वित्त वर्ष 2008 बेशक डॉ. रेड्डीज लैबारेट्रीज के लिए सुखद नहीं रहा था, लेकिन चालू वित्त वर्ष में इसके लिए अच्छी संभावनाएं हैं।
मौजूदा वित्त वर्ष में नए उत्पादों के बाजार में उतारने और अमेरिका, जर्मनी तथा सोवियत संघ के विघटन के बाद अलग हुए देशों केप्रमुख बजारों में अपने कारोबार केविस्तार से इसके राजस्व और मुनाफे में इजाफे की उम्मीद है।
कंपनी का प्रदर्शन दूसरी तिमाही में काफी बढ़िया रहा है और कंपनी ने जर्मनी की सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एओके के 64 उत्पादों का ठेका 2.3 अरब यूरो की बोली लगाकर हासिल किया है।
जर्मनी में अपनी इकाई बीटाफार्म केजरिए एओके उत्पादों की बोली जीतने केबाद अब डॉ. रेड्डीज 8 उत्पादों को जर्मनी के विभिन्न हिस्सों में आपूर्ति कर सकेगी।
हालांकि कंपनी को इस ठेके से कितना फायदा होगा, यह बता पाना काफी मुश्किल है क्योंकि इस सौदे के बारे में अभी ठीक तरीके से खुलासा नहीं किया गया है। वैसे विश्लेषकों का मानना है कि बीटाफार्म के मौजूदा 800 करोड़ रुपये के राजस्व में 90 फीसदी का इजाफा हो जाएगा।
ऐसा माना जा रहा है कि इतने चढ़े हुए तेवरों के साथ बोली लगाने से मौजूदा कीमतों में कुछ गिरावट आ सकती है और इसके कुल मार्जिन में 25 फीसदी की गिरावट आ सकती है।
हालांकि कंपनी टेवा जैसी जेनेरिक कंपनियों की तरह बहुत ज्यादा सफल भले ही न हो, लेकिन डॉ. रेड्डीज की उत्पादन लागत कम है, जिसकी वजह से वह कीमतों पर नियंत्रण रख पाने में सक्षम है।
बीटाफार्म की काफी आवश्यकताओं को भारत के संयंत्रों में ले आने के कारण बीटाफार्म भी अन्य जेनेरिक दवाओं की ही तरह लागत के मामले में प्रतिस्पर्द्धी हो जाएगी।
एकीकरण से जुड़े कुछ मामलों का निपटारा अभी बाकी है। लेकिन अपेक्षाकृत कम लागत वाले नए उत्पादों को जर्मनी के बाजार में उतारने की अपनी नीति से कंपनी को काफी उम्मीद है।
माना जा रहा है कि इनके जरिये बीटाफार्म को जर्मनी के जेनेरिक दवा बाजार में अपनी हिस्सेदारी मौजूदा 3 फीसदी से बढ़ाकर ज्यादा करने में मदद मिल जाएग। डॉ. रेड्डीज के लिहाज से यह अच्छा कदम हो सकता है।