बीएस बातचीत
ज्यादातर वैश्विक केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव कर रहे हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के कार्यकारी निदेशक व मुख्य निवेश अधिकारी एस नरेन ने पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार में कहा कि आने वाले समय में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना को देखते हुए डेट सेगमेंट दिलचस्प परिसंपत्ति वर्ग बन सकता है, जो मध्यम अवधि में जोखिम समायोजित उचित रिटर्न दे सकता है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
साल 2022 में वैश्विक इक्विटी बाजार कैसे रहने वाले हैं? क्या निवेशकों ने कोविड संबंधी अनिश्चितताओं के लिए बेहतर तैयारी की है?
इक्विटी का मूल्यांकन अपेक्षाकृत ज्यादा है, वहीं ओमीक्रोन व अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से साल 2022 में ब्याज दरों में बढ़ोतरी व अन्य वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से भी इस ओर बढऩा अगले 18 महीने में वैश्विक स्तर पर बाजार में उतारचढ़ाव के लिहाज से अहम रहेंगे। कोविड के स्वरूप से जुड़ी खबरों को लेकर भविष्य में बाजार की तात्कालिक प्रतिक्रिया से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन इसका स्थायी असर शायद ही देखने को मिलेगा, जैसा कि पिछले छह महीने की प्रवृत्तियों में नजर आया है। ऐसी स्थितियों के बीच भारत में सकारात्मक यह है कि कारोबारी चक्र अनुकूल हो गया है। कंपनियों का कर्ज घटा है, सरकार का राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है और वित्तीय क्षेत्र में गैर-निष्पादित कर्जों का चक्र भी नियंत्रण में है। इस समय ये सभी चीजें काफी सकारात्मक हैं।
वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से होने वाले बदलाव को बाजारों ने किस हद तक समाहित किया है?
अमेरिकी बाजार में नुकसान वाले कई शेयरों पर प्रदर्शन का जोरदार झटका लगा था। ऐसे समय में इक्विटी के लिहाज से भारत में खुदरा अवधारणा उच्चस्तर पर बनी हुई है जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों ने हाल में काफी बिकवाली की है। ऐसे मेंं यह स्पष्ट नहीं है अभी उभरते बाजारों की इक्विटी ने ब्याज दरों में कितनी बढ़ोतरी को समाहित किया है।
कौन से प्रमुख जोखिम को भारतीय बाजारों ने अभी तक समाहित नहीं किया है?
साल 2022 में बाजार में उतारचढ़ाव जारी रह सकता है। नई पीढ़ी के कारोबार और आईपीओ सामान्य तौर पर ऐसे क्षेत्र हैं जहां भारतीय बाजार का मूल्यांकन ज्यादा नजर आ रहा है। दूसरी ओर, कई अन्य क्षेत्र मसलन वाहनों, बैंकों का मूल्यांकन उचित नजर आ रहा है। खुदरा निवेशकों की सकारात्मक अवधारणा डेरिवेटिव में खड़े सौदों और वायदा व विकल्प के वॉल्यूम में स्पष्ट नजर आया है। खुदरा निवेशकों की अवधारणा अन्य कारक है, जिसे बाजार ने अभी तक समाहित नहीं किया है।
क्या अब खुदरा निवेशकों में कुछ हद तक सतर्कता दिख रही है?
खुदरा निवेशकों के बीच अभी खरीदारी का माहौल बना हुआ है। वास्तव में हाइब्रिड श्रेणी में निवेशकों की तरफ से निवेश बड़ा सकारात्मक और स्वागतयोग्य कदम है क्योंंकि इक्विटी बाजार का मूल्यांकन सस्ता नहीं है। अगले साल हम उन योजनाओं को तरजीह देते हैं, जो परिसंपत्ति आवंटन को लेकर लचीली है।
हाल के कुछ आईपीओ को देखते हुए साल 2022 में खुदरा निवेशक प्राथमिक बाजार में किस तरह का रुख अपनाएंगे?
पिछले छह महीने में निवेशक आक्रामक कीमत वाले आईपीओ समेत कई आरंभिक सार्वजनिक निर्गम में निवेश करते रहे हैं, जो अवधारणा के लिहाज से चिंताजनक है। आईपीओ में निवेश के समय खुदरा निवेशकों को निश्चित तौर पर चौकस व ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। कंपनियों में निवेश से पहले उन्हें ट्रेलिंग पीई, ट्रेलिंग पीबी, लाभांश प्रतिफल और इक्विटी रिटर्न पर नजर डालनी चाहिए।
आपके ओवरवेट व अंडरवेट क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
हम वाहन, बैंक, दूरसंचार और गिरावट वाली कुछ रक्षात्मक कंपनियों मसलन फार्मा व हेल्थकेयर में ओवरवेट हैं। दूसरी ओर, हम उपभोक्ता गैर-टिकाऊ को लेकर अंडरवेट हैं क्योंकि हमारा मानना है कि समाज के निचले पायदान वाली आबादी के पास नकदी कम है, जिसकी वजह महामारी का प्रभाव है, जिससे उपभोग पर दबाव है। सॉफ्टवेयर एक अन्य क्षेत्र है जहां हम अंडरवेट हैं।