Skip to content
  मंगलवार 28 मार्च 2023
Trending
March 28, 2023किसके नाम पर होगा मुम्बई सेंट्रल टर्मिनस का फिर से नामकरण? महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र को भेजा यह प्रस्तावMarch 28, 2023Meta का भारत को लेकर बेहद रोमांचित, आशावादी नजरियाः संध्या देवनाथनMarch 28, 2023हॉलीवुड जाने पर प्रियंका चोपड़ा ने आखिरकार तोड़ी चुप्पी, कहा हिंदी फिल्म जगत में किया जा रहा था दरकिनारMarch 28, 2023Mexico Fire: मेक्सिको में प्रवासी केंद्र में आग का कोहराम, 39 लोगों की मौत, कई घायलMarch 28, 2023आंगनबाड़ी केंद्रों पर सरकार जल्द पूरी करे भर्तियां, समिति ने जाहिर की चिंताMarch 28, 2023हो जाएं सतर्क! H3N2 के मामलों में हो रहा लगातार इजाफा, इस साल 21 मार्च तक आ गए 1,300 से ज्यादा मामलेMarch 28, 2023ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ में चीन, भारत मिलकर करेंगे आधा योगदानः रिसर्च संस्थानMarch 28, 2023वित्त वर्ष-23 में टोल ऑपरेटरों के राजस्व में हो सकता है 16-18 फीसदी का इजाफा: क्रिसिलMarch 28, 2023गुमराह करने वाले यूट्यूब वीडियो मामले में अरशद वारसी, उनकी पत्नी को सैट से मिली राहतMarch 28, 2023Arhar/Tur dal price: अरहर दाल पर चढ़ने लगा महंगाई का रंग
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  वित्त-बीमा  कच्चे तेल का खेल: कोई संभला तो कोई फिसला
वित्त-बीमा

कच्चे तेल का खेल: कोई संभला तो कोई फिसला

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —November 9, 2008 10:00 PM IST
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

अमेरिका में चल रही आर्थिक मंदी और अन्य देशों की आर्थिक व्यवस्था प्रभावित होने से मांग घटने की संभावनाओं के कारण कच्चे तेल की कीमतें 147 डॉलर प्रति बैरल के रेकॉर्ड स्तर से घट कर वर्तमान में 60 से 61 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं।


भारत अपनी जरूरत का 70 प्रतिशत तेल आयात करता है और प्रशासित मूल्य प्रणाली लागू करने पर विचार कर रहा है। इसका प्रभाव घरेलू तेल कंपनियों, सरकारी और निजी दोनों, पर अलग-अलग पड़ने की संभावना है। कंपनियों को अपस्ट्रीम (तेल की कीमतों में परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित होने वाली कंपनियां) (ओएनजीसी, केयर्न इंडिया, ओआईएल और गेल) तथा डाउनस्ट्रीम- परिशोधन और तेल विपणन कंपनियों (एचपीसीएल, बीपीसीएल और आईओसी) में वर्गीकृत किया गया है।

कच्चे तेल की कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रभाव विभिन्न जगहों पर होता है। इसमें तेल भंडार के मूल्य, तेल उत्पादकों की उगाही और परिशोधन लाभ आदि शामिल हैं। इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों का भविष्य सब्सिडी फॉर्मूले और ईंधन की कीमत जैसी सरकारी नीतियों पर बहुत अधिक निर्भर करता है।

इन तेल कंपनियों पर सरकारी नीतियों का प्रभाव किस प्रकार होता है, आइए जानने की कोशिश करते हैं।

डाउनस्ट्रीम कंपनियां

वित्त वर्ष 2009 की पहली तिमाही में कच्चे तेल की कीमतें अधिक होने से तेल विपणन कारोबार से जुड़ी कंपनियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कच्चे तेल की कीमत लगभग 140 डॉलर प्रति डॉलर होने पर लागत से कम मूल्य पर बेचने से होने वाला नुकसान (अन्डर-रिकवरीज) में हुई बढ़ोतरी के कारण ऐसा हुआ था।

