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  वित्त-बीमा  शेयर बाजारों और मंदी की समस्याएं अभी खत्म नहीं हुई हैं
वित्त-बीमा

शेयर बाजारों और मंदी की समस्याएं अभी खत्म नहीं हुई हैं

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —April 28, 2008 2:14 PM IST0
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भारतीय इक्विटी मार्केट में पिछले कई सालों के दरम्यान बीमा कंपनियों  की भूमिका में इजाफा दर्ज किया गया है।


यह यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान)का असर है कि बीमा कंपनियों को इक्विटी बाजार में अपनी पैठ बनाने में सफलता हासिल हुई है। मसलन, वित्तीय वर्ष 2008 के दौरान भारतीय जीवन बीमा कंपनियों ने कुल 69,000 करोड़ रूपये का निवेश किया जिसका 95 फीसदी हिस्सा यूलिप के जरिए प्राप्त हुआ था, जो विदेशी संस्थागत निवेशकों और घरेलू म्युचुअल फंडों के द्वारा संयुक्त रूप से किए गए निवेश के बराबर था।


इस प्रकार, इस बात में संदेह की तनिक भी गुंजाइश नही है कि बाजार में अब इंश्योरेंस कंपनियां भी अहम किरदार निभा रही हैं। लिहाजा,बाजार में इनकी अहमियत और प्रारूप का जायजा लेने की दरकार से प्रिया क ंसारा की प्रसून गजरी से की बातचीत का ब्यौरा यहां प्रस्तुत किया जा रहा है।


प्रसून गजरी टाटा एआईजी लाइफ इंश्योंरेंस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर हैं। गौरतलब है कि टाटा एआईजी के मैनेजमेंट के अधीन पारंपरिक फंडों समेत 3,800 करोड़ रुपये की एसेट हैं। प्रसून ने अपने निवेश करने के तरीके से लेकर उन क्षेत्रों की भी बात की जहां किए गए निवेश  से उनको नियमित रूप से रिटर्न मिल सकेगा।


बाजार की मौजूदा स्थिति के बारे में आपका क्या ख्याल है? बाजार में जारी अनिश्चतता कब तक बरकरार रहेगी?


आगामी तीन से छह महीनों की बात की जाए ,तो यह सचमुच एक उलझी हुई स्थिति है और मुझे नही लगता कि कोई भी इस हालत में है कि वो बाजार के बारे में सही -सही बता सके कि बाजार का रूख शार्ट टर्म से मीडियम टर्म की ओर हो रहा है अथवा नहीं। यहां बहुत सारे घरेलू और वैश्विक कारक हैं जो बाजार की दशा और दिशा दोनों तय कर रहे हैं।


खासकर इनसे बाजार के सेंटीमेंट्स का प्रभावित होना बरकरार है। लिहाजा,मेरा मानना है कि बाजार में इस अनिश्चतता का दौर बरकरार रहेगा क्योंकि यह मसला अभी तक खत्म नही हु आ है। इसके अलावा अगले साल के पहले मध्य में चुनाव भी होने जा रहे हैं,लिहाजा इसे भी अनिश्चतता के दायरे में रखा जा सकता है।


वैश्विक स्तर पर अभी और कितने दर्द झेलने बाकी हैं?


अनिश्चतता का दौर अभी कुछ और समय तक रहेगा क्योंकि विश्व की फाइनैंशियल क्राइसिस अभी खत्म नही हुई है। अमेरिकी बैंक अभी भी घाटे में चल रहे हैं और उनमें से किसी ने ऐसा नही कहा है कि हम समस्या के आखिरी पड़ाव पर हैं। इसलिए मेरा कहना है कि हम सबसे बुरे दौर को देख तो रहे हैं लेकिन यह दौर खत्म नही हो रहा है।


यह दौर हो सकता है कि तीन महीनों में खत्म हो जाए या नही तो ऐसा होने में साल लग जाए। यहां असल मसला है कि कही यह क्राइसिस फाइनैंशियल सेक्टर से किसी ओर सेक्टर की न मुड़े।


भारत के बारे में आपकी दूरदृष्टि क्या है?


