देवाशिष पांडा ने जब भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) में चेयरमैन का पद संभाला था, तब बीमा उद्योग का सबसे उथल-पुथल का दौर चल रहा था। कोविड महामारी के कारण स्वास्थ्य और जीवन बीमा दावों में भारी वृद्धि हुई थी।
अगले 3 साल के दौरान पांडा ने ग्राहकों की सुविधा और बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए तमाम बड़े सुधार किए, जबकि इससे बीमा उद्योग को कुछ दिक्कतें भी हुईं। पांडा ने 14 मार्च, 2022 को आईआरडीएआई के चेयरपर्सन का पदभार 3 साल के लिए संभाला था। उन्होंने सुभाष चंद्र खुंटिया की जगह ली थी। सोमवार को केंद्र सरकार ने विज्ञापन देकर इरडाई के चेयरमैन पद के लिए आवेदन मांगे हैं, क्योंकि पांडा का कार्यकाल 13 मार्च को पूरा हो रहा है।
उनके 3 साल के कार्यकाल के प्रमुख पहल में से एक, 2047 तक ‘सभी के लिए बीमा’ का आह्वान शामिल है। इसके तहत लक्ष्य यह है कि हर नागरिक का जीवन, स्वास्थ्य और संपत्ति बीमा कवर हो और प्रत्येक उद्यम के पास उचित बीमा समाधान हो। देश में बीमा क्षेत्र के उदारीकरण के करीब चौथाई सदी के बाद भी बीमा की पहुंच बहुत ज्यादा नहीं बढ़ी है, जिसे देखते हुए यह आह्वान किया गया।
ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि बीमा की 2023 तक पहुंच 3.7 फीसदी ही रही, जो 2022 में 4 फीसदी थी। जीवन बीमा की पहुंच 2.8 फीसदी लोगों तक जबकि गैर जीवन बीमा की पहुंच महज 1 फीसदी है। वहीं वैश्विक स्तर पर बीमा की पहुंच का औसत 7 फीसदी है।
पांडा के कार्यकाल में बीमा कंपनी शुरू करने की राह में आ रही सभी बाधाओं को दूर करने की कवायद की गई और हर तरह के निवेशकों व फंड को बीमा क्षेत्र में निवेश के लिए आकर्षित किया गया, जिनमें निजी इक्विटी, वेंचर कैपिटलिस्ट, संस्थागत निवेशक, फैमिली ऑफिस आदि शामिल हैं। पांडा ने अपने भाषणों में बार-बार भारत की बड़ी कंपनियों और कारोबारी समूहों को बीमा क्षेत्र में उतरने का आह्वान किया। इन कवायदों का परिणाम यह हुआ कि बीमा उद्योग में 6 नई कंपनियां सामने आईं।
इसके अलावा पहली बार नियामक ने बीमाकर्ताओं के लिए 5 साल में देश में बीमा की पहुंच दोगुनी करने का लक्ष्य रखा। इसे हासिल करने के लिए नियामक ने कई कदम उठाए, जिनमें नियामकीय कदम के साथ अनुपालन का बोझ कम करना शामिल है। उदाहरण के लिए नियामक ने यूज ऐंड फाइल प्रक्रिया का विस्तार सभी बीमा सेग्मेंट के लिए कर दिया, जिससे कि उद्योग उभरते बाजार की जरूरतों के मुताबिक पॉलिसियां ला सके।