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आतंक और मंदी की दोहरी समस्या

Last Updated- December 08, 2022 | 7:45 AM IST

पिछली घटनाओं से मिले संकेतों के आधार पर देखा जाए तो मुंबई के दो लक्जरी होटलों पर हुए बर्बर हमलों, जिनमें विदेशी नागरिकों सहित 300 लोग मारे गए थे,


इसका प्रभाव भारत के होटल एवं रेस्टोरेंट व्यवसाय तथा विमानन के क्षेत्र पर अल्प से मघ्यम अवधि तक बना रहेगा (ग्राफ देखें)। हालांकि, दोनों क्षेत्रों पर प्रभाव अलग-अलग होगा।

एक हॉस्पिटालिटी सलाहकार फर्म एचवीएस के कार्यकारी निदेशक सिध्दार्थ ठकर के अनुसार, ‘कारोबार की दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की वार्षिक होटल की मांग भारतीय पर्यटन एवं यात्रा बाजार के पांच प्रतिशत से कम की है।’

दूसरी तरफ, विश्लेषकों का भरोसा है कि यह विमानन क्षेत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय ट्रैफिक की हिस्सेदारी कुल मांग में काफी अधिक है।

दिसंबर 2008 में समाप्त हो रहे साल के लिए 6.3 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की भविष्यवाणी के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रही मंदी अधिक चिंता का विषय है।

विकसित अर्थव्यवस्थाओं के सपाट से ऋणात्मक विकास की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की गति अपेक्षाकृत अधिक होने के बावजूद नकदी की कमी से जूझ रहीं भारतीय कंपनियां अपने कर्मचारियों की संख्या कम करने में लगी हुई हैं। फैक्ट्रियां बंद की जा रही हैं और विस्तार के कार्यक्रम विलंबित किए जा रहे हैं।

मंदी के कारण कॉर्पोरेट यात्राओं के साथ-साथ छुट्टियों में की जाने वाली यात्राओं के बजट भी प्रभावित होंगे। अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा की विकास दर पांच वर्षों में सबसे कम दर्ज की जा रही है ।

अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं के मंदी से प्रभावित होने के कारण औद्योगिक इकाई वैश्विक यात्रा एवं पर्यटन परिषद ने कैलेंडर वर्ष 2010 के लिए भविष्यवाणी में कटौती कर इसे 2 प्रतिशत कर दिया है जो इसकी सामान्य दर 4 प्रतिशत से कम है।

हम दो क्षेत्रों-होटल और हवाई यात्रा क्षेत्र पर निगाह डालेंगे जो मंदी से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। साथ ही इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों पर इसका प्रभाव जानने की कोशिश करेंगे।

होटल

छुट्टियों में यात्रा के बाजार में प्रमुख हिस्सेदारी रखने वाले शीर्ष चार देश अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान अर्थिक मंदी की चपेट में हैं या फिर भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। ऊपर से, हाल में हुई आतंकी घटना के कारण पर्यटक अपने टिकटों को रद्द करवा रहे हैं।

परिणामस्वरूप, लोगों के आगमन में कमी आएगी और इसका सीधा प्रभाव चालू वित्त वर्ष में उद्योग की आय पर पड़ेगा। एचवीएस की भविष्यवाणी है कि वित्त वर्ष 2009 में ब्रांडेड बाजारों (तीन, चार और पांच सितारा होटल) में कमरों की बुकिंग में 5 प्रतिशत और दरों में औसतन लगभग 10 से 12 प्रतिशत की कमी आएगी (वित्त वर्ष 2008- 69.5 प्रतिशत)।

विदेशी बाजारों के मंदी से प्रभावित होने की बात पर्यटकों के आने की संख्या में कमी से पहले ही दृष्टिगोचर हो रही है। कैलेंडर वर्ष 2008 में अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में पर्यटकों के आगमन की दर घट कर 9.3 प्रतिशत रह गई है जबकि कैलेंडर वर्ष 2007 में यह 14 प्रतिशत थी।

फुर्सत के दिनों की यात्रा की दृष्टि से अक्टूबर से मार्च की अवधि महत्वपूर्ण होती है। छुट्टियों की यात्रा व्यवसाय का 70 प्रतिशत इसी अवधि में होता है जबकि दिसंबर से मार्च की अवधि घरेलू पर्यटकों के लिए सबसे अच्छा सीजन होता है। इसलिए अब होटल कंपनियों की निगाह घरेलू बाजार पर टिकी हुई हैं।

संभव है कि होटल किरायों में 20 प्रतिशत तक की कमी करें और मूल्य के प्रति ज्यादा संवेदनशील घरेलू ग्राहकों के साथ-साथ विदेश घूमने जाने वालों को लुभाने के लिए ट्रैवल पैकेज की पेशकश करें।

