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हफ्ते में 4 दिन काम के दुनिया में बेहतर नतीजे, भारत में मुश्किल

Last Updated- December 14, 2022 | 11:56 PM IST
Assessment, report

न्यूजीलैंड के एक गैर लाभकारी समूह 4डे वीक ग्लोबल ने हाल में एक सर्वेक्षण किया। इसमें हिस्सा लेने वाली 33 कंपनियों ने हफ्ते में चार दिन काम का समर्थन किया। इस सर्वेक्षण में अमेरिका, आयरलैंड और ऑस्ट्रेलिया के कारोबारियों व संगठनों ने हिस्सा लिया। इसमें 969 कर्मचारियों से बात की गई जिनके साप्ताहिक काम के औसतन छह घंटे घटा दिए गए लेकिन वेतन में कोई बदलाव नहीं किया।

गुड़गांव स्थित स्टार्टअप बी2बी फैब्रिक में काम करने वाले गगनदीप के अनुसार,’हमने पिछले महीने प्रबंधन से हफ्ते में चार दिन काम शुरू करने की गुजारिश की थी लेकिन हमें जवाब का इंतजार है।’ भारत में सिंह जैसे कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है। ऐसी सोच वाले कर्मचारियों का मानना है कि हफ्ते में चार दिन काम लागू करने से दक्षता बढ़ेगी और जीवन में बेहतर सामंजस्य स्थापित होगा।

‘4 डे वीक ग्लोबल’ सर्वे के आंकड़े हाल ही में जारी हुए थे। इस सर्वेक्षण के मुताबिक हफ्ते में चार दिन काम अपनाने वाले संगठनों के राजस्व में बढ़ोतरी हुई और कर्मचारियों की उत्पादकता भी बढ़ी। इसके अलावा अवकाश लेने वाले कर्मचारियों की संख्या में भी गिरावट आई और संगठन के कारोबार में भी बढ़ोतरी हुई। हफ्ते में चार दिन काम करने की स्थिति में कर्मचारी घर की अपेक्षा दफ्तर में काम करना पसंद करते हैं।

कंपनियों में यह बदलाव होने से उत्पादन व कर्मचारियों की तंदुरुस्ती बेहतर हुई। कंपनियों में एक तरह से सभी कुछ अच्छा हुआ। प्रायोगिक तौर पर हफ्ते में चार दिन काम लागू किया गया तो राजस्व में करीब 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। यह बीते साल की तुलना में 38 फीसदी अधिक था। लिहाजा यह बेहतर बढ़ोतरी के साथ-साथ परिवर्तन का सूचक था।

बेंगलूरु स्थित एक टेक फर्म के एचआर मैनेजर श्रीनिवास रमेश (बदला हुआ नाम) ने पुष्टि की कि कंपनी के अंदरूनी सर्वेक्षण के परिणाम भी हफ्ते में चार दिन काम के समर्थन में है। रमेश ने कहा,’हमने महामारी की दूसरी लहर के दौरान 2021 के शुरुआती कुछ महीनों में हफ्ते में चार दिन काम लागू किया था। इस साल पूरी तरह कामकाज शुरू होने के बाद कर्मचारियों के बीच सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वेक्षण में ज्यादातर कर्मचारियों ने कहा कि वे दफ्तर में आकर भी हफ्ते में चार दिन काम कर अपने दायित्वों को अच्छे ढंग से निभा सकते हैं।

उन्होंने संस्थान को होने वाले लाभ की ओर इशारा करते हुए कहा,’हफ्ते में कम दिन कामकाज होने से संचालन की लागत घटने के साथ साथ अन्य खर्चे भी कम होते हैं। इससे ऊर्जा खपत सहित अन्य परिवर्तनीय लागत के बड़े प्रतिशत की बचत होती है। हमारे सर्वेक्षण से जानकारी मिलती है कि इस मॉडल को अपनाने से कर्मचारियों को ज्यादा समय तक संगठन में रखा जा सकता है।’