अंडर-रिकवरीज में तीन गुनी बढ़ोतरी हुई (वित्त वर्ष 2008 की तुलना में) और यह लगभग 2,45,000 करोड़ रुपये हो गया। इसके बाद जब कच्चे तेल की कीमतों में कमी आई तो भंडार से जुड़े घाटे के रूप में एक नई चिंता उभर कर सामने आई (क्योंकि कंपनियों के पास जो भंडार था, उसे अधिक कीमतों पर खरीदा गया था) जिससे कंपनियों का वित्तीय स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ।

कुल मिला कर वित्त वर्ष 2009 की दूसरी तिमाही में संयुक्त घाटा 13,000 करोड़ रुपये का रहा। सकल परिशोधन मुनाफा (जीआरएम) घट कर दूसरी तिमाही में इकाई अंक में आ जाने से तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की चिंताओं में इजाफा ही हुआ। वित्त वर्ष 2009 की पहली तिमाही में जीआरएम 15 डॉलर प्रति बैरल था।

आकलन के मुताबिक ओएमसी को प्रत्येक लीटर पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर क्रमश: 13 और 23 रुपये का घाटा हो रहा था जब कच्चे तेल की कीमतें शीर्ष पर थीं। जून 2008 में ओएमसी ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमश: 5 रुपये और 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी।

ऐसा शुल्कों में कटौती के अतिरिक्त किया गया था। इन कदमों के बावजूद अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में ओएमसी को प्रत्येक लीटर पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर क्रमश: 3 रुपये और 7 रुपये का घाटा हो रहा था। हालांकि, तेल की वैश्विक कीमतों में जुलाई के अधिकतम मूल्यों के बाद आई गिरावट ओएमसी के लिए अच्छी खबर है।

आकलन के मुताबिक, अंडर-रिकवरीज 1.30 करोड़ रुपये से 1.45 करोड़ रुपये के दायरे में होगी जो शीर्ष स्तर से 40 से 45 प्रतिशत कम है। आईओसी के वित्तीय निदेशक एस वी नरसिम्हन कहते हैं, ‘हमारा अंडर-रिकवरी 410 करोड़ रुपये रोजाना से घट कर वर्तमान में लगभग 80 करोड़ प्रति दिन हो गया है।’ शीर्ष स्तर से देखा जाए तो इसमें लगभग 80 प्रतिशत का सुधार हुआ है।

एंजेल ब्रोकिंग के तेल एवं गैस के विश्लेषक दीपक पारिख कहते हैं, ‘अंडर-रिकवरीज में आती कमी का प्रभाव सभी तेल विपणन कंपनियों के लिए सकारात्मक होगा क्योंकि इससे उनके मुनाफे में इजाफा होगा।’ दूसरी तरफ रुपये के अवमूल्यन से खेल बिगड़ा है।

यद्यपि कच्चे तेल की कीमतों में डॉलर के नजरिये से लगभग 57 प्रतिशत की कमी हुई है लेकिन रुपये के नजरिये से देखा जाए तो इसमें केवल 52.5 प्रतिशत की ही कमी हुई है जिसकी वजह पिछले चार महीनों में रुपये में नौ प्रतिशत का हुआ अवमूल्यन है।

एक औद्योगिक सूत्र के अनुसार, ‘जब रुपये का कारोबार 41 से 42 के स्तर पर किया जा रहा था तब कच्चे तेल की कीमतें लगभग 67-68 डॉलर प्रति बैरल थीं। लेकिन हाल में जब रुपये का मूल्य घट कर 49 के स्तर पर पहुंच गया तो कच्चे तेल की संशोधित कीमत 59 डॉलर प्रति बैरल हो गईं।’

अगर कच्चे तेल की कीमतें एक खास समय तक इसी स्तर पर बनी रहीं तो ओएमसी को पेट्रोलियम उत्पादों की सीधी बिक्री से अच्छा लाभ हो सकता है। तेल की वैश्विक कीमतों में कमी से पेट्रोल और डीजल की घरेलू कीमतों में कटौती किए जाने की मांग की जाने लगी।

