बीमा नियामक इरडा (IRDAI) के प्रमुख देवाशीष पांडा ने शुक्रवार को कहा कि बीमा उद्योग को अगले पांच वर्षों में अपनी पहुंच को दोगुना करने के लिए प्रति वर्ष 50,000 करोड़ रुपये पूंजी की जरूरत होगी।
पांडा ने यहां उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कारोबारी समूहों को बीमा क्षेत्र में पूंजी लगाने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन बीमा कंपनियों के मामले में इक्विटी पर रिटर्न 14 प्रतिशत और साधारण बीमा कंपनियों के लिए 16 प्रतिशत है।
शीर्ष पांच बीमा कंपनियों का इक्विटी पर मिलने वाला रिटर्न 20 प्रतिशत तक है। बीमा क्षेत्र बेहद प्रतिस्पर्धी उद्योग है जिसमें लगभग दो दर्जन जीवन बीमा कंपनियां और 30 से अधिक साधारण बीमा कंपनियां सक्रिय हैं।
वित्त वर्ष 2020-21 के अंत तक बीमा की समग्र पहुंच 4.2 प्रतिशत थी। भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के प्रमुख पांडा ने कहा, “अगर हमें इस पहुंच को दोगुना करना है तो हर साल 50,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डालने की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की मौजूदा वृद्धि दर, मुद्रास्फीति और पहुंच का विश्लेषण करने के बाद अतिरिक्त पूंजी जरूरत का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा कि मार्च के बाद वह इस बारे में बीमा कंपनियों के प्रमुखों के साथ चर्चा करेंगे।
पांडा ने कहा, “मैं इस देश में मौजूद कंपनियों और अपना पैसा लगाने की मंशा रखने वाले निवेशकों तक पहुंचना चाहूंगा।”
उन्होंने कहा कि लक्ष्य अगले पांच वर्षों में बीमा की पहुंच को दोगुना करना है। उन्होंने आजादी के सौ साल पूरा होने यानी वर्ष 2047 तक सभी का बीमा करने को संभव बताते हुए कहा कि इसके लिए क्रमिक विकास जारी रखना होगा।
पांडा ने कहा कि भारत इस समय बीमा कारोबार में दुनिया का दसवां सबसे बड़ा बाजार है और वर्ष 2032 तक यह छठा सबसे बड़ा बाजार हो जाएगा। इरडा प्रमुख ने कहा, “हमें बीमा के वितरण के तरीके पर नए सिरे से विचार करना होगा।” उन्होंने बीमाकर्ताओं से लोगों की बदलती जरूरतों के अनुरूप उत्पाद पेश करने पर ध्यान देने को भी कहा।