अगर आप अपने निवेश को 3 साल से ज्यादा होल्ड कर सकते हैं तो आपके लिए debt mutual funds बेहतर हैं, क्योंकि यहाँ आपको indexation का फायदा मिलता है और आपकी टैक्स देनदारी घटती है।
कुछ बैंक 700 से 750 दिनों की फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी या FD) पर 7 फीसदी से ज्यादा ब्याज दे रहे हैं । मई के बाद से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से रीपो रेट (repo rate) में 190 आधार अंक (basis points) की बढ़ोतरी किए जाने के बाद से बैंक जमा (deposit) दरों को लगातार बढ़ा रहे हैं। मई में खुदरा महंगाई (retail inflation) दर बढ़कर 3 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
पैसा बाजार (Paisabazaar) के सीनियर डायरेक्टर गौरव अग्रवाल के मुताबिक बढ़ी खुदरा महंगाई के साथ विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों की तरफ से मौद्रिक नीति (monetary policy) को लेकर अपनाए जा रहे सख्त रुख और रुपये पर दबाव के मद्देनजर मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (Monetary Policy Committee) आगे भी रीपो रेट में बढ़ोतरी जारी रख सकती है। जिसके फलस्वरूप बैंक आगे भी जमा दरों में बढोतरी के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
मौजूदा सूरते हाल
नकदी (liquidity) यानी मुद्रा प्रवाह में आई कमी के बीच बैंकों ने क्रेडिट (credit) से संबंधित मांग को पूरा करने के लिए जमा दरों (deposit rates) में इजाफा किया है लेकिन केंद्रीय बैंक की तरफ से रीपो रेट (repo rate) में जितनी बढ़ोतरी की गई है उसके मुकाबले यह कम है। टीबीएनजी कैपिटल एडवाइजर्स (TBNG Capital Advisors) के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) तरुण बिरानी के मुताबिक रीपो रेट के मामले में जब तक हम टर्मिनल रेट (terminal rate) तक नहीं पहुंचते हैं तब तक विराम (pause) की गुंजाइश नहीं है।
फाई मनी (Fi Money) की निवेश टीम के प्रणीत बत्तीना कहते हैं, “देश के केंद्रीय बैंक के द्वारा रीपो रेट में जितनी वृद्धि की गई है उसके मुकाबले बैंकों ने FD पर ब्याज दरों में बहुत कम बढोतरी की है, RBI ने मई से अब तक repo rate में 190 basis points का इजाफा किया है। उदाहरण के लिए देश में ज्यादातर बैंक फिलहाल एक साल के FD पर औसतन 5.7 प्रतिशत ब्याज दे रहे हैं जबकि 364-दिवसीय ट्रेजरी बिल (टी-बिल) 7.02 प्रतिशत पर ट्रेड कर रहा है।”
बैंक लोन बुक में वृद्धि के साथ-साथ शुद्ध ब्याज आय (Net Interest Income) को बढ़ाकर या तो शुद्ध ब्याज मार्जिन (Net Interest Margins) को बनाए रखने की या इसमें और वृद्धि की कोशिश कर लाभ अर्जित करने का प्रयास करते हैं। बिरानी कहते हैं, “इसलिए ऋण की बढ़ती मांग निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर विस्तार देगी। भले ही बैंकों के लिए बढ़ती उधारी लागत के कारण ऋण दरों में वृद्धि होगी, प्रतिस्पर्धी परिदृश्य (competitive scenario) और उनके अपने विकास लक्ष्य भी ब्याज दर में वृद्धि की गति को प्रभावित करेंगे।”
