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यूलिप की निवेश सीमा पर मिल सकती है छूट

Last Updated- December 10, 2022 | 5:28 PM IST

बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाओं (यूलिप) के तहत एक ही समूह की कंपनी में 25 प्रतिशत तक के निवेश की अनुमति दे सकती है।


ऐसा यूलिप के सामूहिक निवेश के नियम के तहत किया जाएगा।आम तौर पर यूलिप के तहत ऐसे निवेश की अधिकतम सीमा 20 प्रतिशत है। इस सीमा पर और पांच प्रतिशत की छूट दी जा सकती है अगर बोर्ड अपनी विशेषाधिकार सीमा के तहत इसकी अनुमति दे देता है।


इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार पॉलिसी धारक के फंड या किसी विशेष फंड के कुल निवेश के तहत किसी एक कंपनी या फंड में निवेश की अधिकतम सीमा के 10 प्रतिशत तक सीमित होने की उम्मीद है या फिर जो भी कम हो।


वर्तमान में, यूलिप के अंतर्गत एक कंपनी या समूह कंपनी में निवेश का कोई नियम नहीं है। बीमा नियामक यूलिप के निवेश नियमों को तैयार करने की प्रक्रिया में है ताकि एक ही जगह अधिक निवेश करने के  जोखिमों (कंसिन्ट्रेशन रिस्क) को कम किया जा सके।


यूलिप एक जीवन बीमा उत्पाद है जो सुरक्षा कवर उपलब्ध कराने के साथ-साथ अन्य बीमा योजनाओं की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक प्रतिफल उपलब्ध कराने के लिए निवेश के विभिन्न विकल्प पॉलिसीधारकों को उपलब्ध कराता है।


इसमें निवेश को यूनिट से व्यक्त किया जाता है और इसके मूल्य को शुध्द परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) के रूप में जाहिर किया जाता है। पॉलिसी के तहत किए गए निवेश का मूल्य उसके अंतर्गत विभिन्न परिसंपत्तियों के अनुसार बदलता रहता है। अगर एक ही कंपनी या फंड में यूलिप का फंड अधिक निवेश करता है तो वहां कंसिन्ट्रेशन रिस्क बन जाता है।


यह आयडिया पॉलिसिधारक के ऐसी पॉलिसियों में निवेश करने के बाद उसके मूल्य में आने वाली कमी को रोकने के लिए है जो एक कंपनी या एक कंपनी समूह में अधिक निवेश करने से उभर सकते हैं।प्रस्तावित दिशानिर्देश बीमा कंपनियों के  निवेश नियमों के विस्तृत निरीक्षण का एक हिस्सा है ताकि उन्हें इक्विटी और ऋण बाजार में अधिक निवेश करने की स्वतंत्रता मिल सके।


बीमा नियामक के सलाहकार कमिटी ने सुझाव दिया है कि निवेश का विशेषाधिकार कंपनियों और वेंचर कैपिटल फंड के पहले पब्लिक इश्यू में किये जाने चाहिए।बोर्ड एक विस्तृत निवेश नीति भी ला सकता है, लेकिन बीमा कंपनी की निवेश कमिटी बिना बोर्ड से अनुमति लिए स्वतेत्र निर्णय ले सकती है।


वर्तमान में सरकारी प्रतिभूतियों और अनुमोदित निवेश के विकल्पों में 85 प्रतिशत निवेश किया जाता है जिसमें से 50 प्रतिशत सरकारी प्रतिभूतियों में होना जरुरी है। इसके अलावा पांच प्रतिशत का निवेश गिल्ट फंडों के लिए सुरक्षित है।


कमिटी ने सलाह दी है कि इस सीमा को बढ़ा कर 10-15 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिए जाकि बीमा कंपनियां तरल उपकरणों में भी निवेश कर सके। गिल्ट फंडों का प्रबंधन परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां करती हैं जहां पैसों का निवेश अल्पावधि के मुद्रा बाजार उपकरणों में किया जाता है।


बीमा क्षेत्र से और अधिक कोष बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में लाने के लिए बीमा कंपनियों को इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स द्वारा लाए गए उपकरणों में और अधिक निवेश करने की सुविधा मिलेगी और बीमा कंपनियों को इसके लिए कोलेटरल या ब्याज भुगतान के रिकॉर्ड की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।


फिलहाल बीमा कंपनियां किसी भी उपकरण में निवेश कर सकती हैं जैसे कि मॉर्गेज आधारित प्रतिभूतियों या कॉमर्शियल पत्रों में अगर उनकी रेटिंग अच्छी है। वे एसपीवी (स्पेशल परपस वेहिकल) द्वारा लाए गए उपकरणों में भी निवेश कर सकते हैं अगर वह बुनियादी निवेश के लिए है।

First Published - April 8, 2008 | 11:36 PM IST

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