पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे असुरक्षित ऋण में बढ़ोतरी पर बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को आगाह करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज ऐसे ऋणों के लिए जोखिम भार 100 फीसदी से बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया है। जोखिम भार बढ़ने का मतलब है कि बैंकों को ऐसे कर्ज देते समय ज्यादा पूंजी अलग रखनी होगी जिसके परिणामस्वरूप ऋणदाता ऐसे कर्ज पर ब्याज दरों में इजाफा कर सकते हैं।
आरबीआई ने कहा, ‘वाणिज्यिक बैंकों के उपभोक्ता ऋणों (पुराने और नए दोनों) को देखते हुए जोखिम भार 25 फीसदी बढ़ाकर 125 फीसदी करने का निर्णय लिया गया है। इसमें पर्सनल लोन भी शामिल है लेकिन आवास ऋण, शिक्षा ऋण, वाहन ऋण और सोना तथा स्वर्ण आभूषण के बदले दिया जाने वाला सुरक्षित ऋण इसके दायरे में नहीं आएगा।’
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार बैंकों की कुल उधारी में करीब 20 फीसदी का इजाफा हुआ है, जिसमें क्रेडिट कार्ड ऋण वृद्धि करीब 30 फीसदी और पर्सनल लोन में 25 फीसदी उधारी बढ़ी है। जोखिम भार बढ़ाने के कारण ऋण पोर्टफोलियो पर असर पड़ने की संभावना है। सितंबर अंत तक बैंक का कुल रिटेल पोर्टफोलियो करीब 48.26 लाख करोड़ रुपये का था।
अधिकारी और वरिष्ठ निदेशक कृष्णन सीतारमन ने कहा, ‘ऋण पोर्टफोलियो पर बैंक के रिटेल बुक के 30 फीसदी से अधिक असर नहीं पड़ना चाहिए, जो मुख्य रूप से असुरक्षित ऋण हैं। जोखिम भार 25 फीसदी बढ़ाया गया है, ऐसे में बैंकों की पूंजी पर्याप्तता अनुपात पर मामूली असर पड़ेगा। वर्तमान में बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है और वे इस असर को वहन करने में सक्षम होंगे।’
उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर इसका संदेश सतर्क रहने का है। कोई भी खंड जो तेजी से बढ़ रहा है, उससे संबंधित खंड की संपत्ति की गुणवत्ता में चुनौतियां आने की आशंका रहती है।’
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अक्टूर में मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान पर्सनल लोन के कुछ घटक में उच्च वृद्धि को लेकर आगाह किया था और कहा था कि शुरुआती जोखिम के किसी भी लक्षण के लिए उन पर कड़ी निगानी रखी जा रही है। उन्होंने बैंकों और एनबीएफसी को अपने आंतरिक निगरानी तंत्र को दुरुस्त करने और जोखिमों के बढ़ने से निटने की सलाह दी। दास ने कहा, ‘मजबूत जोखिम प्रबंधन और सुदृढ़ अंडरराइटिंग मानक समय की जरूरत है।’
सितंबर 2019 मेंआरबीआई ने पर्सनल लोन का जोखिम भार कम कर 100 फीसदी कर दिया था। इसी के साथ एनबीएफसी का कंज्यूमर क्रेडिट एक्सपोजर भी बढ़ाकर 100 फीसदी से 125 फीसदी कर दिया गया था। लेकिन इनमें आवास ऋण, शिक्षा ऋण, वाहन ऋण और स्वर्ण आभूषणों के एवज में ऋण और सूक्ष्म वित्त एवं एसएचजी ऋण शामिल नहीं किए गए थे। क्रेडिट कार्ड के मामले में भी बैंकों एवं एनबीएफसी के लिए जोखिम भार बढ़ा दिए गए हैं। बैंकों के लिए इसे 125 फीसदी से बढ़ाकर 150 फीसदी तक कर दिया गया है। एनबीएफसी के मामले में इसे 100 फीसदी से बढ़ाकर 125 फीसदी किया गया है।
इक्रा में वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं समूह प्रमुख- फाइनैंशियल सर्विस रेटिंग्स, कार्तिक श्रीनिवासन ने कहा कि उपभोक्ता ऋणों के मामले में जोखिम भार में बढ़ोतरी उम्मीद के अनुसार ही रहे हैं। श्रीनिवासन ने कहा कि मगर बैंकों द्वारा एनबीएफसी को ऋण देने के मामले में जोखिम भार में इजाफा किए जाने की उम्मीद किसी को भी नहीं थी।
उन्होंने कहा कि इन घोषणाओं के बाद ऋणदाताओं के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होगी और इसका नतीजा यह होगा कि ग्राहकों के लिए ब्याज दरें भी बढ़ जाएंगी।
श्रीनिवासन ने कहा कि बैंकों द्वारा एनबीएफसी को ऊंची दरों पर उधार दिए जाने का असर कॉर्पोरेट बॉन्ड पर भी होगा क्योंकि इन पर यील्ड बढ़ जाएंगी।