एसोसिएशन ऑफ रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स (ARIA) की बोर्ड सदस्य रेणु माहेश्वरी कहती हैं, “FD पर रियल रेट ऑफ इंटरेस्ट (वास्तविक ब्याज दर) अभी भी पॉजिटिव नहीं है। अगर सितंबर के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index) की बात करें तो FD पर रेट अभी भी नेगेटिव है, टैक्स को घटाने के बाद FD पर रिटर्न तो और भी कम है।”
निवेशकों को क्या करना चाहिए…
प्रणीत बत्तीना कहते हैं, “कुछ बैंक 700 से 750 दिनों के FD पर 7 प्रतिशत से ज्यादा ब्याज दे रहे हैं। वैसे निवेशक जो सिर्फ FD में निवेश करना चाहते हैं उनके लिए इस अवधि के FD में निवेश करना बेहतर हो सकता है।”
माहेश्वरी के मुताबिक अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश पर विचार कर रहे हैं तो आपको वित्तीय पेशेवरों (financial professionals) की सलाह पर ध्यान देना चाहिए, खासकर यदि आप उच्च ब्याज दरों के कारण अच्छी खासी धनराशि लगाने पर विचार कर रहे हैं।
माहेश्वरी कहती हैं, “हम अभी भी लंबी अवधि के लिए FD में निवेश करने की सलाह नहीं देते हैं। तीन साल की सावधि जमा अभी भी नकारात्मक (negative) रिटर्न के दायरे में हैं।”
बेशक, बचत खाते (savings account) में धनराशि को रखने का कोई मतलब नहीं है। उतार-चढ़ाव भरे समय में दर में बदलाव के साथ बाजार को बहुत सटीकता के साथ आंकने की कोशिश न करें।
सेबी-पंजीकृत निवेश सलाहकार और वित्तीय नियोजन फर्म, हम फौजी इनिशिएटिव्स (RIA) के CEO संजीव गोविला कहते हैं, “अगर फिर भी कोई कुछ हद तक इसे आंकना चाहता है तो चार महीने का auto-renewal bank FD लें और auto renewal को रोक दें अगर अचानक दरें बढ़ जाती हैं।”
वैकल्पिक रूप से गोविला का कहना है कि FD के लिए अलग रखी गई निवेश योग्य राशि के साथ उच्च गुणवत्ता वाली corporate FD पूरी या आंशिक रूप से ली जा सकती है।
छोटे वित्त बैंकों (small finance banks/SFB) या सहकारी बैंकों (cooperative banks) को लेकर क्या करें?
SFB और मध्यम आकार के बैंक बड़े बैंकों की तुलना में अधिक दरों की पेशकश कर रहे हैं। Cooperative बैंक छोटे वित्त बैंकों से भी बेहतर दरों की पेशकश कर सकते हैं।
माईमनीमंत्रा डॉट कॉम (MyMoneyMantra.com) के संस्थापक और प्रबंध निदेशक राज खोसला कहते हैं, “सावधानी के तौर पर निवेश से पहले बैंक की प्रतिष्ठा (reputation) का आकलन करें।” भारत में बैंकों में जमा 5 लाख रुपये तक की जमा धनराशि पर बीमा कवर का प्रावधान है।
खोसला कहते हैं, “इसलिए जमा राशि को सीमित रखने का प्रयास करें ताकि बीमा कवर के दायरे में रहें। जमा करते समय ग्राहकों को बुकिंग और रखरखाव में आसानी पर भी विचार करना चाहिए।” जबकि कुछ सलाहकार ज्यादातर SFB में छोटी धनराशि लगाने का सुझाव देते हैं। गोविला कहते हैं, अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (scheduled commercial banks) की तुलना में SFB में जोखिम ज्यादा है। यदि कोई इसके साथ सहज है तो बैंक FD के लिए रखी गई धनराशि का एक छोटा सा हिस्सा वहां रख सकता है।”
