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Cabinet Decisions: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में चुनावी राज्य बिहार को 6,014 करोड़ रुपये के रेलवे और हाईवे प्रोजेक्ट का बड़ा तोहफा मिला। कैबिनेट ने राज्य में बख्तियारपुर-राजगीर-तिलैया सिंगल रेलवे लाइन सेक्शन को डबल लाइन में बदलने और राष्ट्रीय राजमार्ग 139डब्ल्यू पर 78.94 किलोमीटर लंबे साहेबगंज-अरेराज-बेतिया खंड को चार लेन बनाने की परियोजना को मंजूरी दे दी। इससे राज्य में कनेक्टिविटी में सुधार आएगा और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने बिहार में बख्तियारपुर-राजगीर-तिलैया सिंगल रेलवे लाइन सेक्शन को डबल लाइन में बदलने की मंजूरी दी है। 104 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट पर लगभग ₹2,192 करोड़ की लागत आएगी और यह चार जिलों को कवर करेगा।
इस प्रोजेक्ट से राजगीर, नालंदा और पावापुरी जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थलों तक कनेक्टिविटी बेहतर होगी, जहां देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं से लगभग 1,434 गांवों और लगभग 13.46 लाख आबादी, जिसमें दो आकांक्षी जिलें (गया और नवादा) शामिल हैं, की कनेक्टिविटी बढ़ेगी।
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ये मार्ग कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, फ्लाई ऐश आदि वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक है। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 26 मिलियन टन प्रति वर्ष की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। इससे रसद लागत को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही तेल आयात (5 करोड़ लीटर) को घटाएगा और सीओ2 उत्सर्जन (24 करोड़ किलोग्राम) को कम करेगा, जो एक करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
बढ़ी हुई लाइन क्षमता से गतिशीलता में सुधार होगा तथा भारतीय रेल की कार्यकुशलता और सेवा विश्वसनीयता बढ़ेगी। मल्टी-ट्रैकिंग का यह प्रस्ताव परिचालन को सुगम बनाएगा और भीड़ को कम करेगा, जिससे भारतीय रेलवे की सबसे व्यस्त खंडों पर आवश्यक बुनियादी ढांचागत विकास होगा। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री मोदी के ‘नए भारत’ के विजन के अनुरूप हैं, जो इस क्षेत्र के लोगों को व्यापक विकास के माध्यम से “आत्मनिर्भर” बनाएंगी, जिससे उनके रोज़गार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
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बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग 139डब्ल्यू पर 78.94 किलोमीटर लंबे साहेबगंज-अरेराज-बेतिया खंड को चार लेन बनाने की परियोजना को मंजूरी दे दी। इस पर 3,822.31 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। प्रस्तावित चार लेन वाली नई परियोजना पटना और बेतिया के बीच संपर्क में सुधार करेगी और उत्तर बिहार के वैशाली, सारण, सीवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण जिलों को भारत-नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों से जोड़ेगी।
यह परियोजना लंबी दूरी के माल यातायात को सुगम बनाएगी, प्रमुख बुनियादी ढांचे तक पहुंच में सुधार करेगी और कृषि क्षेत्रों, औद्योगिक क्षेत्रों और सीमापार व्यापार मार्गों से संपर्क में सुधार करके क्षेत्रीय आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाएगी। बयान के अनुसार, यह परियोजना सात पीएम गति शक्ति आर्थिक केंद्रों, छह सामाजिक केंद्रों, आठ लॉजिस्टिक केंद्रों, नौ प्रमुख पर्यटन और धार्मिक केंद्रों को जोड़ेगी और केसरिया बुद्ध स्तूप (साहेबगंज), सोमेश्वरनाथ मंदिर (अरेराज), जैन मंदिर और विश्व शांति स्तूप (वैशाली) और महावीर मंदिर (पटना) सहित प्रमुख विरासत और बौद्ध पर्यटन स्थलों तक पहुंच में सुधार करेगी। इससे बिहार के बौद्ध सर्किट और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन क्षमता को मजबूती मिलेगी।