सरकार महंगाई दर भी घटाना चाहती है (मार्च 2009 तक आरबीआई का लक्ष्य महंगाई घटा कर 7 प्रतिशत करने का है) ताकि आने वाले समय में मौद्रिक नीतियों में नरमी लाई जा सके और मंद होते आर्थिक विकास को गति दी जा सके। उच्च स्तर से कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी से अंडर-रिकवरीज में कमी आएगी और इस प्रकार भविष्य में ओएमसी के वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार होगा।

ओएमसी को फिर से अच्छा लाभ प्राप्त हो,इसके लिए कच्चे तेल की कीमतों का 60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के आसपास बना रहना चाहिए। सब्सिडी की साझेदारी और ईंधन की कीमतों को लेकर सरकार की नीतियों की अनिश्चितता को देखते हुए विश्लेषकों का कहना है कि कुल मिलाकर तेल कंपनियों पर जो असर पड़ेगा उसके बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल है।

जैसा कि विश्लेषकों का आकलन है कि व्यापक आधार पर शीर्ष स्तर के बाद डीजल की प्रति लीटर कीमतों पर अंडर-रिकवरीज घट कर 15.5 रुपये रह गई हैं। इसलिए अगर सरकार पेट्र्रोल और डीजल की कीमतों पर 1 से 2 रुपये प्रति लीटर की भी कटौती करती है तो यह जुलाई 2008 की तुलना में बेहतर ही होगा।

अपस्ट्रीम कंपनियां

कच्चे तेल की कीमतों में हो रही गिरावट तेल विपणन कंपनियों के लिए सकारात्मक है लेकिन ओएनजीसी और केयर्न इंडिया जैसी कंपनियों पर इसका प्रभाव ओएमसी जैसा नहीं है क्योंकि उन्हें प्रति बैरल तेल की बिक्री से कम पैसे प्राप्त (रियलाइजेशन) होंगे। रियलाइजेशन के मामले में प्रत्येक कंपनी पर भिन्न प्रभाव पड़ता है।

उदाहरण के लिए सितंबर 2008 में समाप्त हुई तिमाही में केयर्न इंडिया का औसत रियलाइजेशन 8.3 प्रतिशत कम लगभग 87.3 डॉलर प्रति बैरल रहा (तिमाही दर तिमाही)। लेकिन ओएनजीसी के मामले में रियलाइजेशन 32.4 प्रतिशत घट कर 46.4 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

ओएनजीसी के रियलाइजेशन में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और सब्सिडी का बोझ बढ़ने के कारण महत्वपूर्ण कमी आई। हालांकि, रुपये के अवमूल्यन से रियलाइजेशन में आई कमी को थोड़ा सहारा मिला है। क्योंकि, रियलाइजेशन डॉलर में प्राप्त किया जाता है। केपीएमजी के एसोसिएट डायरेक्टर कुमार मनीश कहते हैं, ‘कुल मिला कर जब तक तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक रहती हैं तब तक उद्योग का प्रतिफल आकर्षक बना रहेगा।’

अंत में, अपस्ट्रीम कंपनियों पर पड़ने वाला प्रभाव उनके तेल या अन्य उत्पाद जैसे गैस इत्यादि में निवेश के आधार पर भिन्न-भिन्न होगा। उदाहरण के लिए केयर्न इंडिया के राजस्व का 97 प्रतिशत कच्चे तेल की बिक्री से प्राप्त होता है जो ओएनजीसी के 75 प्रतिशत से अधिक है।

आईओसी

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) एक ‘फॉर्चून 500’ कंपनी है लेकिन इसकी किस्मत अच्छी नहीं रही है। वित्त वर्ष 2009 की दूसरी तिमाही में इसे 7,047.13 करोड़ रुपये का शुध्द नुकसान हुआ है जबकि वित्त वर्ष 2008 की दूसरी तिमाही में इसे 3,817.75 करोड़ रुपये का शुध्द लाभ हुआ था।

 पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री के अंडर-रियलाइजेशन में वृध्दि, रुपये में अवमूल्यन के कारण विदेशी मुद्रा घाटा, कच्चे तेल की कीमतों में कमी से भंडार से जुड़े नुकसान और अपेक्षाकृत अधिक ब्याज दरों और उधारी के कारण बढ़े ब्याज खर्च की वजह से कंपनी को घाटा हुआ है।

तंल के कारोबार में कंपनी की पकड़ मजबूत है क्योंकि देश के 19 रिफाइनरियों में से यह 10 का परिचालन करती है साथ ही भारत के पेट्रोल पंपों (विपणन) का लगभग 47 प्रतिशत इसके पास है। लंबी समयावधि में आईओसी के पास तेल की खोज और उत्पादन से राजस्व प्राप्ति के विभिन्न रास्ते होंगे। भारत में  आठ तेल एवं गैस और दो कोल-बेड मिथेन ब्लॉक के साथ-साथ ईरान, यमन और नाइजीरिया के ब्लॉक में कंपनी की दिलचस्पी है।

आईओसी ने ऑयल इंडिया के साथ मिल कर एक उद्यम किया है जिसका मकसद विदेशी परिसंपत्तियों की खरीदारी करना है। आईओसी अपने डाउनस्ट्रीम कारोबार को भी विशाखित कर रही है। पेट्रोलियम व्यवसाय के लिए यह लीनियर एल्किल बेंजीन संयंत्र और एक रीफाइनरी-कम-पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स पारादीप में बना रही है।

इसकी वजह से भविष्य में कंपनी को निर्यात से होने वाली आय बढेग़ी। विश्लेषकों को भरोसा है कि कंपनी अपने पिछड़ेपन को परिमाणात्मक बिक्री की बदौलत सुधारने में सफल हो सकती है (यह भारत के पेट्रो-उत्पादों का लगभग 56 प्रतिशत बेचती है) कंपनी के पास भारत की कुल परिशोधन क्षमता का 40 प्रतिशत है और यह खुले दिल से निवेश करती है।

कंपनी के शेयर का कारोबार फिलहाल वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित आय के 12 के पीई पर किया जा रहा है। इसे पोर्टफोलियो में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है।

बीपीसीएल

कच्चे तेल में आई नरमी के साथ ही वित्त वर्ष 2009 की दूसरी तिमाही में सकल रीफाइनिंग लाभ में गिरावट देखी गई। वित्त वर्ष 2009 की प्रथम तिमाही में बीपीसीएल की मुंबई रिफाइनरी ने 1.82 डॉलर प्रति बैरल जीआरएम दर्ज की तथा कोच्चि की रिफाइनरी का जीआरएम 6.24 डॉलर प्रति बैरल रहा जबकि वित्त वर्ष 2009 की पहली तिमाही में यह 18.65 डॉलर प्रति बैरल था।

दूसरी तिमाही में बीपीसीएल की अंडर-रिकवरी 10,277 करोड़ रुपये रहा। इसके साथ ही भंडार से जुड़ा घाटा भी 606 करोड़ रुपये का था। इससे कंपनी को 2,625 करोड़ रुपये का शुध्द घाटा हुआ। जबकि कंपनी ने 4,782 करोड़ रुपये के तेल बॉन्ड जारी किए थे और अपस्ट्रीम कंपनियों इसे 3,420 करोड़ की सब्सिडी मिली थी।

यद्यपि बीपीसीएल के पास 12,000 से अधिक पेट्रोल पंप है लेकिन लगातार अंडर-रियलाइजेशन सहने के कारण इससे कंपनी को लाभ नहीं मिल पा रहा है। कंपनी के शेयर का कारोबार वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित आय के 12.4 के पीई पर तथा वित्त वर्ष 2010 की अनुमानित आय के 7.2 गुना पर किया जा रहा है। हालांकि, इससे सस्ते विकल्प भी उपलब्ध हैं लेकिन इसके शेयर कंपनी की रिप्लेसमेंट लागत और निवेशों (10,000 करोड़ रुपये) को देखते हुए सस्ते हैं।

