सेंसेक्स बुधवार को 11 हजार के स्तर से नीचे चला गया, इस मौके पर बिजनेस स्टैंडर्ड ने बाजार के भागीदारों से जानना चाहा कि आगे बाजार कैसा रहेगा और इस स्थिति में निवेशकों को क्या करना चाहिए।
एनाम समूह के चेयरमैन वल्लभ भंसाली ने राजेश भयानी को बताया कि शेयर खरीदने का यही सही मौका है लेकिन खुदरा निवेशकों को अपने पास कुछ नकदी भी रखनी चाहिए।
विदेशी संस्थागत निवेशक क्यों भारी बिकवाली कर रहे हैं जिसकी वजह से पिछले दो सालों की सारी तेजी साफ हो गई है?
सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि विदेशी संस्थागत निवेशक इसलिए बिकवाली नहीं कर रहे हैं कि उन्हे भारत के बाजार पर भरोसा नहीं। ये बिकवाली एक कड़ी के तहत हो रही है। या कहा जाए वो बिकवाली इसलिए कर रहे हैं क्योकि उन पर अपने घरेलू बाजारों में रिडम्पशन का भारी दबाव है या फिर उन्हे रिडम्पशन के आसार दिख रहे हैं।
क्या आपको लगता है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की अभी और बाकी है या फिर करीब करीब पूरी हो चुकी है?
वो कब तक बिकवाली करेंगे यह उनकी धन की जरूरत पर निर्भर करता है। लेकिन इतना जरूर है कि बिना खरीदारी के इस तरह की बिकवाली ज्यादा नहीं चल सकती। अगर खरीदारी नहीं होगी तो केवल कीमतों को नुकसान होता है बजाए किसी को फायदा होने के।
क्या भारत को भी शार्ट सेलिंग पर रोक लगानी चाहिए?
नहीं, मौजूदा भावों पर मंदड़ियों का हावी होना मुश्किल है।
खुदरा निवेशकों को क्या करना चाहिए?
खुदरा निवेशकों को इस समय घबराना नहीं चाहिए। यह वक्त शेयरों की खरीदारी के लिए बिलकुल सही है क्योकि कीमतें कम हैं। लेकिन उन्हे खरीद दो साल के लिए करनी चाहिए। साथ ही उन्हे कुछ नकदी भी रखनी चाहिए। एक समय होता है जब ग्रोथ के लिए निवेश किया जाता है, इसी तरह ऐसा भी समय होता है जब केवल सुरक्षा के लिए निवेश किया जाना चाहिए।
ऐसे माहौल में पॉलिसी रेस्पॉन्स क्या होना चाहिए?
परंपरावादी असेट क्लास और नौकरी बढ़ाने वाले असेट क्लास को बचा कर रखना चाहिए।