नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू ने सोमवार को कहा कि कृत्रिम मेधा (AI) का जिम्मेदारी से उपयोग करना आवश्यक है क्योंकि जहां इस उभरती प्रौद्योगिकी में 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में 15,700 अरब डॉलर का योगदान देने की क्षमता है वहीं दूसरी ओर यह निष्पक्षता तथा निजता से संबंधित चिंताएं भी पैदा करती है।
‘सुप्रीम ऑडिट इंस्टीट्यूशंस-20 (SAI-20)’ के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए मुर्मू ने निकट भविष्य की वृद्धि और समुद्री अर्थव्यवस्था को टिकाऊ बनाये रखने के बीच संतुलन बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया। SAI-20 ने नए दौर की चिंताओं और अवसरों से संबंधित दो विषयों का चयन किया है। ये हैं… समुद्रों एवं महासागरों पर आधारित अर्थव्यवस्था (Blue Economy) एवं जिम्मेदार कृत्रिम मेधा (AI)।
भारत की G20 अध्यक्षता के तहत समूह के सदस्य देशों के सर्वोच्च लेखा संस्थानों (SAI) का समूह ‘SAI-20’ के अध्यक्ष भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) हैं। मुर्मू ने कहा, ‘आज हम उस स्तर पर पहुंच गए हैं जहां AI 2030 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 15,700 अरब डॉलर तक का योगदान दे सकती है।’
उन्होंने कहा कि AI सामाजिक-आर्थिक वृद्धि लाने में सक्षम है और इसका उपयोग देश एवं नागरिकों के लाभ के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘कृत्रिम मेधा कई अवसरों की पेशकश करती है लेकिन यह पारदर्शिता और निष्पक्षता से संबंधित चिंताएं भी पैदा करती है। इन मुद्दों में निजता पर AI का प्रभाव, AI प्रणालियों में पक्षपात एवं भेदभाव तथा आम जनता में AI को लेकर समझ की कमी शामिल है।’
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महालेखा परीक्षक ने कहा कि ये समस्याएं जटिल होने के साथ ही आपस में जुड़ी हुई भी हैं, ऐसे में AI का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करने की जरूरत है जिससे समाधानों की निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, मिस्र, इंडोनेशिया, ओमान, दक्षिण कोरिया, रूस, सऊदी अरब, तुर्किये तथा संयुक्त अरब अमीरात के SAI और विश्व बैंक के दो प्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं।