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सेक्टर फंड डायवर्सिफायर हैं

Last Updated- December 08, 2022 | 7:44 AM IST

वर्तमान परिदृश्य में किस कैटेगरी के फंड बेहतर रिटर्न अर्जित करने में सफल रहेंगे, सेक्टर फंड या फिर  डायवर्सिफाइड फंड?


लंबी अवधि में ग्रोथ के मद्देनजर एक या अधिक डायवर्सिफाइड फंडों में नियमित निवेश अच्छा विकल्प है।  सामान्य इक्विटी निवेशक को सेक्टर फंडों से बचना चाहिए।


इसलिए क्योंकि उनका लक्ष्य डायवर्सिफिकेशन  होता है। सेक्टर फंड में निवेश करने के लिए यह ज्ञान होना जरूरी है कि कब खरीदा जाए और कब बेचा जाए।  फिर यह डायवर्सिफाइड फंड की तुलना में अधिक अस्थिर होते हैं।


अगर मैं घाटा दे रहे किस फंड से इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसस) की ओर जाता हूं तो क्या मुझे कै पिटल लॉस बेनिफिट मिलेगा ? क्या मैं हुए घाटे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन से संतुलित कर सकता हूं ? साथ  ही क्या कैपिटल लॉस को केवल कैपिटल गेन से ही बराबर किया जा सकता है या फिर क्या यह किसी कर योग्य आय से घटाया जा सकता है।

किसी यूनिट की बिकवाली से हुए घाटे की भरपाई किसी दूसरे कैपिटल गैन से की जा सकती है। इस पर आपके ईएलएसएस फंड की ओर जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 

अगर आपका घाटा शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस है तो इसकी भरपाई शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन और लांग टर्म कैपिटल गेन दोनों से हो सकती है।

भारत में इक्विटी आधारित फंडों से अर्जित लांग टर्म कैपिटल गैन को आयकर से मुक्त रखा गया है इसलिए किसी भी  लांग टर्म कैपिटल लॉस की भरपाई लांग टर्म कैपिटल गेन से नहीं की जा सकती। असमायोजित शॉर्ट टर्म या फिर लांग टर्म कैपिटल लॉस अगले आठ सालों तक कैरिड फारवर्ड होते हैं। 

कर नियमावली के अनुसार  कैपिटल लॉस का समायोजन केवल कैपिटल गेन से ही हो सकता है। इसलिए इस  घाटे की राशि को आपकी कर योग्य आय से घटाया नहीं जाएगा।

अगर मैं मेच्यौरिटी और लाभांश दोनों पर कर देता हूं तो क्या यह दोहरा करारोपण नहीं है ? क्योंकि एक बार मैं  कर उस समय दे रहा हूं जब लाभांश घोषित हुआ था और दूसरी बार जब मैंने अपने निवेश का रिडिंप्शन कराया  था। कृपया समझाइए?

नहीं। यह दोहरे करारोपण का मामला नहीं है। लाभांश पुनर्निवेश के मामले में लाभांश वितरण कर (डीडीटी)  चुकाने के बाद शेष बची राशि ही फंड में पुनर्निवेश की जाती है जिसे फ्रेश निवेश के अंतर्गत लिया जाता है। 

और जब फंड में अपने निवेश का रिडिंप्शन होता है तो इसका निर्धारण होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करता है।  इसी से यह तय होता है कि निवेशक को पुनर्निवेश की गई राशि पर कर देना होगा या नहीं।

मैं वियेतनाम, तुर्की, ब्राजील और सिंगापुर जैसे  विदेशी बाजार में निवेश करने का इच्छुक हूं। क्या किसी  भारतीय म्युचुअल फंड हाउस के जरिए यह किया जा सकता है?

हां। यह संभव है। कुछ फंड ऐसे हैं जो वैश्विक थीम पर आधारित हैं और कुछ राशि इन देशों में भी निवेश क रते हैं। यह उनके उद्देश्यों पर निर्भर करता है।

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंडो एशिया इक्विटी फ्रेंकलीन ए शियन इक्विटी प्रमुख रूप से एशिया प्रशांत में ही निवेश करते हैं डीडब्ल्यूएस वैश्विक थिमेटिक ऑफशोर फंड  अपनी अधिकांश पूंजी सिंगापुर स्थित डीडब्ल्यूएस वैश्विक थीमेटिक फंड में ही निवेश करता है।

अगर कोई व्यक्ति किसी विशेष श्रेणी के म्युचुअल फंड की यूनिट खरीदता है जैसे इक्विटी, गोल्ड एक्सचेंज  ट्रेडेड फंड (ईटीएफ), रियल इस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआईटी) या कई अन्य । क्या इसे इनमें हर क्षेत्र में एक  एलोकेशन माना जाएगा?

हां। यह आपके फंड पोर्टफोलियो की अलग-अलग एसेट क्लास में एक एलोकेशन माना जाएगा। भारत में अभी तक कोई भी पूरी तरह से रियल एस्टेट पर आधारित फंड नहीं है।

मुझे किस अनुपात में पैसा लिक्विड  और इक्विटी फंड के बीच बांटना चाहिए ?

आपका एलोकेशन आपके लक्ष्य पर आधारित होना चाहिए। आपको अगले 2-3 सालों में जिस धन की आवश्यकता है उस आधार पर आपको पैसा फिक्स्ड इंकम एवेन्यू में निवेश करना चाहिए। अगर आपको नियमित आय चाहिए तो आपको फिक्स्ड इंकम फंड में निवेश करना चाहिए।

अगर आपको भविष्य में अपने निवेश की वैल्यू घटने के खतरे से बचना हो तो कृपया इक्विटी निवेश से दूर ही रहें। ऊपर वर्णित बातें एसेट अलोकेशन में आपके लिए प्राइमरी गाइडलाइन साबित होंगे।

भले ही आप लंबी अवधि का निवेश बिना किसी पेरियोडिक इन्कम की उम्मीद के कर रहे हों और अपने निवेशित धन में होने वाली घटबढ़ के लिए तैयार हैं तो आपको अपना निवेश इक्विटी, डेट और कैश में बांट लेना चाहिए।

इसके साथ ही अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करते रहें। आदर्श स्थिति में तो यह काम इंसीडेशन घटाने और उस स्थिति में जब एलोकेशन में भारी बदालव के लिए हर साल किया जाना चाहिए।

स्टैंडर्ड डेविएशन औसत से डेविएशन की गणना करता है। लेकिन 28 इंप्लाई का स्टैंडर्ड डेविएशन क्या है? क्या यह आंकड़ा प्रतिशत में है ? क्या यह गणना सालाना आधार पर की जाती है ?

फैक्ट शीट की तुलना में स्टैंडर्ड डेविएशन, अल्फा और अन्य  की वैल्यू में अंतर हो सकता है। इसके दो कारण हैं।

पहला औसत रिटर्न के लिए जो समय तय किया गया है वह और दूसरा गणना की फ्रिक्वेंसी। उदाहरण के लिए अगर हम तीन साल पिछड़ने और मासिक रिटर्न के आधार पर स्टैंडर्ड डेविएशन की गणना कर सकते हैं।

जबकि डेट और गिल्ट फंडों में यह गणना पिछले 18 माह के साप्ताहिक रिटर्न के आधार पर करते हैं। स्टैंडर्ड डेविएशन की गणना की फ्रिक्वेंसी फंड की फैक्टशीट और स्कोरबोर्ड अलग-अलग होता है। इसीलिए अंतर भी अलग-अलग आते हैं।

First Published - December 7, 2008 | 9:34 PM IST

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