विश्लेषक कहते हैं कि होटल सम्मेलनों और अन्य अवसरों की मेजबानी के लिए आक्रामक रुख अपनाएंगे (यद्यपि, इससे होटलों को ज्यादा मुनाफा नहीं होता और पीक सीजन के दौरान वे इसमें अधिक दिलचस्पी नहीं लेते हैं) ताकि यहां आने वाले पर्यटकों की अनुपस्थिति की भरपाई की जा सके।

मंदी और आतंकी हमले के परिणामस्वरूप भारतीय होटलों के शेयरों की आय (कारोबार में कमी) और मुनाफे (एआरआर में गिरावट, अधिक वेतन लागत) में कमी आ सकती है।

भारतीय शेयर बाजार में सूचीबध्द तीन सबसे बड़ी कंपनियों का एक जायजा लेते हैं। इंडियन होटल्स: 565 कमरों वाला मुंबई का ताज महल पैलेस ऐंड टावर कंपनी की सबसे अहम जायदाद है।

यह होटल आतंकी हमले में क्षतिग्रस्त हो गया था। उल्लेखनीय है कि 2,920 करोड़ रुपये की समेकित आय में इसकी हिस्सेदारी 13 प्रतिशत की है। यद्यपि होटल के प्रबंधन ने कहा कि टावर विंग को जल्द ही शुरू किया जाएगा लेकिन चालू वित्त वर्ष में इसके खुलने के आसार कम ही लगते हैं।

ऐसी घटनाओं से पहुंचने वाली क्षतियों के लिए कंपनी ने बीमा कराया  है, लेकिन इसके नवीकरण में 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की संभावना है।

यद्यपि कंपनी की जायदाद पर मंदी का प्रभाव देखा जा रहा है (वित्त वर्ष 2009 की पहली छमाही में होटल के कमरों में रहने वालों की संख्या में साल दर तीन प्रतिशत की कमी आई है और यह 65 प्रतिशत रह गया है)।

लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी उपस्थिति (91 होटल जिनमें से 16 विदेशों में हैं), बाजार के विभिन्न वर्ग (जात, गेटवे (मध्यम दर्जे की), जिंजर) को सेवाएं उपलब्ध कराने और कम परिसंपत्ति की नीति इसे होटल व्यवसाय में सबसे कम जोखिम वाली कंपनी की श्रेणी में खड़ा करता है। ताज मुंबई के खुलने और लागत की अनिश्चितता और कारोबार में आई मंदी का प्रभाव इसके शेयरों की कीमत पर पड़ा है।

26 नवंबर के बाद से इसके शेयरों में 22 प्रतिशत की गिरावट आई है और इसका कारोबार अभी 39.65 रुपये पर किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2009 की 4.75 रुपये की प्रति शेयर आय के केवल 8.3 गुना पर इसका कारोबार किया जा रहा है और अगले 15 महीनों में इससे 15 से 20 प्रतिशत का प्रतिफल प्राप्त होना चाहिए।

ईआईएच: ईआईएच की 40 प्रतिशत आय मुंबई स्थित 88 कमरों वाले होटलों से आती है। अनुमान है कि 541 कमरों वाला ट्राइडेंट होटल 21 दिसंबर तक खुल जाएगा जबकि 347 कमरों वाले ओबेरॉय, जिसका नवीकरण किया गया है, का परिचालन वित्त वर्ष 2010 की पहली तिमाही में शुरू होने की उम्मीद की जा रही है।

फिर से इस होटल के शुरू होने की खबर से इसके शेयर की कीमतों में 20 प्रतिशत का उछाल आया और शुक्रवार को इसकी कीमत 124.40 रुपये रही।

हालांकि, ताज की तुलना में इसकी जायदाद को कम नुकसान पहुंचा था। ट्राइडेंट और ओबेरॉय दोनों के पास ऐसी घटनाओं के लिए 1,500 करोड़ रुपये तक का बीमा है।

मुंबई की जायदाद का एक बड़ा हिस्सा जल्दी ही खुल जाएगा लेकिन कंपनी को वित्त वर्ष 2009 की पहली छमाही में होटल के कमरों की बुकिंग में भारी कमी का सामना करना पड़ेगा (पिछले साल के मुकाबले चार प्रतिशत से अधिक, 60 प्रतिशत)।

इसका प्रभाव कंपनी के ब्रांद्रा कुर्ला स्थित 436 कमरों वाले होटल (कैलेंडर वर्ष 2009 की पहली तिमाही में इसे लांच किए जाने का अनुमान है) और लक्जरी विला (इस वित्त वर्ष में आय में इसका योगदान लगभग 15 फीसदी रहा) पर भी हो सकता है।

