नैशनल फाइनैंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी के चेयरपर्सन अजय भूषण पांडेय ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि कुछ क्षेत्रों में यह चिंता जताई जा रही है कि ऑडिट मानकों में बदलाव किए जाने से कुछ बड़ी फर्मों के हाथ में ऑडिट का काम चला जाएगा, यह उचित नहीं है।
पांडेय ने कहा, ‘किसी अज्ञात समस्या की गलत आशंका से हम वैश्विक मानकों के अनुरूप कार्य करने तथा अधिक पारदर्शिता और निवेशकों के संरक्षण की दिशा में काम करने से नहीं रुक सकते।’ अगर ऐसे मसलों का कोई दूर दराज का उदाहण भी आता है तो उसे आसानी से सरकार द्वारा ग्रुप ऑडिटर द्वारा सहायक कंपनियों के लिए किए जा सकने वाले ऑडिट की संख्या पर सीमा लगाकर दुरुस्त किया जा सकता है।
समाधान हमेशा संभव है। विकसित भारत के लिए भारत को वैश्विक अकाउंटिंग और ऑडिटिंग के मानकों की जरूरत है। हम निम्न स्तर के मानक अपनाने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।’राष्ट्रीय वित्तीय नियामक प्राधिकरण (एनएफआरए) ने मंगलवार को अपनी 18वीं बोर्ड बैठक के बाद 40 ऑडिटिंग मानकों (एसए) में संशोधन की सिफारिश की है।