भारतीय रिजर्व बैंक के रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के जरिये निवेश करने वाले खुदरा निवेशकों ने राज्य व केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों व सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड के मुकाबले ट्रेजरी बिल में ज्यादा निवेश किया।
प्राथमिक बाजार में कुल सबस्क्रिप्शन 12 सितंबर को बढ़कर 2,698 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो 3 अप्रैल को 1,809 करोड़ रुपये रहा था। ट्रेजरी बिल की बात करें तो खुदरा निवेशकों ने 12 सितंबर को 1,807 करोड़ रुपये का निवेश किया, जो 3 अप्रैल के 1,113 करोड़ रुपये के मुकाबले ज्यादा है।
अप्रैल-सितंबर की अवधि में ट्रेजरी बिल में सबस्क्रिप्शन 62 फीसदी बढ़ा जबकि कुल सबस्क्रिप्शन में 49 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
बाजार के भागीदारों का मानना है कि सॉवरिन ऋण प्रतिभूतियों की खरीद की इच्छा में इजाफा हो रहा है क्योंकि लोग नियमित निवेश के मुकाबले इसमें ज्यादा ब्याज दर पा रहे हैं। साथ ही सॉवरिन ऋण प्रतिभूतियां सुरक्षित मानी जाती हैं।
जेएम फाइनैंशियल के प्रबंध निदेशक अजय मंगलूनिया ने कहा, ट्रेजरी बिल अभी बेहतर रिटर्न दे रहे हैं और सॉवरिन से सुरक्षा का आश्वासन मिलता है।
हम यह भी देख सकते हैं कि प्रतिफल का कर्व स्थिर है, लोग अल्पावधि वाली प्रतिभूतियों में बेहतर रिटर्न हासिल कर रहे हैं।
बाजार के भागीदारों ने कहा, तीन महीने वाला ट्रेजरी बिल एक साल की सावधि जमाओं के मुकाबले काफी ज्यादा रिटर्न दे रहा है। महत्वपूर्ण बैंक एक साल की सावधि जमाओं पर 5.75 फीसदी से 6.70 फीसदी तक ब्याज की पेशकश कर रहे हैं, वहीं एक साल वाले ट्रेजरी बिल की ट्रेडिंग अभी 7.06 फीसदी पर हो रही है। तीन महीने व छह महीने वाले ट्रेजरी बिल की ट्रेडिंग अभी क्रमश: 6.85 फीसदी व 7.05 फीसदी पर हो रही है।
बॉन्ड बाजार के दिग्गज और रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक व प्रबंध साझेदार वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, अल्पावधि वाले निवेश पर विचार करने वालों (मुख्य रूप से खुदरा निवेशक) को ट्रेजरी बिल सावधि जमाओं के मुकाबले काफी ज्यादा रिटर्न दे रहा है।
उदाहरण के लिए अगर कोई 3 महीने, छह महीने या एक साल की सावधि जमाएं चाहता है तो निश्चित तौर पर ट्रेजरी बिल की दरें इन सावधि जमाओं के मुकाबले ज्यादा आकर्षक हैं। उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर लोग सरकारी प्रतिभूतियां भी पसंद करते हैं, लेकिन ट्रेजरी बिल की यहां काफी मांग है, जो खुदरा निवेशकों से आ रही है।
बाजार के भागीदारों का मानना है कि सॉवरिन ऋण प्रतिभूतियों की मांग खुदरा निवेशकों के बीच मजबूत बने रहने की उम्मीद है क्योंकि नकदी में सख्ती के बीच बाजार की दरें लंबे समय तक ऊंची बने रहने की संभावना है।
23 सितंबर को वितरित होने वाले इनक्रीमेंटल कैश रिजर्व रेश्यो के दूसरे चरण से पहले बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की स्थिति कमी की ओर चली गई है, जिसकी वजह कर के लिए हुई निकासी है। डीलरों ने यह जानकारी दी।
मौजूदा वित्त वर्ष में बैंकिंग व्यवस्था में नकदी पहली बार अगस्त में कमी की ओर चली गई।