एचपीसीएल

कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी से ओएमसी लाभ कमाने की स्थिति के करीब आ गए हैं। लेकिन निजी कंपनियों जैसे रिलायंस और एस्सार से प्रतिस्पध्र्दा बढ़ सकती है क्योंकि इन कंपनियों ने फिर से अपने खुदरा पेट्रोल पंपों का परिचालन शुरू कर दिया है जो सब्सिडाइज्ड दरों के कारण एचपीसीएल जैसी ओएमसी के लिए अव्यवहार्य है।

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने साल दर साल राजस्व में लगभग 47 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है और वित्त वर्ष 2009 की दूसरी तिमाही में इसकी आय 35,522 करोड रुपये रही। आय में बढ़ोतरी मुख्य रूप से पेट्रोल और डीजल की बिक्री के रियलाइजेशन से हुई क्योंकि वित्त वर्ष 2009 की पहली तिमाही में ईंधन की कीमतों में वृध्दि की गई थी और कारोबार में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।

ईबीआईटीडीए स्तर पर दूसरी तिमाही में कंपनी को लगभग 2,540 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ क्योंकि अंडर-रिकवरीज में बढ़ोतरी हुई थी और जीआरएम में गिरावट आई थी। अधिक ब्याज दरों के और कामकाजी पूंजी के लिए अधिक उधार लेने के कारण कंपनी के ब्याज की लागत बढ़ कर 276.8 प्रतिशत हो गई। इसके शेयरों का कारोबार वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित आय के 27 गुना पर किया जा रहा है जो अन्य की तुलना में काफी अधिक है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज

रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर की कीमतों में कुछ समय तक तेजी रही। हालांकि, शेयर के हाल के खराब प्रदर्शन की वजह रिफाइनिंग लाभ से जुड़े मुद्दों, कच्चे तेत और गैस की कीमतों में कमी, पेट्रोकेमिकल कारोबार के परिदृश्य और वैश्विक तथा भारतीय अर्थव्यवस्था में आई मंदी रही। यही कारण था कि बीएसई के सेंसेक्स में 23.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर की कीमतों में 36 प्रतिशत की कमी आई।

वित्त वर्ष 2009 की पहली तिमाही में सिंगापुर का जीआरएम लगभग 8.17 डॉलर प्रति बैरल था दूसरी तिमाही में इसमें 28 प्रतिशत की कमी आई और यह 5.86 डॉलर प्रति बैरल रहा। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए विश्लेषकों ने सिंगापुर के जीआरएम का आकलन वित्त वर्ष 2010 और 2011 के लिए 5 से 5.5 डॉलर किया है।

यह भी एक कारण है कि आरआईएल और आरपीएल (रिलायंस पेट्रोलियम) का रिफाइनिंग लाभ कम हो सकता है। वित्त वर्ष 2009 की पहली तिमाही में जहां आरआईएल का रिफाइनिंग लाभ 15.7 डॉलर प्रति बैरल था वहीं दूसरी तिमाही में यह घट कर 13.4 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

इन सबको देखते हुए विश्लेषकों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2010 और 2011 में आरआईएल का जीआरएम लगभग 10 से 11 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहेगा। उसी प्रकार आरआईएल के आय के अनुमानों में भी 10 से 20 प्रतिशत की कटौती की गई है और वित्त वर्ष 2009 के लिए इसे 108 रुपये तय किया गया है जबकि वित्त वर्ष 2010 के लिए 15 से 20 प्रतिशत की कटौती कर 160 रुपये तय किया गया है।

कुल मिलाकर अल्पावधि में चिंताएं बरकरार रह सकती हैं। यद्यपि आरपीएल रिफाइनरी का चालू और ई ऐंड पी व्यवसाय का अच्छा होना मध्यम से दीर्घावधि के लिए सकारात्मक है। इसके अलावा विश्लेषकों को भरोसा है कि कंपनी के शेयरों का कारोबार आकर्षक मूल्यों पर किया जा रहा जो वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित के 11.2 गुना और वित्त वर्ष 2010 की अनुमानित आय के 7.6 गुना पर किया जा रहा है।

