डॉलर की कमजोरी के बावजूद, भारतीय रुपये ने अपने एशियाई प्रतिस्पर्धियों में कमजोर प्रदर्शन किया है। रुपया सबसे खराब प्रदर्शन वाली एशियाई मुद्राओं में से एक बन गया है। स्थानीय मुद्रा में कमजोरी का मुख्य कारण हाल के महीनों में डेट से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) की लगातार निकासी, इक्विटी बाजार में सुस्त गतिविधि और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का सुस्त प्रवाह है।
करूर वैश्य बैंक के ट्रेजरी प्रमुख वी आर सी. रेड्डी ने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर डॉलर की कमजोरी के बावजूद, इस प्रवृत्ति का असर डॉलर/रुपये पर नहीं दिखाई दिया है। पिछले महीने के दौरान, रुपया 85.50 के आसपास बना रहा। जहां कई अन्य एशियाई मुद्राओं में इस अवधि के दौरान 1 से 2 फीसदी के बीच बढ़त बनाई, वहीं रुपये पर दबाव बना रहा। डेट खंड से लगातार एफपीआई की निकासी, जून में इक्विटी बाजार में कम भागीदारी और हाल के महीनों में कमजोर एफडीआई निवेश प्रवाह ने रुपये की चमक को फीका कर दिया है।’
जून में अब तक, विदेशी निवेशकों ने 5,402 करोड़ रुपये मूल्य के घरेलू शेयर बेचे, जबकि उन्होंने डेट सेगमेंट 13,848 करोड़ रुपये की बिकवाली की। जून में अब तक रुपये में लगभग 0.6 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे वह महीने के लिए सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली एशियाई मुद्राओं में से एक बन गया है। मौजूदा कैलेंडर वर्ष में अब तक, घरेलू मुद्रा में डॉलर के मुकाबले 0.5 प्रतिशत की कमजोरी आई है, जबकि मौजूदा वित्त वर्ष में इसमें 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई है।
वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और पश्चिम एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने इस गिरावट को और बढ़ा दिया है। इन घटनाओं ने वैश्विक जोखिम से बचने की प्रवृत्ति को बढ़ा दिया है, जिससे निवेशकों को भारत सहित उभरते बाजारों से पूंजी निकालने के लिए प्रेरित किया गया है। पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया तेजी से गिरकर 86 प्रति डॉलर के स्तर से नीचे आ गया, जो 9 अप्रैल के बाद दो महीने का निचला स्तर है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘भारतीय रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट आई है और यह एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक है। इस गिरावट के लिए बड़ी विदेशी पूंजी निकासी, बाजारों में जोखिम वाले माहौल, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में तेजी को जिम्मेदार माना जा सकता है।’
डॉलर इंडेक्स में साल के शुरू से 15 जून तक करीब 10 फीसदी की गिरावट आई है।