26 सितंबर के बाद इसके शेयरों में आई तेजी का कारण शायद कोलकाता, बेंगलुरु, गोवा, पुणे और अन्य शहरों में जमीन की बिक्री है। वर्तमान मूल्य पर इसके शेयरों का कारोबार वित्त वर्ष 2009 की 5 रुपये की प्रति शेयर आय के 25 गुना पर किया जा रहा जो खर्चीला है।

होटल लीला वेंचर: होटल लीला सात नए होटलों को कारोबार से जोड़ने जा रहा है जिसमें 330 कमरों वाला दिल्ली स्थित होटल भी शामिल है।

दिल्ली वाले होटल को वित्त वर्ष 2010 में लांच किया जाना है। इस प्रकार होटल लीला के कमरों की संख्या वित्त वर्ष 2012 तक दोगुनी से अधिक बढ़ कर 2,800 हो सकती है।

इससे मुंबई और बेंगलुरु के होटलों पर कंपनी की निर्भरता कम हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि फिलहाल इन दो शहरों के होटलों की हिस्सेदारी 514 करोड़ रुपये की आय में तीन चौथाई से अधिक है।

कंपनी को उम्मीद है कि कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कमरों की कमी से इसके होटलों के कमरों की बुकिंग में तेजी आएगी साथ ही एआरआर में भी इजाफा होगा।

हालांकि बेंगलुरु के बाजार पर इसकी निर्भरता, जहां कमरों के किराए कम होने के आसार है, सीमित कमरे और चेन्नई तथा हैदराबाद के बाजारों में इसकी अनुपस्थिति का मतलब है कि अल्प से मध्यावधि के दौरान इसमें तेजी आने की संभावना कम है।


वित्त वर्ष 2009 की पहली छमाही में कर्मचारियों की अधिक लागत और परिचालन खर्च के कारण ईबीआईडीटीए में भारी गिरावट देखी गई।

यह 58.51 प्रतिशत से घट कर 45.68 प्रतिशत पर आ गया और इस चलन के जारी रहने की संभावना है। होटल लीला के शेयर की कीमतों पर वैसा प्रभाव नहीं देखा गया जैसा कि अन्य दो होटलों के शेयर की कीमतों पर हुआ है।

26 नवंबर के बाद से होटल लीला के शेयर की कीमतों में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 18.90 रुपये पर इसके शेयरों का कारोबार वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित 2.8 रुपये की आय के 6.75 गुना पर किया जा रहा है और इसकी कीमत उचित है।

विमानन उद्योग

अधिक किराए और आर्थिक मंदी से इस साल अक्टूबर महीने में पैसेंजर ट्रैफिक में पिछले साल अक्टूबर की अपेक्षा 13 प्रतिशत की गिरावट आई है। एयरलाइंस परिचालनों में कटौती कर आय में इजाफा करने का उपाय कर रही हैं।

परिणामस्वरूप, सीट क्षमता अप्रैल 2008 की तुलना में 17 प्रतिशत घट कर 1.64 लाख हो गई है। अपने कारोबार को बनाए रखने और एयर टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) की अधिक कीमतों से निपटने के लिए एयरलाइंस कंपनियां पिछले साल सितंबर में समाप्त तिमाही से किरायों में बढ़ोतरी करती आई हैं।

71 रुपये प्रति लीटर के अधिकतम मूल्य पर पहुंचने के बाद एटीएफ की कीमतों में 46 प्रतिशत की कमी आई है (इसमें दिसंबर में की गई कटौती भी शामिल है) और यह लगभग 38 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर आ गया है।

वित्त वर्ष 2009 की दूसरी तिमाही में घरेलू लोड फैक्टर (विमान के सीटों की बुकिंग) 56 प्रतिशत रह गया है जबकि पहली तिमाही में यह 65 प्रतिशत था।

एटीएफ की कीमतें कम होना इस क्षेत्र के लिए राहत लेकर आएगा। केपीएमजी के वरिष्ठ सलाहकार मार्क मार्टिन कहते हैं, ‘अगर कच्चे तेल की कीमतें 47 डॉलर से 55 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहती हैं और एयरलाइंस सही रास्तों और कर्मचारियों को पुनर्संगठित करने में सक्षम होती हैं तो मार्च 2009 से इस क्षेत्र में तेजी दिखनी चाहिए।’

एयरलाइन कंपनियों के पास प्रत्यक्ष परिचालन लागतों (ईंधन, किराया, टर्मिनल हैंडलिंग, विमान कर्मचारियों के वेतन और मार्ग प्रदर्शन शुल्क) से निपटने की गुजाइश कम होती है। अप्रत्यक्ष लागतों जैसे नेटवर्क परिचालनों, बिक्री, वितरण (टिकट) और विपणन लागतों पर इनका असर देखा जा रहा है।