ओएनजीसी

तेल की खोज और उत्पादन करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी ओएनजीसी ने शुध्द लाभ में साल दर साल के आधार पर 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है और तिमाही दर तिमाही के आधार पर दूसरी तिमाही में 27 प्रतिशत का घाटा उठाया है।

दूसरी तिमाही में कंपनी का शुध्द लाभ 4,810 करोड़ रुपये रहा। लाभ में कमी का कारण बहुत हद तक कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और 12,660 करोड़ रुपये के सब्सिडी का बोझ रहा जिसकी वजह से कंपनी का शुध्द रियलाइजेशन कम हो कर 46.7 डॉलर प्रति बैरल हो गया (तिमाही दर तिमाही 32 प्रतिशत की कमी)। वर्तमान परिस्थितियों और दूसरी तिमाही से मिले संकेतों से अल्पावधि में चिताएं बढ़ सकती हैं।

इसके अतिरिक्त, अगर ईंधन की घरेलू कीमतों में कटौती की जाती है तो कंपनी की लाभोत्पादकता इससे प्रभावित होगी। कुछ विश्लेषकों ने आय के अनुमानों की समीक्षा की है और वित्त वर्ष 2009 तथा 2010 के लिए इसमें 5 से 7 प्रतिशत की कमी की है। विश्लेषकों के अनुसार, अगर कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 90 से 100 डॉलर प्रति बैरल के औसत स्तर पर रहती हैं तब वित्त वर्ष 2009 में ओएनजीसी की प्रति शेयर आय (ईपीएस) 92.6 से 120 रुपये के दायरे में रह सकती है, इसमें 35,700 करोड़ रुपये के सब्सिडी के बोझ (कुल सब्सिडी के 13 के आधार पर गणना की गई है) का अनुमान लगाया गया है।

केयर्न इंडिया

केयर्न इंडिया, जिसका भविष्य कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों के प्रति बहुत संवेदनशील है, का प्रदर्शन कुछ समय तक सबसे बेहतर रहा। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में हाल में आई गिरावट से कंपनी के शेयरों के मूल्य घटे हैं।

यह तीसरी तिमाही के परिणामों में भी दिखता है जहां औसत रियलाइजेशन में तिमाही दर तिमाही आधार पर लगभग आठ प्रतिशत की कमी आई और यह 87.3 डॉलर प्रति बैरल रहा। कच्चे तेल की घटती कीमतों से प्रभावित होने के मामले में केयर्न कोई अपवाद नहीं है और मंदी की बढ़ती आशंकाओं से विश्लेषकों ने आय के अनुमानों में 10 से 15 प्रतिशत तक की कटौती की है।

विश्लेषकों का अनुमान है कि कैलेंडर वर्ष 2009 में प्रति शेयर आय 9.7 रुपये और कैलेंडर वर्ष 2010 में प्रति शेयर आय 37 रुपये होगी। कैलेंडर वर्ष 2010 में राजस्थान के मंगाला क्षेत्र में तेल उत्पादन की शुरुआत होने के कारण विकास अधिक होगा। कंपनी के शेयर का कारोबार कैलेंडर 2009 की अनुमानित आय के 14 गुना और कैलेंडर वर्ष 2010 के 3.8 गुना पर किया जा रहा है।

crude oil's play:one survive other suffer
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

संबंधित पोस्ट

  • संबंधित पोस्ट
  • More from author
बैंक

CAG Report: SBI पर बरस रहा धन, बिना डिमांड मिल गया 8,800 करोड़ का फंड

March 28, 2023 12:18 PM IST
आज का अखबार

एटी-1 बॉन्ड मामले को लेकर सुर्खियों में येस बैंक का शेयर

March 27, 2023 10:46 PM IST
आज का अखबार

धोखाधड़ी की श्रेणी में डालने से पहले कर्जदार की हो सुनवाई: सर्वोच्च न्यायालय

March 27, 2023 9:42 PM IST
आज का अखबार

बैंकों के नए मॉडल के लिए छोड़ना पड़ेगा लाभांश

March 27, 2023 9:27 PM IST
अर्थव्यवस्था

PF Interest Rate Hike: खुशखबरी! अब PF में जमा रकम पर मिलेगा अधिक ब्याज, EPFO ने बढ़ाया इंटरेस्ट रेट

