रारंभ किया है। यह प्लांट एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सामग्रियों का उत्पादन करेगा, जिनका उपयोग चंद्रयान मिशन और लड़ाकू विमानों में किया जाएगा। यहां ब्रह्मोस से जुड़ी हुई लगभग 7 एंकर यूनिट लग रही हैं। उन्होंने कहा कि 2013-14 में भारत का जो रक्षा उत्पादन था आज हम उससे कई सौ गुना ज्यादा उत्पादन और निर्यात कर रहे हैं।
सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लक्ष्य था कि 6 डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर में 50,000 करोड रुपए के निवेश के साथ ही 100000 युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना है। अब तक डिफेंस एक्सपो के साथ ही देश और दुनिया के अलग-अलग भागों से 57 एमओयू हो चुके हैं जिनके माध्यम से करीब 30 हजार करोड़ के निवेश सिर्फ डिफेंस सेक्टर से ही होने जा रहे हैं।