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जो पार लगे सकुशल….

Last Updated- December 08, 2022 | 7:44 AM IST

आर्थिक मंदी, कारोबारी घाटे, ध्वस्त होता पूंजी बाजार… साल 2008 के हिस्से में ऐसी दुखद वित्तीय हालातों की कहानियां ज्यादा ही रही हैं।


सेंसेक्स 21 जनवरी 2008 के उच्चांक के मुकाबले 2 दिसंबर 2008 तक आधे से अधिक गिर चुका है। बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉल कैप की हालत तो और खराब है। इन्होंने इस समयावधि में क्रमश: 64.41 फीसदी और 70.19 फीसदी की गिरावट देखी है।

इस स्थिति में अगर सारे इक्विटी फंड नीचे हैं और कुछ तो लगभग बाजार से बाहर हो चुके हैं। इनमें से सात को तो सबसे बुरी तरह से प्रभावित बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स से भी अधिक मार पड़ी है।

इन सात में से पांच फंड तो जेएम फंड हैं जिसमें जेएम इमर्जिंग लीडर्स तो 78.79 फीसदी की अभूतपूर्व गिरावट के साथ बिलकुल बॉटम में है।

यह देखने के बजाय कि कौन घाटे में रहा, आज जो फंड इस कत्लेआम में बचे रह गए उन पर निगाह डाली जाएगी। शीर्ष में काबिज पांच फंड हैं, यूटीआई डिविडेंड ईल्ड, बिरला सन लाइफ डिविडेंड ईल्ड प्लस, यूटीआई कांट्रा, सहारा ग्रोथ और डीसएसपी बीआर टॉप 100 इक्विटी रेगुलर।

इन फंडों ने अपने नुकसान को दूसरे फंडों की तुलना में  36.24 फीसदी (यूटीआई डिविडेंड ईल्ड) और 39.05 फीसदी (डीएसपीबीआर टॉप 100 इक्विटी रेगुलर)कम करने में सफलता अर्जित की। आइए देखें कि उन्होंने क्या ऐसा किया जो दूसरे करने में असफल रहे…

यूटीआई डिविडेंड ईल्ड: इस फंड ने उन लोगों को गलत करार दिया जो मानते हैं कि डिविडेंड ईल्ड फंड उसी समय चमकते हैं जब बाजार नीचे जाता है। जनवरी से लेकर अक्टूबर तक इसमें गिरावट कम हुई।

इसके साथ ही यह पिछले दो सालों में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले फंडों में शामिल था। इस बारे में फंड मैनेजर स्वाति कुलकर्णी को सेक्टरों के तेजी से रुख बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता।

वे बहादुरी से अपने निवेश पर अडिग रहती हैं। चाहे वह 2007 के दौरान एनर्जी एलोकेशन की बात हो या फिर पिछले कुछ माहों में मेटल एलोकेशन बढ़ाने की बात हो।

वित्तीय क्षेत्र को उसका एलोकेशन 17 फीसदी से गिरकर 8 फीसदी कर दिया गया अब वह फिर से इस क्षेत्र में एलोकेशन बढ़ा रहीं हैं। सिर्फ सेक्टरों की बात नहीं है।

वे अपने मिडकैप शेयरों को दिए गए एलोकशन में भी अडिग रहती हैं। उन्होंने मई 2006 में एनआईआईटी टेक्नोलॉजी के शेयर आईएनजी डिविडेंड ईल्ड को छोड़कर दूसरे फंडों की तुलना में पहले खरीदे थे।

इसके साथ ही उनका बलरामपुर चीनी मिल्स, ग्रीव्स कॉटन और कमिंस इंडिया में निवेश करने के लिए चुना गया समय अच्छा साबित हुआ।

लेकिन अब जो बात उनके पोर्टफोलियो में नजर आ रही है वह चलन की ओर झुकाव। उनका इक्विटी एलोकेशन गिरकर 68 फीसदी रह गया है। डेट और कैश के बीच अच्छा संतुलन है।

बिरला सन लाइफ डिविडेंड ईल्ड प्लस: इस फंड को देर से पहचाना गया तो इसका कारण यह था कि इसने बाजार में आई गिरावट के दौरान असाधारण रेजिलेंस दिखाया था। ऐसे समय में यह सचमुच बेहद आश्चर्यजनक है जब मिड कैप और स्मॉल कैप पिछले 9 माहों में 77-86 फीसदी गिरे हैं।

इसका एक कारण यह भी है कि इसने कैश और डेट में अपना एलोकेशन बढ़ाया है जब कि दूसरे फंडों ने ऐसा नहीं किया। अप्रैल और जून 2008 के बीच में इसका कैश एलोकेशन 15 फीसदी के करीब रहा। लंबे समय में यह फंड रोड परफार्मरों के बीच में रहा है।

दिसंबर 2007 में इस फंड के पोर्टफोलियो में एनर्जी और वित्तीय सेवा क्षेत्रों की हिस्सेदारी 37 फीसदी थी। आइडेंटिकल लाइन में टाटा डिविडेंड ईल्ड उस साल सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला फंड था।

इसके बाद भी इस फंड का प्रदर्शन इस साल अच्छा नहीं रहा। इसकी वजह यह यह थी बिरला ने अधिक सतर्कता बरती।

उसका किसी भी शेयर को एलोकेशन 4.4 फीसदी से अधिक नहीं रहा था। इसकी तुलना में टाटा डिविडेंड ईल्ड का छह शेयरों को अधिक एक्सपोजर था। 

इसी के चलते जब नैवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन ने 2007 में 350 फीसदी रिटर्न दिया तब टाटा को अपनी छह फीसदी हिस्सेदारी होने का लाभ मिला जबकि बिरला को 3.82 फीसदी एक्सपोजर होने का लाभ मिला।