निवेशकों को अपने मौजूदा सावधि जमा की समीक्षा करती रहनी चाहिए और वे उन्हें उच्च ब्याज दरों पर फिर से बुक कर सकते हैं। खोसला कहते हैं, निवेशक अलग-अलग परिपक्वता अवधि (maturity) वाले FD में निवेश कर सकते हैं क्योंकि यह निवेशक को तरलता (नकदी की सुविधा या liquidity) प्रदान करता है और पुनर्निवेश (re-investment) से संबंधित जोखिम को कम करता है। इस तकनीक को लैडरिंग (laddering) कहा जाता है।
कुछ विशेषज्ञ पार्क-एंड-वेट-एंड-वॉच (park-and-wait-and-watch) दृष्टिकोण का सुझाव देते हैं, क्योंकि यह बहुत लंबी अवधि की FD लेने का समय नहीं है क्योंकि दरें बढ़ने की संभावना है। गोविला कहते हैं, “अभी 12 महीने की FD में निवेश करें और जब दरें स्थिर हों तो लंबी अवधि की FD में निवेश करें।”
12-15 महीने की अवधि के लिए AAA रेटिंग और उच्च गुणवत्ता वाली corporate FD, जिस पर अभी भी बेहतर ब्याज मिल रहा है, पर विचार किया जा सकता है। लेकिन यदि आप अभी FD में ज्यादा निवेश करने के लिए दृढ़ हैं तो आपको अपने निवेश को 5 लाख रुपये के दो-तीन FD में फैला देना चाहिए।
ब्याज दर के अलावा, वित्तीय संस्थान की विश्वसनीयता, कंपाउंडिंग फ्रीक्वेंसी और कुल रिटर्न पर विचार करें। कंपाउंडिंग अवधि जितनी कम होगी, मतलब कंपाउंडिंग फ्रीक्वेंसी जितनी ज्यादा होगी, आपको अपने निवेश पर उतना ही अधिक रिटर्न मिलेगा। तीन साल से अधिक समय के लिए निवेश करते समय विशेषज्ञ वैकल्पिक निवेश का सुझाव देते हैं।
FD के विकल्प के तौर पर आप विचार कर सकते हैं…
फिलहाल निवेशक बॉन्ड मार्केट में निवेश कर अच्छा रिटर्न भी कमा सकते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग निवेश ट्रस्ट (NHIT) का 1,500 करोड़ रुपये का AAA श्रेणी का गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (NCD) सोमवार को बाजार में आएंगे। कंपनी इस पर छमाही 7.90 प्रतिशत का कूपन दे रही है, जो 8.05 प्रतिशत वार्षिक यील्ड (yield) के बराबर है। इसकी अवधि 25 वर्ष है। HDFC का 10-वर्षीय AAA बॉन्ड भी फिलहाल उपलब्ध है जिस पर कंपनी 8.07 फीसदी कूपन और 8.02 फीसदी यील्ड दे रही है।
श्रीराम ट्रांसपोर्ट, पीरामल और श्रीराम सिटी यूनियन से AA और AA+ रेटिंग वाले बॉन्ड 8.5 फीसदी से 10.5 फीसदी के बीच यील्ड दे रहे हैं। Bondsindia.com के संस्थापक अंकित गुप्ता कहते हैं, “अगर आप अभी तीन से पांच साल की अवधि के लिए निवेश करते हैं तो इस बात की अच्छी संभावना है कि आप पूंजीगत लाभ (capital gains) भी अर्जित कर सकते हैं।”
बॉन्ड में निवेश करने वाले निवेशकों को केवल रेटिंग पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। एक बेहतर तस्वीर प्राप्त करने के लिए इकाई (कंपनी) की वित्तीय स्थिति – उसका आकार, वह जिस व्यवसाय में है और उसके ऋण का स्तर आदि का भी अध्ययन करें। जब आप निवेश करते हैं तो रेटिंग अच्छी हो सकती है लेकिन अगर फंडामेंटल में गिरावट आती है तो वे अचानक कई पायदान नीचे गिर सकते हैं।
Moneyeduschool के संस्थापक अर्नव पंड्या कहते हैं, “म्यूचुअल फंड स्पेस में निवेशक बैंकिंग और पीएसयू डेट फंडों को देख सकते हैं जो 6.4-7.5 प्रतिशत के दायरे में परिपक्वता पर यील्ड की पेशकश कर रहे हैं। आप 2027-2032 में परिपक्व होने वाली लंबी अवधि के टारगेट मैच्योरिटी फंड पर भी विचार कर सकते हैं, जिनकी परिपक्वता पर यील्ड अभी 7.14-7.66 फीसदी के बीच है।”