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अटल बिहारी वाजपेयी के 5 बड़े फैसले, जिनसे भारतीय अर्थव्यवस्था को मिली मजबूती; देखें Video

प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अटल बिहारी ने कई नीतियां लागू की थी। इन नीतियों का फायदा देश को आज भी मिल रहा है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- December 25, 2024 | 5:39 PM IST

Atal Bihari Vajpayee Jayanti: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जयंती है। वाजपेयी केवल पांच साल के कार्यकाल के लिए देश के प्रधान मंत्री रहे ,लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जिससे देश में आर्थिक वृद्धि और विकास को नया जोर मिल

‘भारत रत्न’ से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर पीएम मोदी ने बुधवार को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्होंने सशक्त, समृद्ध और स्वावलंबी भारत के निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। प्रधान मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अटल विहारी ने कई नीतियां लागू की थी। इन नीतियों का फायदा देश को आज भी मिल रहा है।

वाजपेयी सरकार के दौरान लिए गए 5 बड़े फैसले हैं, जिनसे भारतीय अर्थव्यवस्था को मिल दम;

1. गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल हाईवे प्रोजेक्ट

गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल हाईवे प्रोजेक्ट देश की सबसे लंबी हाईवे परियोजना थी। इस प्रोजेक्ट ने सड़क के जरिये बड़े शहरों को जोड़ने का काम किया था। उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम को जोड़ने के वाजपेयी के दृष्टिकोण ने भारत में सबसे बड़ी राजमार्ग परियोजना को जन्म दिया। यह परियोजना 5,846 किलोमीटर की लंबाई को कवर करती है और इसमें चार और छह लेन के हाईवे शामिल हैं। यह राजमार्ग नेटवर्क दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और बेंगलुरु, अहमदाबाद, जयपुर, विजयवाड़ा, विजाग और कटक जैसे कई प्रमुख इंडस्ट्रियल, एग्रीकल्चर और इकनॉमिक केंद्रों को जोड़ता है। आवाजाही सुगम होने से कई कंपनियों को इससे फायदा मिला और अर्थव्यवस्था को नया दम भी मिला।

2. टेलीकॉम रिफॉर्म्स

पूर्व प्रधानमंत्री के इस फैसले की चर्चा आज भी की जारती है। इस फैसले की वजह से कई लोग पूर्व पीएम अटल विहारी को देश में आधुनिक टेलीकॉम के जनक के रूप में भी मानते हैं। अटल सरकार में 1999 में नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी की शुरूआत हुई थी। इस योजना ने भारत में टेलीकॉम सेक्टर को घर-घर तक पहुंचाने का काम किया। नई नीति ने निजी कंपनियों को अपने कारोबार का विस्तार करने और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने की अनुमति दी। अटल सरकार के इस फैसले के चलते टेलीकॉम सेक्टर में सरकारी कंपनियों का एकाधिकार समाप्त हो गया। इससे कॉल टैरिफ कम हो गए और टेलीकॉम की क्वालिटी में भी बड़े पैमाने पर सुधार हुआ।

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3. पीएसयू डिसइनवेस्टमेंट

पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (PSUs) में डिसइनवेस्टमेंट या विनिवेश शुरू हुआ। हालांकि, यह वाजपेयी ही थे जिन्होंने कई पीएसयू संस्थाओं का निजीकरण करके पीएसयू विनिवेश को एक नया अर्थ दिया। एनडीए सरकार ने केवल इसी उद्देश्य के लिए अरुण शौरी के नेतृत्व में एक संपूर्ण मंत्रालय बनाया। मारुति उद्योग, भारत एल्युमीनियम, हिंदुस्तान जिंक, इंडियन पेट्रोकेमिकल्स और मॉडर्न फूड इंडस्ट्रीज समेत अन्य कंपनियों को निजी कंपनियों को बेच दिया गया। 1999 से 2004 के बीच वाजपेयी के पांच साल के शासनकाल को प्राइवेटाइजेशन का स्वर्णिम काल माना जाता है।

4. पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर प्रशासनिक निर्धारण तंत्र को ख़त्म करना

1970 के दशक से 2000 के दशक की शुरुआत तक देश में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स एडमिनिस्ट्रेटिड प्राइस मेकेनिज़्म (APM) द्वारा मैनेज किए जाते थे। इस प्रणाली ने सरकारी ऑइल मार्किटिंग कंपनियों को डीजल और पेट्रोल जैसे पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कीमत तय करने की शक्ति दी थी। साल 2002 में वाजपेयी सरकार ने एपीएम को खत्म कर दिया और पेट्रोल की कीमतों को नियंत्रणमुक्त करने की दिशा तय की। इसे आख़िरकार जून 2010 में पूरा किया गया। चार साल बाद एनडीए की सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2014 में सरकार द्वारा डीजल की कीमतों को भी नियंत्रण मुक्त कर दिया गया।

3. एफआरबीएम अधिनियम

वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने एक नया कानून बनाया जिसे राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम के रूप में जाना जाता है। इस अधिनियम का लक्ष्य फिस्कल डेफिसिट को 3% से कम बनाए रखना था। इसके अलावा, इस अधिनियम का उद्देश्य पारदर्शी राजकोषीय प्रबंधन प्रणाली शुरू करना और लंबे समय में राजकोषीय स्थिरता सुनिश्चित करना भी है। यह कानून देश के वित्त के संबंध में काफी हद तक जवाबदेही और जिम्मेदारी लेकर आया।

 

 

First Published : December 25, 2024 | 10:46 AM IST