मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार | फाइल फोटो
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने गुरुवार को कहा कि आयोग किसी प्रभाव में आकर मृतकों, स्थायी रूप से पलायन कर चुके लोगों या कई जगहों पर मतदाता के रूप में दर्ज लोगों के नाम सूची में शामिल नहीं होने दे सकता। उनकी यह टिप्पणी विपक्षी दलों द्वारा बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर आयोग पर बढ़ते हमलों के बीच आई है। विपक्ष का दावा है कि इस कदम से करोड़ों पात्र नागरिक मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। आयोग के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘क्या निर्वाचन आयोग द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से तैयार की जा रही शुद्ध मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव और मजबूत लोकतंत्र की नींव नहीं है?’
उन्होंने कहा कि पहले बिहार में और बाद में पूरे देश में अपात्र लोगों को वोट देने की अनुमति देना संविधान के विरुद्ध है। उन्होंने रेखांकित किया, ‘इन सवालों पर किसी न किसी दिन हम सभी और भारत के सभी नागरिकों को राजनीतिक विचारधाराओं से परे जाकर गहराई से सोचना होगा।’
बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत घर-घर जाकर जांच करने पर निर्वाचन अधिकारियों ने अब तक पाया है कि 52 लाख से अधिक मतदाता अपने पते पर मौजूद नहीं थे और 18 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है। आयोग ने बताया है कि एसआईआर के निर्देशों के अनुसार, किसी भी मतदाता या किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को 1 अगस्त से 1 सितंबर तक एक महीने का समय मिलेगा ताकि वे निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) और पार्टियों के बूथ लेवल एजेंटों (बीएलए) द्वारा छोड़ दिये गए किसी भी पात्र मतदाता का नाम शामिल करवा सकें या बीएलओ/बीएलए द्वारा गलत तरीके से शामिल किए गए किसी मतदाता का नाम हटवा सकें।