इस फंड का पोर्टफोलियो एक वृहद डायवर्सिफाइड था जिसमें 53 शेयर थे जो इस श्रेणी में सबसे अधिक था। यह उन निवेशकों को निराश नहीं करेगा जो असाधारण रिटर्न के एवज में चैन से सोना चाहते हैं।

यूटीआई कॉन्ट्रा: यूटीआई कॉन्ट्रा के पोर्टफोलियो की ओर निगाह दौड़ाई जाए तो इसमें कुछ भी विरोधाभाषी नजर नहीं आता, लेकिन फंड का ऑब्जेक्टिव देखकर यह बात समझ में आती है कि यह उन शेयरों में फोकस कर रहा है जो वर्तमान में अपने शेयर बाजार के इमोशनल और बिहेवियर पैटर्न के चलते  अंडरवैल्यूड है।

अगर इस फंड के रिटर्न पर निगाह दौड़ाई जाए तो हम पाएंगे कि यह फंड रिटर्न देने के मामले में अपनी कैटेगरी या बैंचमार्क या फिर बीएसई 200 को पछाड़ नहीं पाएगा।

वर्ष 2007 में इस फंड ने 40 फीसदी का अच्छा रिटर्न दिया था लेकिन इस दौरान इसकी कैटेगरी का रिटर्न 60 फीसदी ही रहा था।

इसी तरह फंड पिछले एक सालों में 46.37 फीसदी गिरा। इसी दौरान इसकी कैटेगरी में यह गिरावट 58.03 फीसदी और सेंसेक्स 54.50 फीसदी की रही। 21 जनवरी 2008 से लेकर अब तक बाजार में सबसे कम मार खाने वाले शेयरों में यह फंड तीसरे स्थान पर रहा।

अगर फंड अपने नुकसान को सीमित रखने में सफल हो पाया तो इसका श्रेय इसके कुछ विशेष कंपनियों में बेहद सोच-समझकर किए गए निवेश को जाता है।

इस फंड ने जिन पांच सेक्टरों में सबसे अधिक निवेश किया,उनमें टेक्नोलॉजी (18.8 फीसदी), वित्तीय सेवा (17.33 फीसदी), एनर्जी (12.1 फीसदी), कंज्यूमर नॉन डयूरेबल (10.63 फीसदी) और बेसिक इंजीनियरिंग (8.42 फीसदी) हैं।

यह एक्सपोजर 31 अक्टूबर 2008 तक था। फंड का लॉर्ज कैप में 65 से अधिक का एक्सपोजर है। वह इसे बनाए रख रहा है। इस फंड के वर्तमान फंड मैनेजर संजय डोंगरे इस फंड का प्रबंधन नवंबर 2006 से कर रहे हैं।

उनके कदमों से यूटीआई कोंट्रा को भी लाभ हुआ है जो फंड निवेशकों को डाउनसाइड से बचाने में सफल रहा। अब यह देखना होगा कि यह तेज बाजार में भी अपनी कैटेगरी में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला साबित होगा।

सहारा ग्रोथ: इस फंड की ख्याति सम्मानजनक रिटर्न देने की रही है। अपने पूरे इतिहास में यह फंड हर साल अपने बैंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन करता आ रहा है। लेकिन इस दौरान इसकी कैटेगरी के दूसरे फंडों का प्रदर्शन इससे अच्छा किया था।

लेकिन 2006 में सहारा के लिए छोटे सेक्टरों में निवेश करना अच्छा साबित हुआ और यह दूसरों को पछाड़ने में कामयाब रहा। पिछली पांच तिमाहियों में यह अपनी कैटेगरी के औसत से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

इसका छोटा आकार से यह मिडकैप में अधिक एक्सपोजर रखने वाला फंड नजर आता है, लेकिन सच्चाई इससे जुदा है।

इस फंड ने लार्ज कैप की ओर अधिक झुकाव दिखाया है और शायद ही इस मार्केट कैप में उसका एलोकेशन 50 फीसदी से नीचे गया है, 45 फीसदी के नीचे तो रहा ही नहीं।  इस आधार पर यह कहना भी गलत होगा कि फंड मैनेजर सुरक्षित रास्ता चुन रहें हैं।

उन्होंने 30 शेयरों पर केंद्रित पोर्टफोलियो रखा है। कुल मिलाकर बात यह है कि भले ही सहारा ग्रोथ चमका न हो लेकिन इसने इतन प्रकाश कायम रखा जो गर्माहट ला सके।

डीएसपीबीआर टॉप 100 इक्विटी: 2004 व 2005 के दौरान औसत प्रदर्शन करने वाले इस फंड ने 2006 से सबको प्रभावित करना शुरु किया।

इसी से लॉर्ज कैप ने जोरदार प्रदर्शन करना शुरु किया। 2007 में भी यह फंड इसी राह पर चलता रहा। फिर इस साल 2008 में यह अपने नुकसान को सीमित रखने में सफल रहा।

उसने यह कैश एलोकेशन बढ़ाने के साथ थोड़ा एक्सपोजर हेल्थकेयर और कंज्यूमर नॉन डयुरेबल को देकर हासिल किया।

यहां डेरिवटिव को औसतन 15 फीसदी एक्सपोजर देना भी काम आया जो 2008 में एक समय 21 फीसदी तक पहुंच गया था। लॉर्ज कैप और लिक्विड पोर्टफोलियो इसकी अच्छी कोर होल्डिंग है।

इसके साथ ही इसके पोर्टफोलियो में 40 से अधिक शेयरों का डायवर्सन है। निवेशक इसे स्थिरता को ध्यान में रखकर खरीदें न कि ऊंचे रिटर्न की बात जेहन में रखकर।

First Published - December 7, 2008 | 9:46 PM IST

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