मेरा यह मानना है कि भारत निरंतर गति से आगे बढ़ता रहेगा और अगर यहां घोर निराशाजनक स्थिति की भी बात करें तो फिर भी भारत का जीडीपी ग्रोथ 7 से 7.5 फीसदी के बीच रहेगा। बाजार में अभी भी पर्याप्त संख्या में ऐसे स्टॉक्स उपलब्ध हैं जिनके बाजार में रिजनेबल वैल्यूशन हैं। लिहाजा,दो-तीन साल होरिजंटल भी चले जाते हैं तो फिर भी हालत में कोई नकारात्मक  प्रभाव नही पड़ेगा।


बहरहाल,अगले 3 से 6 महीनों में बाजार यदि अपेक्षित प्रदर्शन नही करता है तो हमें अनिश्चतता के दौर में रहना पड़ सकता है,जो मेरी समझ में लांग टर्म में अच्छे प्रर्दशन के लिए कीमत अदा करनी जैसा होगी। अगर होरिजंटल पीरियड को दस साल तक माना जाए तो भी तस्वीर बिगड़ने वाली नही है।


क्योंकि जिस कदर कॉरपोरेट निवेश ऊफान पर हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो रहा है उस लिहाज से भारत बुद्धि कौशल से लेकर पूंजी, श्रम और स्किल के मामले में कहीं ज्यादा प्रतिस्पर्द्धी हुआ है। इस प्रकार,ये वो सारे कारक हैं जो भारतीय बाजार को लंबी रेस के घोड़े के रूप में बनाए रख सकते हैं।


मौजूदा साल इंडिया इंक के लिए कैसा गुजरने वाला है?


निश्चित तौर पर आने वाले समय में कुछ मंदी रहेगी। कमाई में तेजी से कमी आ रही है साथ ही तेज होते ब्याज दर और स्ट्रक्चरल बोटलनेक्स के कारण बाजार की गति कम हो सकती है।इसके अलावा,अगले आनेवाले चुनाव के चलते हो सकता है कि सरकार कुछ ऐसे फैसले ले जो बाजार के अनुरूप न हो तो निश्चित ही बाजार में मंदी देखने को मिल सकती है।


अब तक के परिणामों को कैसे देखते हैं?


अब तक के परिणाम मिले-जुले रहे हैं। ऐसे कोई परिणाम देखने को नही मिले हैं जो आर्श्चजनक रहे हों। दोनों ओर से कोई खास झटके नही लगे हैं।


आपकी निवेश रणनीति क्या है?


हमारी बॉटम-अप और स्टॉक स्पेशिफिक एप्रोच है। इसके लिए हमारा इंटरनल रेटिंग सिस्टम है जो शेयरों को गुणवत्ता और मात्रात्मक दोनों स्तरों पर परखने का काम करता है। हमारा विश्लेषण प्योर फंडामेंटल्स पर निर्भर हैं और लांग टर्म कॉल्स को देखते हुए हम कदम लेते हैं।


बाजार से कितने एवरेज रिटर्न की उममीद क रनी चाहिए?


एक सामान्य जीडीपी ग्रोथ(12.5-13फीसदी) को ध्यान में रखते हुए ऐसी उममीद की जा सकती है कि लांग-टर्म पीरियड में कॉरपोरेट कमाई 15 फीसदी के दर से बढ़ेगी। जबकि मार्केट रिटर्न की दर 14 से15 फीसदी रह सकती है।सबसे खास पहलू है कि भारतीय विकास बरकरार रहेगा और इसको लेकर किसी को कोई संदेह नही है।


कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन को लेकर आपकी क्या अवधारणा है?


मेरे लिहाज से मार्केट कैपिटलाइजेशन के बजाए कंपनियों के लिए लिक्विडिटी ज्यादा अहमियत रखता है। हां लेकिन हम यहां बात उन कंपनियों की कर रहे हैं जिनका मार्केट कैपिटालाइजेशन 3500-4000 करोड़ से ज्यादा का है।


महंगाई और ब्याज दरों पर आपका क्या कहना है?