March 28, 2023 11:38 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

H-1B वीजा धारकों को नौकरी से हटाए जाने पर 60 दिन के भीतर देश छोड़ने की धारणा गलत: USCIS

March 28, 2023 10:18 AM IST
अन्य समाचार

आधार में पता बदलने की आसान प्रक्रिया साइबर धोखाधड़ी का प्रमुख कारण : पुलिस

March 28, 2023 10:10 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

अमेरिका राहुल गांधी के अदालती मामले पर नज़र रख रहा है: अधिकारी

March 28, 2023 9:41 AM IST
अन्य समाचार

तीन साल में 1450 से ज्यादा पायलटों को दी गई ट्रेनिंग: केंद्र

March 27, 2023 6:16 PM IST
अन्य समाचार

Morbi Bridge Collapse: 135 मौतें, 56 लोग घायल; ओरेवा समूह ने जमा की अंतरिम मुआवजे की 50 फीसदी राशि

March 27, 2023 6:07 PM IST

Trending Topics


  • Stocks To Watch
  • Share Market Today
  • H-1B Visa
  • Rahul Gandhi
  • Walt Disney
  • Coronavirus Update
  • Gold-Silver Price Today
  • Rupee vs Dollar

सबकी नजर


किसके नाम पर होगा मुम्बई सेंट्रल टर्मिनस का फिर से नामकरण? महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र को भेजा यह प्रस्ताव

March 28, 2023 6:07 PM IST

Meta का भारत को लेकर बेहद रोमांचित, आशावादी नजरियाः संध्या देवनाथन

March 28, 2023 6:05 PM IST

हॉलीवुड जाने पर प्रियंका चोपड़ा ने आखिरकार तोड़ी चुप्पी, कहा हिंदी फिल्म जगत में किया जा रहा था दरकिनार

March 28, 2023 5:42 PM IST

Mexico Fire: मेक्सिको में प्रवासी केंद्र में आग का कोहराम, 39 लोगों की मौत, कई घायल

March 28, 2023 5:27 PM IST

आंगनबाड़ी केंद्रों पर सरकार जल्द पूरी करे भर्तियां, समिति ने जाहिर की चिंता

March 28, 2023 5:16 PM IST

Latest News


  • किसके नाम पर होगा मुम्बई सेंट्रल टर्मिनस का फिर से नामकरण? महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र को भेजा यह प्रस्ताव
    by भाषा
    March 28, 2023
  • Meta का भारत को लेकर बेहद रोमांचित, आशावादी नजरियाः संध्या देवनाथन
    by भाषा
    March 28, 2023
  • हॉलीवुड जाने पर प्रियंका चोपड़ा ने आखिरकार तोड़ी चुप्पी, कहा हिंदी फिल्म जगत में किया जा रहा था दरकिनार
    by भाषा
    March 28, 2023
  • Mexico Fire: मेक्सिको में प्रवासी केंद्र में आग का कोहराम, 39 लोगों की मौत, कई घायल
    by भाषा
    March 28, 2023
  • आंगनबाड़ी केंद्रों पर सरकार जल्द पूरी करे भर्तियां, समिति ने जाहिर की चिंता
    by भाषा
    March 28, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
57613.72 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स57614
-400.07%
निफ्टी57614
-400%
सीएनएक्स 50014212
-510.36%
रुपया-डॉलर82.34
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
PNC Infratech282.556.46
SPARC179.106.10
Torrent Power510.954.79
CSB Bank245.004.32
Bank of India71.484.30
PNB Housing486.254.16
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
PNC Infratech282.006.37
SPARC178.906.17
Torrent Power511.354.96
Emami365.404.50
CSB Bank244.504.09
Manappuram Fin.118.803.76
आगे पढ़े  

# TRENDING

Stocks To WatchShare Market TodayH-1B VisaRahul GandhiWalt DisneyCoronavirus UpdateGold-Silver Price TodayRupee vs Dollar
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us