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मायानगरी में रियल एस्टेट सेक्टर पर मंदी की माया

Last Updated- December 05, 2022 | 9:25 PM IST

अभी ज्यादा समय नहीं गुजरे जब मायानगरी में रियल एस्टेट के भाव आसमान को छू रहे थे पर अब क्या आवासीय क्या कारोबारी जायदाद सभी की कीमतें जमीन सूंघ रही हैं।


यहां एक तो हाल-फिलहाल में प्रॉपर्टी की कीमत में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई, वहीं दूसरी ओर इसका कारोबार भी कुछ दिनों से मंदा पड़ा है।

मंदी के आलम का पता तो इससे चलता है कि मुख्य आवासीय और कारोबारी इलाकों की प्रॉपर्टी की कीमत में 5 से 10 बार तक सुधार की नौबत आयी है।नरीमन प्वाइंट जिसे मुंबई का कारोबारी हब माना जाता है, के इलाके में ऑफिस कॉम्पलेक्सों के किराए में ठहराव की स्थिति बनी हुई है। जबकि पिछले दो सालों में इनके किराए में 100 फीसदी का उछाल आ चुका है।

प्रॉपर्टी डीलरों के मुताबिक वित्तीय संस्थानों ने शहर के दूसरे इलाकों जैसे वर्ली, लोवर परेल, बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स(बीकेसी) में अपना ठिकाना ढूंढना शुरू कर दिया है। इससे बिल्डरों और डेवलपर्स को रियल प्रॉपर्टी की कीमत को उचित रखने पर मजबूर होना पड़ा है। बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स जिसे शहर का दूसरा मुख्य कारोबारी इलाका माना जाता है, की स्थिति भी दयनीय है।

अभी कुछ ही दिनों पहले मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी(एमएमआरडीए) बीकेसी के दो प्लॉटों की नीलामी में कोई ठेकेदार तक ढूंढ नहीं पायी। जानकारों ने माना कि यह मुंबई के प्रॉपर्टी कारोबार में आए ठहराव का साफ संकेत है। जेएलएलएम के अभिषेक किरण गुप्ता के मुताबिक रियल सेक्टर में बूम के दिन अब लद गए हैं।

अभी बिल्डर केवल उन्हीं प्रापॅर्टी पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिनकी ठीक-ठाक कीमत मिलने की उम्मीद है। एक डीलर कहते हैं कि जहां पहले वर्ली में किसी अच्छे ऑफिस के लिए प्रति वर्ग फुट 550 रुपये चुकाना पड़ता था वहीं आज की हालत यह है कि इसके भाव गिरकर 375 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गए हैं।

इस डीलर के मुताबिक बीकेसी में रीयल प्रॉपर्टी की कीमत में 75 से 100 रुपये प्रति वर्ग फुट तक की नरमी आ चुकी है। अनुमान है कि इस साल के आखिर तक मुंबई में 1.5 करोड़ वर्ग फीट अतिरिक्त ऑफिस एरिया और जुड़ जाएगी। क्षेत्रफल की बात करें तो यह बीकेसी के बराबर होगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की बात करें तो यहां साल 2008 के अंत तक महज 70 लाख वर्ग फीट क्षेत्रफल का ऑफिस एरिया ही जुड़ पाएगी।

जानकारों की मानें तो अगले डेढ़ से दो साल में जमीन और जायदाद की कीमत में और कमी देखी जााएगी। गुप्ता का कहना है कि फिलहाल मुख्य कारोबारी इलाके में प्रॉपर्टी की कीमत में कोई ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिलेगा। उनके अनुसार, उप-शहरी क्षेत्र के किराये में 8 से 15 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी होने की उम्मीद नहीं है। साल 2008-09 की बात करें तो विशेषज्ञों का मानना है कि मांग घटने और आपूर्ति के अधिक रहने से रियल सेक्टर में सुस्ती जारी रहने का पूरी उम्मीद है।

आवासीय प्रॉपर्टी कारोबार में भी है मंदी ब्याज की दर से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला आवासीय प्रॉपर्टी कारोबार इस समय सुस्ती की चपेट में है। जानकारों के मुताबिक इस समय हाउसिंग सेक्टर का कारोबार 30 फीसदी तक गिर चुका है। इसकी वजह कीमत में होनेवाली बेतहाशा बढ़ोतरी है। पिछले तीन सालों में मुख्य उपशहरी क्षेत्रों में जमीन-जायदाद की कीमत में 60 से 100 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि हो चुकी है।

आवासीय प्रॉपर्टी कारोबार में आयी मंदी से जाहिर होता है कि लोन लेने वालों की वृद्धि दर में गिरावट आयी है। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के होम लोन स्कीम की वृद्धि दर 2006 में जहां 36 फीसदी थी वहीं 2007 में घटकर यह महज 16 फीसदी रह गयी। बैंक के एक अधिकारी के मुताबिक एसबीआई ने जनवरी 2008 से अबतक दो बार ब्याज दरों में कटौती की है। पर इसके बावजूद अब तक होम लोन वितरण में कोई बढ़ोतरी की सूचना नहीं है।

जायदाद की कीमत के आसमान छूने और लोगों का बड़े शहरों में फ्लैट खरीदने की क्षमता में गिरावट आने को इस गिरावट की वजह इस अधिकारी ने बतायी। आईसीआईसीआई बैंक में रिटेल एसेट्स के प्रमुख राजीव सभरवाल कहते हैं कि मुंबई में अपार्टमेंट की कीमत में 20 से 30 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। कारोबारी खरीद बढाने के लिए स्टाम्प डयूटी राहत, मुफ्त पार्किंग सुविधा और आंतरिक साजसाा का लॉलीपॉप लोगों को दे रहे हैं।

पर सबसे महत्वपूर्ण तथ्य जो है वह यह कि ऐसी स्थिति के बावजूद बिल्डर प्रॉपर्टी की कीमत में कोई कटौती नहीं कर रहे। एक प्रॉपर्टी कंसलटेंट राजेश मेहता के अनुसार एक बार कीमत में कटौती का मतलब यह होगा कि पूरा कारोबार पीछे की ओर जाने लगेगा। इससे बचने के लिए कारोबारियों की कोशिश है कि इस मुश्किल दौर में भी कीमत को कम से कम स्थिर तो रखा ही जाए।

मेहता के मुताबिक आनेवाला अप्रैल और मई महीना बड़ा ही महत्वपूर्ण बीतने वाला है यदि इस दौरान कारोबार में गर्मी न आयी तो जायदाद की कीमत में 10 से 15 फीसदी की गिरावट आनी तो तय है। स्टॉक मार्केट में आने वाले उछाल का इस धंधे पर हमेशा सकारात्मक असर पड़ता है, मतलब कि रियल एस्टेट की कीमत में बढ़ोतरी होने की एक वजह शेयर बाजार भी है।

पर इस जनवरी से अब तक 5000 अंकों से अधिक की हुई गिरावट ने अधिकांश निवेशकों की पूंजी ही सोख ली है। इस कारोबार में गिरावट की एक वजह यह भी है। यदि अगले कुछ महीनों में शेयर बाजार की स्थिति सुधरी तो जाहिर है रियल सेक्टर के दिन भी बहुरेंगे।

First Published - April 14, 2008 | 11:36 PM IST

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