फ्रोस्ट ऐंड सुलिवन में एइरोस्पेस तथा डिफेंस प्रैक्टिस के निदेशक रतन श्रीवास्तव का विश्वास है कि एटीएफ की कीमतें मार्च-अप्रैल 2007 के स्तर पर रहने और परिचालन लागतों (रख रखाव को छोड़ कर) में महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होने की दशा में एयरलाइन कंपनियां आने वाली तिमाहियों में तेज गति से विकास करेंगी।

जेट एयरवेज:देश के सबसे बड़ी विमानन कंपनी (33 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी) का सीट लोड फैक्टर घटता जा रहा है। अप्रैल में जहां लोड फैक्टर 75 प्रतिशत था वहीं अक्टूबर में यह घट कर 69 प्रतिशत रह गया है।

कंपनी को भरोसा है कि लोड फैक्टर के कम होने के बावजूद यह मुनाफा कमाने में सक्षम होगी (दूसरी तिमाही में मुनाफा अर्जित करने के लिए इसे 81 प्रतिशत लोड क्षमता की जरूरत है)

क्योंकि एटीएफ की कीमतों में कमी हुई है और इसकी लागत कम करने के उपायों (वेतन बिल में कटौती, बिक्री तथा ग्राउंड हैंडलिंग के लिए अन्य एयरलाइन कंपनियों से समझौता) और वितरण मूल्यों में कटौती(ट्रैवल एजेंटों को 5 प्रतिशत कमीशन) से इसे सहारा मिलेगा।

कंपनी ने एक साल तक के लिए बोइंग विमान की खरीदारी को टाल दिया है और वित्त वर्ष 2009 की चौथी तिमाही में ठेके की समाप्ति के बाद चरणबध्द तरीके से यह चार बोइंग 747 को अपने बेड़े से निकाल रही होगी।

वित्त वर्ष 2009 की चौथी तिमाही में कीमतों में कटौती से सीट लोड में इजाफा होने का अनुमान है और तीसरी तिमाही के परिणाम बेहतर होने की उम्मीद है। कंपनी अपने घाटों को कम करने में सक्षम होगी। इसके शेयरों का कारोबार 135.85 रुपये पर किया जा रहा है।

जेट एयरवेज ने लाभ ने देने वाले अंतरराष्ट्रीय मार्गों में कटौती की है और आने वाली तिमाहियों में इसके लोड बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। शेयर की कीमतों के इस स्तर पर खरीदारी करने से अगले एक साल में बेहतर प्रतिफल मिलना चाहिए।

स्पाइसजेट: कम लागत वाली विमानन कंपनी स्पाइसजेट जिसे अगस्त में वेंचर फंड निवेशक विल्बर रॉस के 400 करोड़ रुपये के निवेश से नई जिंदगी मिली है, ने कहा कि मुंबई धमाकों के कारण टिकटों का आरंभिक रद्दीकरण 25 प्रतिशत रहा है और यह अस्थाई है। कंपनी को अनुमान है कि आने वाले समय में इसके लोड फैक्टर में भी इजाफा होगा।

ईंधन की कीमतों में कटौती के बाद कंपनी किरायों में कमी कर सकती है जिससे इसका लोड फैक्टर वित्त वर्ष 2010 में बढ़ कर लगभग 68 प्रतिशत होने में मदद मिलेगी। अधिक जोखिम उठाने की क्षमता वाले निवेशक इसके शेयरों में निवेश कर सकते हैं।

किंगफिशर एयरलाइंस: भारत की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी (27.5 फीसदी की बाजार हिस्सेदारी) ने हाल ही में नौ विदेशी रास्तों पर अपने उड़ान की शुरुआत की थी। इनमें से अधिकांश दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई ठिकाने हैं। कंपनी की योजना जनवरी 2009 से मुंबई से लंदन का परिचालन शुरू करने की है।

वित्त वर्ष 2009 की पहली छमाही में कंपनी ने उड़ानों में 21 प्रतिशत की कटौती की है और आने वाले दिनों में गैर-ईंधन लागतों में 10 प्रतिशत तक की कटौती करने का लक्ष्य कर रही है। कंपनी ने दो विमान वापस लौआ दिए हैं और चालू वित्त वर्ष में 8 अन्य विमानों को वापस करने पर विचार कर रही है।

इससे कंपनी को किराए की लागत पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी। कंपनी को पहली छमाही में 641 करोड़ रुपये का घटा हुआ है।

अधिक परिचालन खर्च, जिसमें ईंधन लागत का तीन गुना होना भी शामिल है, के कारण दूसरी तिमाही में कंपनी को 483 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। कंपनी लोड फैक्टर और प्रति सीट औसत किराया बढ़ा सकती है। विमानन क्षेत्र में निवेश करना चाहते हैं उन्हें जेट में निवेश करना चाहिए।

First Published - December 7, 2008 | 10:38 PM IST

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