महंगाई एक अकेली वजह जिसके चलते मौजूदा तस्वीर बनी हुई है। हालांकि मानसून के बाद और इस साल ज्यादा खाद्यान्न उत्पादन के चलते इसके थमने के आसार हैं लेकिन, बावजूद इसके महंगाई दर 5 से 6 फीसदी पर रहने के आसार हैं। लिहाजा यह स्थिति तब तक बरकरार रहेगी जब तक कि संरचनात्मक मसले जैसे आपूर्ति को लेकर बाधाएं हल नही कर ली जातीं।


मेरे मुताबिक,आपूर्ति वाला मसला हल होने में कुछ समय ले सकता है लेकि न जैसे ही कोर एरिया जैसे रिफाइनिंग,माइनिंग,एग्रीकल्चर में निवेश होने जैसे ही बढ़ेंगें, चीजें खुद-ब-खुद ठीक होनी शुरू हो जाएंगी।


भारत ने पिछले कई सालों से खेती में ज्यादा निवेश नही किया है,लिहाजा,महंगाई पर काबू पाने के लिए हमें इसमें निवेश बढ़ाना ही पड़ेगा। हालांकि इसमें वक्त  लगेगा लेकिन इससे स्थिति नियंत्रण में लाने में आसानी होगी। उधर, जब तक महंगाई काबू में नही आती है तब तक ब्याज दरों में मजबूती बरकरार रहेगी।


आप अपने पोर्टफोलियो की कितनी जल्दी समीक्षा करते हैं?


आमतौर पर हम अपनी पोर्टफोलियो की बहुत जल्दी समीक्षा नही करते। हम एक लांग-टर्म क्रेता हैं और शायद ही कभी बेचने की जुगत में रहते हैं। यहां तक कि मौजूदा दौर में भी हम खांटी क्रेता के रूप में अपनी पहचान बनाए रखने में सफल साबित हुए हैं। हमने अभी भी चार-चार साल पुराने स्टॉक्स नही बेचे हैं और हमारी पोर्टफोलियो भी कमोबेश वैसी ही है,जैसी हमारी शुरूआत के वक्त थी।


आप अपनी पोर्टफोलियो में और कितने स्टॉक्स खरीदना चाहेंगे?


हम एक विशाल पोर्टफोलियो के निर्माण की ओर अग्रसर हैं और हमारी कोशिश रहेगी कि हम 40 से50 स्टॉक अपने पोर्टफोलियो में सहेज सके। इन स्टॉक्सों में निवेश से हमें लांग-टर्म रिटर्न मिलने में आसानी तो होगी ही हमें हमारे जोखिम को काबू करने में भी आसानी होगी।


लिहाजा,हमें लांग-टर्म रिटर्न में अनिश्चतता कम करने में आसानही होगी।हमारे फंड प्रीमियम से बने होते हैं जिनमें बड़ी संखया में खुदरा निवेशकों को निवेश होता है। इसलिए हमारी जिममेदारी होती है कि ये निवेशक जब हमारी पॉलिसियां खरीदें तो उन्हें निश्चित तौर पर फायदा मिल सके। उन्हें ज्यादा अनिश्चतता न झेलनी पड़े। हमारा इसमें बिल्कुल भी विश्वास नही है।


कौन से सेक्टर आप निवेश के लिहाज से सुरक्षित और फायदेमंद मानते हैं?


लांगर टर्म के लिहाज से देखा जाए तो कुल मिलाकर कोर सेक्टर हैं जहां निवेश न केवल फायदेमंद हैं बल्कि सुरक्षित भी हैं। इस लिहाज से कै पिटल गुड्स,कंस्ट्रशन,इंजीनिरिंग और फाइनेंनसियल सर्विसेज ऐसे सेक्टर हैं जहां निवेश फायदेमंद हैं।

yet not come to an end problems of share market and recession
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