रमेश की कंपनी में कई कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि जीवन में संतुलन बेहतर होने से उनकी उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई और वे नौकरी नहीं बदलना चाहते हैं। सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक 67 फीसदी कर्मचारियों ने हफ्ते में चार दिन काम करने पर काम का दबाव कम महसूस किया। हर हफ्ते उनके एक्सरसाइज करने के समय में 23 मिनट की बढ़ोतरी हुई और नींद न आने की समस्या में 8 फीसदी की गिरावट आई।

हालांकि भारत में हर कोई कम काम के घंटों के मुद्दे को लेकर सहज नहीं है। नई श्रम संहिता के अनुसार भारत में संगठन अधिकतम 48 घंटे काम ले सकते हैं। इसके अनुसार हफ्ते में चार दिन काम होने की स्थिति में कर्मचारियों के अधिकतम कार्य के 12 घंटे हो सकते हैं। अमेरिका की अनुभव प्रबंधन कंपनी क्वालटि्रक्स के मुताबिक भारत में 10 में से छह कर्मचारी हफ्ते में चार दिन काम की जगह कार्य में लचीलेपन को पसंद करते हैं।

टीमलीज के चीफ बिज़नेस ऑफिसर सुमित कुमार के अनुसार,’हमेशा हफ्ते में कम काम के समय को पसंद किया जाएगा लेकिन इसका परिणाम अधिक काम के घंटे व काम का अत्यधिक दबाव होगा। इसका व्यक्ति विशेष पर शारीरिक व मनोवैज्ञानिक रूप से अत्यधिक दबाव पड़ेगा। पूरी दुनिया में हफ्ते में काम के दिन नहीं घटने के कारण कारोबार आजकल की तरह चलता रहेगा। ऐसे में हफ्ते में कम काम होने पर हफ्ते के समाप्त होने के बाद भी काम का बोझ रहेगा।’

नोएडा की स्टार्टअप में काम करने वाली गौतमी सिंह के मुताबिक भारत में हाईब्रिड और घर से काम करने के तरीके की लोकप्रियता बढ़ रही है। ऐसे में हरेक के काम करने के घंटे और काम से छुट्टी के समय के बीच अंतर तेजी से घटता जा रहा है। उनकी स्टार्टअप कला और मूर्ति के बाजार दाम का मू्ल्यांकन करती है।

उन्होंने कहा,’हफ्ते में काम के दिन घटने की स्थिति में ग्राहकों से बातचीत करने का कम समय मिलेगा और संबंधित काम को पूरा करने के लिए कम वक्त भी मिलेगा। ऐसे में काम का बोझ साप्ताहिक अवकाश के दिनों पर आ जाएगा। घर से काम और वर्चुअल वर्क स्पेस को स्वीकृति मिलने से राहत है।’ उन्होंने बताया कि उनका दफ्तर हफ्ते में पांच दिन खुलता है लेकिन कई बार हफ्ते में छह दिन काम करना पड़ता है।

कोलकाता में न्यू टाउन में एक एमएनसी के वरिष्ठ कर्मचारी ने काम घटने की अवस्था में प्रशिक्षण सत्रों, वर्कशॉप और डेडलाइन की अवधि घटने की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा,’ मल्टीनेशनल क्लाइंट के साथ काम करने के दौरान यदि आप पांच दिन काम करते हैं तो यह पर्याप्त है। ऐसी स्थितियों में हफ्ते में चार दिन काम होने की स्थिति में मानसिक दबाव बढ़ जाएगा।

ऐसे में कर्मचारियों के लिए एक दिन कम डेडलाइन हो जाएगी। इससे उन पर बेवजह दबाव बढ़ेगा और अत्यधिक मानसिक व शारीरिक थकान होगी।’ सिंह जैसे कर्मचारियों के अनुसार हफ्ते में काम के दिन कम होने का मॉडल पूरे क्षेत्र में लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘वाणिज्यिक क्षेत्र जैसे बैंकिंग, टेक और प्रबंधन शायद इस तरीके को अपना लें लेकिन विनिर्माण, खेती और स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में कैसे लागू करेंगे।’ यूनिकॉर्न के लिए इस तरीके को अपनाना आसान है लेकिन लघु और मध्यम कारोबार के लिए अपने बदलाव करना मुश्किल है।

First Published - December 14, 2022 | 11:00 PM IST

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